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शौर्यपथ / वह 30 मई का ही दिन था, जब देश का पहला हिन्दी अखबार 'उदंत मार्तण्ड' प्रकाशित हुआ। इसी दिन को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवधि में कई समाचार-पत्र शुरू हुए, उनमें से कई बन्द भी हुए, लेकिन उस समय शुरू हुआ हिन्दी पत्रकारिता का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। लेकिन, अब उद्देश्य पत्रकारिता से ज्यादा व्यावसायिक हो गया है।
उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन 30 मई, 1826 ई. में कोलकाता (तब कलकत्ता) से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। पंडित जुगलकिशोर सुकुल ने इसकी शुरुआत की। उस समय समय अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकलते थे, किन्तु हिन्दी में कोई समाचार पत्र नहीं निकलता था। पुस्तकाकार में छपने वाले इस पत्र के 79 अंक ही प्रकाशित हो पाए। ...और करीब डेढ़ साल बाद ही दिसंबर 1827 में इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा।
उस समय बिना किसी मदद के अखबार निकालना लगभग मुश्किल ही था, अत: आर्थिक अभावों के कारण यह पत्र अपने प्रकाशन को नियमित नहीं रख सका। जब इसका प्रकाशन बंद हुआ, तब अंतिम अंक में प्रकाशित पंक्तियां काफी मार्मिक थीं...
आज दिवस लौं उग चुक्यौ मार्तण्ड उदन्त
अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अन्त।
हिंदी प्रिंट पत्रकारिता आज किस मोड़ पर खड़ी है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। उसे अपनी जमात के लोगों से तो लोहा लेना पड़ रहा है साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चुनौतियां भी उसके सामने हैं। ऐसे में यह काम और मुश्किल हो जाता है।
एक बात और...हिंदी पत्रकारिता ने जिस 'शीर्ष' को स्पर्श किया था, वह बात अब कहीं नजर नहीं आती। इसकी तीन वजह हो सकती हैं, पहली अखबारों की अंधी दौड़, दूसरा व्यावसायिक दृष्टिकोण और तीसरी समर्पण की भावना का अभाव। पहले अखबार समाज का दर्पण माने जाते थे, पत्रकारिता मिशन होती थी, लेकिन अब इस पर पूरी तरह से व्यावसायिकता हावी है।
इसमें कोई दो मत नहीं कि हिंदी पत्रकारिता में राजेन्द्र माथुर (रज्जू बाबू) और प्रभाष जोशी दो ऐसे संपादक रहे हैं, जिन्होंने अपनी कलम से न केवल अपने अपने अखबारों को शीर्ष पर पहुंचाया, बल्कि अंग्रेजी के नामचीन अखबारों को भी कड़ी टक्कर दी।
आज वे हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में हिन्दी पत्रकारिता ने जिस सम्मान को स्पर्श किया, वह अब कहीं देखने को नहीं मिलता। दरअसल, अब के संपादकों की कलम मालिकों के हाथ से चलती। हिन्दी पत्रकारिता आज कहां है, इस पर निश्चित ही गंभीरता से सोच-विचार करने की जरूरत है।
यहां महाकवि मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों को उद्धृत करना भी समीचीन होगा...
