August 12, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

संक्रमण से पहले गांवों में दवाइयां, जांच और उपचार की सुविधाएं पहुंची
करीब 10 हजार गांव कोरोना मुक्त
जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक मजबूत अधोसंरचना बनी हथियार
मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों की मेहनत रंग लाई
जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत तक नेटवर्क की संवेदनशीलता काम आई
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं कर रहें हैं सतत मानिटरिंग, समय रहते उठाए गए सभी जरूरी कदम

रायपुर / शौर्यपथ / देशभर में गांवों तक पहुंच रहे कोरोना-संक्रमण के अंदेशों के बीच अच्छी खबर यह है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के आधे करीब 10 हजार गांव पूरी तरह संक्रमण मुक्त हैं। इन गांवों तक या तो संक्रमण नही पहंुच पाया है, या फिर उन्हें संक्रमण से जल्द मुक्ति मिल चुकी है। वर्तमान में इन गांवों में एक भी संक्रमित व्यक्ति नही है। समय रहते छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांवों तक संक्रमण की रोकथाम के लिए शुरु किए गए उपायों की वजह से यह संभव हो पाया है।
राज्य के नगरीय क्षेत्रों में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्देश दिए थे कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं। इस निर्देश के बाद पहली लहर के दौरान गांवों में स्थापित क्वारंटाइन सेंटरों को पहले से अधिक मजबूत व्यवस्थाओं के साथ फिर से सक्रिय किया गया। अन्य राज्यों अथवा शहरी क्षेत्रों से गांव लौटने वाले व्यक्तियों तथा परिवारों को इन सेंटरों में ठहराने, उनकी जांच तथा उपचार की व्यवस्था की गई। घर-घर तक सर्वेक्षण कर संक्रमितों का पता लगाने के लिए मितानिनों, तथा स्वास्थ्य अमले के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को भी सक्रिय किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों ने सर्दी-बुखार के मरीजों की पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार में भी अपनी भागीदारी निभाई। कोरोना से बचाव एवं उपचार के प्रति जागरुकता लाने में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई।
मुख्यममंत्री बघेल के निर्देश पर समय रहते गांव-गांव तक आवश्यक दवाइयों के किट की आपूर्ति और उसका वितरण सुनिश्चित किया गया। जिला पंचायतों से लेकर ग्राम पंचायत तक के नेटवर्क के जरिये कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों की मानिटरिंग का काम स्वयं मुख्यमंत्री कर रहे हैं। वे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जन-प्रतिनिधियों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं, साथ ही फीडबैक के आधार पर अधिकारियों को निर्देशित भी कर रहे ह। राज्य में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए लगातार नये लैबों की स्थापना की गई। इससे सेंपलों की रोज होने वाली टेस्टिंग की संख्या 21-22 हजार से बढ़कर अब प्रतिदिन 70 हजार से अधिक हो चुकी है।
जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं को मजबूत किया गया। अस्पतालों में पूर्व से उपलब्ध बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ नये कोविड सेंटरों की स्थापना कर उपचार सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया गया। ग्रामीण क्षेत्र के गंभीर मरीजों को जल्दी से जल्दी अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके इसके लिए एंबुलेंस तथा अन्य वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई।
राज्य शासन द्वारा माइक्रो लेबल तक की गई चाक- चौबंद व्यवस्थाओं के कारण छत्तीसगढ़ के कुल 20 हजार 092 गांवों में से करीब आधे 9 हजार 462 गांव आज कोरोना के संक्रमण से मुक्त हैं। इसमें बालोद जिले के 704 में से 183 गांव, बलौदाबाजार जिले के 957 में से 402, बलरामपुर के 636 में से 102, बस्तर जिले के 589 में से 252, बेमेतरा जिले के 702 में से 311, बीजापुर जिले के 579 में से 491, बिलासपुर जिले के 708 में से 96, दंतेवाड़ा के 229 में से 158, धमतरी के 633 में से 176, दुर्ग के 385 में से 377, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 222 में से 39, गरियाबंद के 722 में से 342 गांव संक्रमण मुक्त हैं। इसी तरह जांजगीर-चांपा जिले के 887 में से 150 गांव, जशपुर के 766 में से 319, कांकेर के 1084 में से 792, कबीरधाम के 1035 में से 832, कोंडागांव के 569 में से 407, कोरबा के 716 में से 280, कोरिया के 638 में से 352, महासमुंद के 1153 में से 532, मुंगली में 711 में से 338, नारायणपुर में 422 में से 362, रायगढ़ में 1435 में से 173, रायपुर में 478 में से 261, राजनांदगांव में 1599 में से 1204, सुकमा में 406 में से 194, सुरजपुर में 544 में से 140 और सरगुजा जिले में 583 गांव में से 197 गांव संक्रमण मुक्त हैं।