हम कौन थे, क्या हो गए हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी।
धर्म संसार / शौर्यपथ / भगवान श्रीकृष्ण के वैसे तो कई सखा अर्थात मित्र या दोस्त थे लेकिन बचपन में कुछ खास सखा थे। इन बाल सखाओं और सखियों के साथ श्रीकृष्ण ने अपना बचपन गुजारा था। लगभग 11 वर्ष की उम्र तक इन सखाओं के साथ रहे थे। कंस वध के लिए उन्हें गोकुल-वृंदावन को छोड़कर मथुरा जाना पड़ा था वहां भी उनके कई सखा बने था। फिर कंस वध के बाद उन्हें मथुरा को भी छोड़ना पड़ा था। उस दौरान उनके कुछ खास सखा ही उनके साथ रहे थे। आओ सभी के नाम जानते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के कई बाल सखा थे। जैसे मधुमंगल, सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, श्रीदामा, सुदामा, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद और बुद्धिप्रकाश आदि। उद्धव और अर्जुन बाद में सखा बने। बलराम उनके बड़े भाई थे और सखा भी।
पुष्टिमार्ग के अनुसार अष्टसखा : कृष्ण की बाल एवं किशोर लीला के आठ आत्मीय संगी- कृष्ण, तोक, अर्जुन, ऋषभ, सुबल, श्रीदामा, विशाल और भोज।
बाल सखियां : ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सखियों के नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी। कुछ जगह पर ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है।
अष्ट सखियां : हालांकि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ये श्रीजी राधारानी की 8 सखियां थीं। अष्टसखियों के नाम हैं- 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी। राधारानी की इन आठ सखियों को ही "अष्टसखी" कहा जाता है। श्रीधाम वृंदावन में इन अष्टसखियों का मंदिर भी स्थित है।
आस्था /शौर्यपथ / वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाएगा। इसी दिन शनि जयंती भी है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष वट सावित्री व्रत पर्व 10 जून 2021 गुरुवार को मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं वट सावित्री व्रत या पर्व की 10 महत्वपूर्ण बातें।
1. दो बार आता है ये पर्व : वर्ष में दो बार वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ माह की अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को। उत्तर भारत में अमावस्या का महत्व है तो दक्षिण भारत में पूर्णिमा का। वट पूर्णिमा 24 जून 2021 गुरुवार को है।
2. स्कन्द व भविष्य पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है, लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को करने का विधान है।
3. यह भी कहते हैं कि भारत में अमानता व पूर्णिमानता ये दो मुख्य कैलेंडर प्रचलित हैं। हालांकि इन दोनों में कोई फर्क नहीं है बस तिथि का फर्क है। पूर्णिमानता कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है जिसे वट सावित्री अमावस्या कहते हैं जबकि अमानता कैलेंडर के अनुसार इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाते हैं, जिसे वट पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं।
4. वट सावित्री अमावस्या का व्रत खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में ज्यादा प्रचलित है जबकि वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र, गुजरात सहित दक्षिण भारत के क्षेत्रों में प्रचलित है।
5. वट सावित्री का व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की भलाई और उनकी लम्बी उम्र के लिए रखती हैं। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
6. दोनों ही व्रत के दौरान महिलाएं वट अर्थात बरगद की पूजा करके उसके आसपास मन्नत का धागा बांधती है। वट अर्थात बरगद का वृक्ष आपकी हर तरह की मन्नत को पूर्ण करने की क्षमता रखता है।
7. पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-शांति, और धनलक्ष्मी का वास होता है।
8. दोनों ही व्रतों के पीछे की पौराणिक कथा दोनों कैलेंडरों में एक जैसी है। वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
9. सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।
10. इस व्रत को सभी प्रकार की स्त्रियां (कुमारी, विवाहिता, विधवा, कुपुत्रा, सुपुत्रा आदि) रख सकती हैं।
दुर्ग / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम क्षेत्र इन दिनों बदहाल व्यवस्था के कारण बुरे दौर से गुजर रहा है अमृत मिशन के कार्यों के कारण शहर के हर गली मोहल्ले में गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं जगह-जगह कचरे के ढेर आम देखे जा सकते हैं नालियों का पानी कचरे के ढेर के कारण जमा हो रहा है निर्माण के कार्य कई जगह आधे अधूरे तो कई जगह महीनों पहले हुए टेंडर के बाद भी अभी तक शुरू नहीं हुए हैं किंतु इस ओर ना तो शहर के प्रशासनिक प्रमुख आयुक्त हरेश मंडावी ध्यान दे रहे हैं ना स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता इस मामले में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं वही निर्माण के संबंध में दुर्ग निगम के सर्वे सर्वा बने हैं गोस्वामी कार्य का दिखावा करते नजर आते हैं तो पीडब्ल्यूडी प्रभारी अब्दुल गनी ठेकेदारों के साथ मीटिंग में व्यस्त रहते हैं .
शहर में जगह-जगह हो रहे निर्माण की गुणवत्ता हीन के बारे में ना तो आयुक्त को चिंता है और है और ना ही पीडब्ल्यूडी प्रभारी को . शहर की बदहाल व्यवस्था शायद इससे पहले कभी ना थी शहर को सुशासन देने की बात कहने वाले विधायक होरा अधिकारियों को पिछले सालभर से फटकार लगाते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं किंतु उनकी फटकार का असर कितना होता है यह आम जनता देख रही है इन दिनों सब्जी मार्केट का निर्माण कार्य अभी तक नहीं हुआ , गौरव पथ पर पेवर ब्लाक लगाने का कार्य अभी तक नहीं हुआ ,शहरों में शौचालय की स्थिति बदतर होती जा रही है . कोरोना के समय जिस तरह से सफाई कर्मियों की उपेक्षा की गई और उन्हें सुरक्षा संबंधी उपकरण भी समय पर नहीं दिया गया इससे साफ जाहिर होता है कि शहर के जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्य के प्रति कितने गंभीर हैं . लॉकडाउन के दौरान देखा गया कि निगम के बाजार विभाग के अधिकारी जुर्माना काटने पर ही व्यस्त रहें और यह व्यवस्था उनकी सिर्फ छोटे-छोटे दुकानदारों पर ही नजर आए शहर के मुख्य बाजार ,अनाज लाइन , हटरी बाजार यहां पर निगम के अधिकारी एक मूकदर्शक की भांति नजर आए।
भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगाने में आयुक्त हरेश मंडावी निष्क्रिय साबित हुए हैं अमृत मिशन के कार्यों के कारण शहर के हर गली मोहल्ले हैं मुख्य मार्गों पर गड्ढे खोद दिए गए हैं जो कई कई दिनों तक ऐसी ही स्थिति में रहते हैं जबकि इसी शहर में पूर्व में अमृत मिशन के कार्यों को देखा पूर्व के आयुक्त इंद्रजीत भवन के कार्यकाल में शहर के सड़कों की सफाई ,नालियों की सफाई ,अमृत मिशन के कार्यों में तत्परता , निर्माण के कार्यों में कसावट जैसे कई मुद्दे पर पूर्व आयुक्त इंद्रजीत बर्मन जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद भी अपनी पकड़ बनाए हुए शहर की व्यवस्था को सुधारने में लगे रहे वही वर्तमान आयुक्त के कार्यकाल में शहर के हर हिस्से में अव्यवस्था का आलम फैला हुआ है .
15 साल बाद सत्ता संभाली कांग्रेस और उनके प्रभारी अपनी दुनिया में ही मस्त हैं शहर की बदहाल व्यवस्था पर उन्हें किसी बात की कोई फिक्र नहीं है खबर तो यहां तक है कि शहर में करोड़ों के कार्य होने वाले हैं इन कार्यों को कौन-कौन से ठेकेदार करेंगे इस पर मंथन जारी है यह मंथन इस बात की ओर इशारा करता है कि वर्तमान शहरी सरकार के पीडब्ल्यूडी प्रभारी एवं सर्वे सर्वा बने ईई गोस्वामी ही निर्धारित कर रहे हैं कि किस-किस ठेकेदार को कार्य दिया जाए और कितने परसेंट रेट पर कार्य किया जाए ठेकेदार . चाहे जैसा भी हो चाहे पूर्व के उनके कार्यों की गुणवत्ता कैसी भी हो अभि ध्यान इस बात की ओर है कि किस तरह अपनों को कार्य मिले हैं चर्चा यहां तक आ रहे हो रही है कि इस करोडो के कार्य में टेंडर प्रक्रिया में भी कई प्रकार की अनियमितता पाई जा रही है कुछ कार्य ऐसे हो रहे हैं जो यह इशारा करते हैं कि शहरी सरकार सिर्फ अपनी जेब भरने पर तुली है और शहरी सरकार के पीडब्ल्यूडी प्रभारी कार्य की गुणवत्ता से ज्यादा किसी कार्य मिले किसे नहीं इस बात की चिंता कर रहे हैं टेंडर प्रक्रिया को सिर्फ दिखावा बनाया जा रहा है . इस करोड़ों के कार्य में ऐसे कई बात सामने आए हैं जो यह संदेह पैदा करते हैं की शहरी सरकार सिर्फ अपने फायदे को देख रही है चाहे इस कारण छत्तीसगढ़ शासन का कितना भी नुकसान हो . वही विधायक वोरा समय-समय पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए नजर आते हैं फटकार सिर्फ दिखावा नजर आ रही है .