रायपुर/ शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज सवेरे रायपुर के पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय पहुंचकर कोविड-19 से बचाव के टीके की दूसरी खुराक ली। उन्होने टीका लगवाने के बाद डॉक्टरों से टीकाकरण के बाद रखी जाने वाली सावधानियों की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे कोरोना से बचाव के लिए अपनी बारी आने पर टीका अवश्य लगवाएं। जिन लोगों ने टीके की पहली डोज लगवा ली है, वे निर्धारित समय में दूसरी डोज लगवाएं, क्योंकि टीका ही कोरोना से बचाव का एक कारगर उपाय है। टीका लगवाने के बाद भी सभी लोग कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करें । मास्क लगाएं, समय-समय पर हाथ की सफाई करें और फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखें। भीड़-भाड़ में जाने से बचें । मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी के सहयोग व परिश्रम से छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिली है। संक्रमण की दर वर्तमान में 5 प्रतिशत के नीचे आ गई है। जनता की सहूलियत के लिए लॉक डाउन में कुछ छूट दी गई है। सभी लोग सावधानी को अपनाएं जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती जा सके।
मुख्यमंत्री बघेल को श्रीमती दिपेश्वरी चंद्राकर ने टीका लगाया । इस अवसर पर गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. आर. के. सिंह, कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव, रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन और मुख्य चिकित्सा एवँ स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल, स्टॉफ नर्स सुश्री कविता निराला उपस्थित थी।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री, भारत रत्न पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए नमन किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा है कि पंडित नेहरू भारत भूमि के अनमोल रत्न थे, जिन्होंने देश की स्वाधीनता से लेकर इसके नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंडित नेहरू जन-जन के प्रिय नेता रहे हैं। आज भी भारतवासियों के दिल-दिमाग में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की अमिट छाप अंकित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित नेहरू ने देश के विकास के लिए लोकतंत्र को अपना मूलमंत्र बनाया और भारत को एक मजबूत आधार दिया। सामाजिक अधोसंरचना से लेकर सड़क, बिजली, पानी, रेलवे, विमानन जैसी भौतिक अधोसंरचना के विकास के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भिलाई स्टील प्लांट छत्तीसगढ़ को पंडित नेहरू की अनुपम सौगात है।

नई दिल्ली /शौर्यपथ / कैनबरा यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि हमारी आकाशगंगा ब्रह्मांड में सबसे अधिक अध्ययन की जाने वाली आकाश गंगा है क्योंकि हम यहां रहते हैं, लेकिन केवल एक आकाशगंगा के अध्ययन से सिर्फ उन जटिल प्रक्रियाओं के बारे में ही पता चल सकता है, जिनके द्वारा आकाशगंगाएं बनती हैं या विकसित होती हैं. दूर की अन्य आकाशगंगाओं के अध्ययन के बिना यह जिज्ञासा शांत नहीं हो सकती कि हमारी आकाशगंगा एक सामान्य आकाशगंगा है या यह असामान्य और अद्वितीय है. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स में प्रकाशित हमारे शोध के अनुसार हमारी आकाशगंगा के बारे में पहला अनुमान सही है. हमारी आकाशगंगा के स्वरूप के महत्वपूर्ण विवरण का मिलान अगर आसपास की आकाशगंगाओं के साथ किया जाए तो पता चलता है कि हमारा घर कुछ इतना भी खास नहीं है. पहली नजर में इस बात पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि ब्रह्मांड के अध्ययन योग्य भाग में जो अरबों आकाशगंगाएं हैं, उनमें हमारी आकाशगंगा न तो सबसे बड़ी है, न सबसे पुरानी और न ही सबसे विशाल. यह भी ब्रह्मांड की उन अन्य लहरदार आकाशगंगाओं जैसी दिखाई देती है, जो आकाशगंगाओं का सबसे सामान्य प्रकार है.