शौर्य पथ समाचार पत्र अपने अगले अंक में यह खुलासा करेगा कि किस प्रकार निगम के करोड़ों के कार्य पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार है आपस में कैसे बांटे जा रहे हैं और इससे राजस्व को बिलों रेट की आड़ में कितना नुकसान हो रहा है ..
दुर्ग / शौर्यपथ / आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने वार्ड 25 बैकुंठधाम के बाजू में निर्माणाधीन सर्व समाज डॉ भीमराव अंबेडकर मांगलिक भवन का अवलोकन किया। अधिकारियों को मंगल भवन के निर्माण में तेजी लाने और गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए। आयुक्त रघुवंशी ने जोन क्रमांक 3 की आयुक्त प्रीति सिंह से मांगलिक भवन के निर्माण के संबंध में सारी जानकारी प्राप्त की, उन्होंने कहा कि भीतरी सुंदरता के साथ कैंपस के ब्यूटीफिकेशन के कार्य पर भी पूरा ध्यान देना होगा, इसके लिए अच्छे पौधे का चयन किया जाए, लाइटिंग व्यवस्था भी हो। कार्यपालन अभियंता डीके वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मांगलिक भवन का 90त्न कार्य पूर्ण हो चुका है, जून तक इसे पूरा करने का टारगेट रखा गया है! मांगलिक भवन के निर्माण से लोगों को सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए केम्प 1 और 2, बैकुंठधाम, छावनी, हाउसिंग बोर्ड, फौजी नगर, अन्य क्षेत्रों के रहवासियों को इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा और अच्छी सुविधाओं के साथ भवन मिल जाएगा। भवन गौरवपथ के किनारे और मार्केट से लगा हुआ है, यहां सामाजिक और धार्मिक कार्य आसानी से संपन्न हो जाएगा। निरीक्षण के दौरान सहायक अभियंता आरके साहू, जोन स्वास्थ्य अधिकारी आरपी तिवारी एवं वी.के. सैमुअल मौजूद रहे।
3 करोड़ की लागत से प्रस्तावित है भवन
वार्ड 25 में लगभग 3 करोड़ की लागत से सुविधायुक्त दो मंजिला मंगल भवन निर्माणाधीन है। वैवाहिक एवं अन्य कार्यक्रम के लिए 10,000 वर्गफीट भू तल में 12 कमरे, प्रथम तल 8000 वर्गफीट में 13 कमरे बाथरूम और शौचालय सहित अन्य सुविधायुक्त भवन बनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 6000 वर्गफीट में डोमशेड तैयार कर लिया गया है। लगभग आधा एकड़ एरिया को पार्किंग के लिए आरक्षित किया गया है। जहां प्रवेश और बाहर निकलने के लिए दो द्वार होगा। शादी विवाह के लिए मंच, लॉन और गार्डन जैसे कई सुविधाएं होंगी। इस पर तीव्र गति से काम चल रहा है!
तेलहा नाला में होने वाले चैनेलाइजेशन कार्य का निरीक्षण
निगम आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी ने खुर्सीपार तेलहा नाला का जायजा लिया। 3 करोड़ की लागत से तेलहा नाला रिटेनिंग वॉल निर्माण सहित अन्य प्रस्तावित कार्य को लेकर अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की। नक्शा के अनुसार तेलहा नाला के कार्य को युद्ध स्तर पर करने के निर्देश दिए, वही नाला में पड़े हुए मलबा को शीघ्र हटाने के लिए निर्देश दिए। आयुक्त महोदय ने अधिकारियों के साथ नंदनी रोड करूणा अस्पताल के सामने की पुलिया, 32 एकड़ क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड में बहने वाली तेलहा नाला की निकासी व्यवस्था का भी निरीक्षण किया। वहीं जोन 3 की आयुक्त प्रीति सिंह ने बताया कि नाला के किनारे के कुछ अवैध निर्माण नाला के विकास में बाधा बन रहे हैं, शासकीय स्थल से अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
घर की आजीविका चलाने वाले पिता या माता को खोने वाले बच्चों को भी मिलेगा योजना का लाभ
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बनाया गया प्रकोष्ठ और हेल्प डेस्क, जानकारी हेतु संपर्क कर सकते हैं नोडल अधिकारी संजय वर्मा से
दुर्ग / शौर्यपथ / कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके बेसहारा बच्चों के निशुल्क शिक्षा के लिए शासन ने छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना आरंभ की है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए तथा इसका लाभ बेसहारा बच्चों तक पहुंचाने के लिए आज कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। कलेक्टर ने कहा कि कोरोना आपदा में अपने माता-पिता या आजीविका अर्जित करने वाले माता अथवा पिता को खोने वाले बच्चों की निशुल्क शिक्षा की जिम्मेदारी का वहन शासन द्वारा किया जाएगा। इसके लिए ऐसे बच्चों को चिन्हांकित करना तथा इन्हें महतारी दुलार योजना का लाभ दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए कार्य करें, ऐसे बच्चों की जानकारी प्राप्त होने पर तथा आवेदन प्राप्त होने पर पात्रता के अनुसार उन्हें एडमिशन दिलाएं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है कि ऐसे बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके इसके लिए कोशिश होगी कि उन्हें अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाए तथा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में भी इनके एडमिशन को प्राथमिकता दी जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में आज एक समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जहां कहीं से भी ऐसे बच्चों की सूचना आती है उस पर कार्रवाई करें। इनके आवेदन पर तत्काल कार्रवाई करें, इसके लिए समिति भी बनाई गई है जो पात्रता के अनुसार ऐसे बच्चों के एडमिशन के संबंध में निर्णय लेगी। अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के शिक्षा का संपूर्ण वहन शासन द्वारा किया जाएगा। कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति 500 रुपये होगी। इसके साथ ही नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को भी छात्रवृत्ति दी जाएगी यह छात्रवृत्ति 1000 रुपये होगी। कलेक्टर ने आज बैठक में कहा कि आपदा में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल करना उन्हें उचित शिक्षा देना हम सबकी बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए व्यापक रूप से चिन्हांकन कार्य करें ताकि ऐसे सभी बच्चों को इस शासन की महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिल पाए।
जिला शिक्षा कार्यालय में बनाया गया हेल्प डेस्क- जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला शिक्षा कार्यालय में प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यहां पर हेल्प डेस्क भी बनाया गया है इसके नोडल अधिकारी श्री संजय वर्मा एमआईएस प्रशासक होंगे इनका मोबाइल नंबर 93401-93460 है। इनसे योजना के संबंध में तथा ऐसे बच्चों को एडमिशन दिलाने के संबंध में संपर्क किया जा सकता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / कोरोना महामारी को फिर से बढऩे से रोकने के लिए जिला दण्डाधिकारी डॉ सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे द्वारा जिले में शाम 06.00 बजे से प्रात: 06.00 बजे तक पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। लॉकडाउन का आमनागरिकों से पालन कराने के लिए प्रशांत ठाकुर, पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के निर्देश में कविलाश टंडन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (यातायात) के मार्ग दर्शन में एवं गुरजीत सिंह, उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) के नेत्वृत में यातायात पुलिस दुर्ग द्वारा दिनांक 27.05.2021 को शाम 0600 बजे के बाद घूमने वाले वाहन चालकों के विरूद्ध 32 फिक्स पाइंट लगाकर कार्यवाही की गई जिसमें यातायात पुलिस की 16 पाइंट एवं थाना के 16 फिक्स पाइंट बनाया गया है।
पुलिस की कार्यवाही शाम 06.00 बजे से रात्रि 12.00 बजे तक जारी रहा जिसमें केवल इमरजेंसी सेवा वाले वाहन के आवागमन में छूट दिया गया एवं कुल-376 वाहन चालको के विरूद्ध मोटर व्हीकल एक्ट की कार्यवाही की गई तथा 61 ऐसे भी लापरवाह लोग मिले जो बिना मास्क के घूमते पाये गये जिनके उपर महामारी एक्ट के तहत कार्यवाही किया गया। आगामी दिनों में पुलिस द्वारा यह कार्यवाही और सख्त किया जावेगा।
अपील एवं चेतावनी - यातायात पुलिस दुर्ग शहर के आम नागरिको से अपील करती है कि वर्तमान में दुर्ग जिले के अंतर्गत कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ लेकिन अभी कोरोना पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है इसलिए शासन द्वारा दिये गये निर्देशो का पालन करें बिना मास्क के बाहर न निकले आवश्यक होने पर घर से बाहर निकले और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।
शाम 6 बजे के बाद घर से बाहर निकले वाले के विरूद्ध पुलिस द्वारा दण्डात्मक कार्यवाही की जावेंगी।
-अब राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले दूसरी फसले लेने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से दीगर फसलों का दायरा बढ़ने की उम्मीद भी
-कलेक्टर ने दुर्ग ब्लाक के अधिकारियों की बैठक में कहा कि फसल वैविध्य से होने वाले लाभ के संबंध में किसानों को जागरूक करना पहला लक्ष्य
दुर्ग / शौर्यपथ / जिले का किसान पहले भी वैविध्य में काफी रुचि लेता था लेकिन अनेक वजहों से धीरे-धीरे केवल धान पर उसका फोकस होता गया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले दूसरी फसल लेने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से यह उम्मीद बढ़ी है कि किसान धान के अलावा दूसरी फसलों की ओर भी प्रेरित होंगे और इससे कृषि वैविध्य बढ़ेगा। आज कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे की अध्यक्षता में दुर्ग ब्लाक में अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें कलेक्टर ने पूछा कि किस तरह से आप लोग किसानों को धान के बदले दूसरी फसल लेने प्रोत्साहित करेंगे। कृषि विस्तार अधिकारियों ने बताया कि हम सबसे पहले उन किसानों को लक्षित करेंगे जो बीते वर्षों में दलहन और तिलहन की फसल लेते रहे हैं और अब धान लेने लगे हैं। इन्होंने बताया कि सोयाबीन जैसी फसलों का रकबा काफी विस्तृत था। नगपुरा क्षेत्र के एआरईओ ने बताया कि दो-तीन दशक पहले इस क्षेत्र के किसान कपास की फसल ले रहे थे, इसका रकबा काफी अच्छा था सिंचाई की सुविधा नहीं होने की वजह से यह आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि अब सिंचाई की सुविधा बढ़ी है और प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा दी जा रही है इसलिए उम्मीद है कि किसान पुनः फसल वैविध्य की ओर बढ़ेंगे।
कलेक्टर ने बताया क्यों फसल वैविध्य इस वक्त की जरूरत- कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा कि कई बातें हैं जिसके कारणों से किसानों के लिए फसल में वैविध्य लेना जरूरी है। सबसे पहली तो जमीन की गुणवत्ता है। फसल वैविध्य से ही मिट्टी की ऊर्वरता बढ़ती है। लगातार धान की फसल लेने से मिट्टी की ऊर्वरता पर असर पड़ता है। दूसरे शासन द्वारा धान के अलावा दूसरी फसल लेने पर दी जाने वाली दस हजार रुपए प्रति एकड़ की राशि है जिससे किसानों के लिए फसल का खर्च निकालना आसान होगा। तीसरी बड़ी चीज बीमा की सुविधा है जिसके माध्यम से किसानों के लिए रिस्क कवर भी आसानी से होगा। उन्होंने कहा कि बड़े किसान भी खेतों के अलग-अलग रकबे में अलग-अलग फसल ले सकते हैं इससे वैविध्य भी बढ़ेगा और आय की संभावनाएं भी विस्तृत होंगी। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में बाँस और सागौन का प्लांटेशन भी कर सकते हैं।
साइल कार्ड के मुताबिक देंगे सलाह- बैठक में योजना की नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने कहा कि किसान को मिट्टी की गुणवत्ता के मुताबिक फसल लेने की सलाह दें। साइल कार्ड के आधार पर यह निर्णय लिया जा सकता है। इसके अलावा कुछ दलहन और तिलहन फसलों का जिनका क्षेत्र में उत्पादन का अच्छा ट्रैक रिकार्ड रहा है। उन्हें भी पुनः लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा सकता है। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीम बनाकर किसानों से बातचीत करें जिनमें कृषि विस्तार अधिकारियों के साथ ही उद्यानिकी प्रक्षेत्र अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी भी हों ताकि किसानों को योजना के बारे में पूरी तरह जानकारी देकर उसे इस ओर प्रेरित किया जा सके।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कोरोना काल में जिले में लगभग 20 प्रायवेट विद्यालय बंद हो गए और शहर में ग्रीन फिल्ड सीआईटी स्कूल, राजनांदगांव जो बीते वर्ष 2020 से बंद है और इसकी विधिवत् लिखित जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव हेतराम सोम के द्वारा संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर को प्रेषित कर दिया गया था।
लेकिन इस स्कूल में शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों को किसी अन्य स्कूल में प्रवेश नही दिलाया गया जबकि पालको के द्वारा जुलाई 2020 से लगातार जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अनेको आवेदन प्रस्तुत किए लेकिन पूरा साल बीत गया इन गरीब बच्चों को किसी भी स्कूल में प्रवेश नही दिलाया गया और इस प्रकार इन गरीब बच्चों का एक साल बर्बाद कर दिया गया लेकिन जब पालको ने पुलिस थाने में जिला शिक्षा अधिकारी की लिखित शिकायत कर भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए के तहत गिरिफ्तारी की मांग करने लगे तो आनन-फानन में जांच अधिकारी भेजवाकर स्कूल से लिखवा लिया गया कि हम स्कूल संचालित करने को तैयार है।
जिला शिक्षा अधिकारी की इस करतूत से पालको का गुस्सा और भडक गया है क्योंकि पालको का कहना है कि पहले तो हमारे बच्चों का एक साल बर्बाद कर दिया गया और अब जब जेल जाने की बारी आई तो पैतरा बदला जा रहा है लेकिन हमारे बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम को जेल जाने से कोई बचा नही सकता है।
पालको का कहना है कि कई गरीब बच्चों ने स्कूल से टीसी निकाल लिया है और अब वे बच्चे कहां है, किस स्कूल में प्रवेश लिया है या पढ़ाई छोड़कर कहीं रोजी मजदूरी कर रहे है इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को नही है।
क्या कहता है कानून
शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 8(व्याख्या)(1) व (2) के अनुसार राज्य निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने और अनिवार्य दाखिले, उपस्थिति और प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। यदि बच्चे पढ़ाई छोड़कर खाना पक्का रहे है, या आस-पास घूम रहे है, या कोई रोजी मजदूरी कर रहे है, जबकि उन्हे पढ़ाई करना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है क्योकि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का दायित्व है कि सभी बच्चे स्कूल मे उपस्थित हो रहे है और शिक्षा पूर्ण कर रहे है और यदि ऐसा नही हो रहा है तो राज्य सरकार बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन कर रही है।
रायपुर / शौर्यपथ / कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए स्वैच्छिक संस्था संकल्प सांस्कृतिक समिति और रेल्वे चिल्ड्रन इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से महावारी दिवस पर अनेक प्रेरक कार्यक्रमों आयोजन किया ।
प्रायः मासिक धर्म चक्र को लेकर बहुधा केवल महिलाओं से ही अकेले में चर्चा की जाती है। संकल्प ने इस परिपाटी के विरूद्ध इस मुद्दे पर महिला और पुरुषों की संयुक्त संगोष्ठी का सफल आयोजन किया । जिसमे सभी को इस नैसर्गिक चक्र और इसके उचित प्रबंधन को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में इस मुद्दे में पुरूषों की सहभागिता और इस विषय पर उनकी समझ को अधिक बेहतर और व्यवहारिक बनाने पर सार्थक सुझाव समाने आये ।
संकल्प की निदेशक ने कहा " महिलाओं के जीवन और स्वास्थ से जुडे इस विषय को केवल महिलाओं तक सीमित रखना या इस गुपचुप तरिके से बात करने बात नही बनेगी । इसमे सभी की सहभागिता जरूरी है। चुप्पी को तोडना जरूरी है । यह सीधे - सीधे महिलाओं के स्वास्थ से जुडा मुद्दा है । इससे जुडे अंधविश्वासों और गलत धारण को ख़त्म कर इस पर अन्य स्वास्थ समस्या की तरह खुल कर बात करने और इसके उचित प्रबंधन पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है।"
उक्त संगोष्ठी के साथ- साथ इस विषय पर वर्चुअल चर्चा का भी आयोजन किया गया। जिसमे स्लम क्षेत्रों की किशोरी बालिकाओं और अन्य क्षेत्रों की महिलाओं ने अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जिसमे उनकी आशंकाओं का समाधान किया गया।
संकल्प और रेल्वे चिल्ड्रन इंडिया की टीम ने गुढ़ियारी क्षेत्र के स्लम की महिलाओं से भेंट कर उन्हें मासिक धर्म की अवधी के दौरान बरती जाने वाली प्रमुख सावधानियों और इसकी आवश्यकता के बारे में
जानकारी देते हुए निःशुल्क सेनेटरी पैड का वितरण किया ।
इस समूची प्रक्रिया में संकल्प सांस्कृतिक समिति में संचालित समस्त परियोजनाओं (आर सी आई , चाइल्ड लाईन 1098, सी बी पी एल आई , ओ डी आई सी , इरका और एस एल सी ए ) के सभी कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। संस्था की निदेशक श्रीमति मनीषा शर्मा के मार्गदर्शन दर्शन में अछय श्रीवास्तव, श्रीमति विनीता पाण्डेय, श्रीमति मालती साहू, सुरभि सोनी, योगिता गिरी गोस्वामी, यामिनी वर्मा, माहेश्वरी साहू, मनीषा बाघ, रीना जगत, सुमन यादव, निधी, सागर शर्मा, मनोज मिश्रा, शैलेश भगत, विनोद सिदार, नीरज साहू, लक्ष्मीनारायण देवांगन, चंद्र कुमार साहू, मुकेश चेलक, राजकमल रात्रे, विशाल वर्मा आदि ने सक्रिय सहभागिता दी ।