लेकिन जब हम आकाशगंगा की संरचना और इसके रासायनिक स्वरूप की बात करते हैं तो यह अलग दिखने लगती है. जब हम इन सर्पीली आकाशगंगाओं के सिरे (जहां सर्पिल भुजाएं बनना संभव नहीं है) से देखते हैं तो यह हमें एक उभरी हुई गोल आकृति जैसी दिखती हैं, जिनके बीच में आड़ू जैसी आकृति बनती है. खगोलविदों ने इसे कम से कम एक सदी से जाना है. हालांकि, वह साधारण तस्वीर 1983 में बदल गई, जब ऑस्ट्रेलियाई दूरबीनों का उपयोग करने वाले शोधकर्ताओं ने आकाशगंगा में एक प्राचीन "मोटी डिस्क" जैसे घटक की खोज की. पहले के अध्ययन में खोजी गई गोल आकृति जिसे पतली डिस्क कह सकते हैं, के मुकाबले यह संरचना धुंधली है और इस मोटी डिस्क को नग्न आंखों से देख पाना संभव नहीं है, जबकि पहले खोजी गई आकृति एक साफ रात में आकाश में सितारों की एक लकीर के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
पतली डिस्क, जहां हमारा सूर्य रहता है, लगभग एक हजार प्रकाश-वर्ष मोटी और लगभग एक लाख प्रकाश-वर्ष व्यास की है, और उसी तल में, मोटी डिस्क के बीच से होकर गुजरती है. मोटी डिस्क कुछ हज़ार प्रकाश-वर्ष मोटी तो है, लेकिन सितारों की संख्या के हिसाब से कम घनी है. हाल ही की एक दिलचस्प खोज से पता चलता है कि मोटी और पतली डिस्क में बहुत अलग प्रकार के तारे होते हैं. पतली डिस्क में जो सितारे हैं उनमें भारी तत्वों जैसे लोहा ("धातु", खगोल विज्ञान की भाषा में) और अपेक्षाकृत कम मात्रा में "अल्फा तत्व" (कार्बन, ऑक्सीजन, मैग्नीशियम, सिलिकॉन और कुछ अन्य) का उच्च अनुपात होता है. जबकि मोटी डिस्क में मौजूद सितारों में लगभग 100 गुना कम धातु होती है, लेकिन अल्फा तत्वों की अधिकता होती है.
इस डबल-डिस्क संरचना को इसके सितारों की विशिष्ट आबादी के साथ, कंप्यूटर विश्लेषण में दोहराना बहुत मुश्किल है क्योंकि लंबे समय तक, समान संरचना वाले कंप्यूटर मॉडल केवल एक विशिष्ट परिदृश्य में ही बनाए जा सकते थे. ऐसे में हमने चिली में यूरोपियन सदर्न आब्जर्वेटरी में बहुत बड़े टेलीस्कोप के जरिए हमारी आकाशगंगा जैसी दिखने वाली कुछ आकाशगंगाओं का अध्ययन किया.
इस दौरान एक खास आकाशगंगा यूजीसी 10738, जो लगभग 32 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है, के अध्ययन से पतली और मोटी परतों को अलग करने और उनमें तुलना करने के बाद हमें पता चला कि यूजीसी 10738 के सितारों की रासायनिक संरचना हमारी आकाशगंगा के सितारों की रासायनिक संरचना जैसी ही है. मोटी और पतली परत में मिलने वाले सितारों में धातु-समृद्ध और मैग्नीशियम की कमी वाले सितारों को आकाशगंगा के केंद्र के साथ एक पतली डिस्क में केंद्रित पाया, जबकि इसके ऊपर और नीचे कम धातु और मैग्नीशियम से भरे सितारों का एक अलग समूह मोटी डिस्क क्षेत्र में पाया. इसका सीधा अर्थ है कि वह दूर की आकाशगंगा उल्लेखनीय रूप से हमारे जैसी ही है और हमारी आकाशगंगा के बारे में शायद कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है.
इस खोज से पता चलता है कि आकाशगंगा में डिस्क संबंधी विशेषताएं इनके निर्माण की मानक प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती हैं. दूसरा तथ्य कि हमारी आकाशगंगा अन्य आकाशगंगाओं के समान ही है तो इसके अध्ययन से पूरे ब्रह्मांड के अन्य अबूझ रहस्यों को भी सुलझाया जा सकता है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ / सैन फ्रांसिस्को अमेरिका के कैलिफोर्निया के बे एरिया में बुधवार को हुई गोलीबारी की घटना में कई लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. सैंटा क्लारा काउंटी के डिप्यूटी शेरिफ के सहयोगी ने पत्रकारों को बताया, 'मैं घायल या मृतकों की सटीक संख्या नहीं बता सकता. लेकिन मैं आपको बता दूं कि इस घटना में कई घायल हुए हैं और कई लोगों की मौत हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि शूटर भी मारा गया है.
सांता क्लारा काउंटी शेरिफ कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, "सक्रिय शूटर" की रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस सैन जोस में लाइट रेल सार्वजनिक परिवहन सुविधा के लिए रवाना हुई. सैन जोस सिलिकॉन वैली का एक टेक हब है जहां करीब दस लाख लोग रहते हैं.
यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या शूटर वहीं का एक कर्मचारी था, लेकिन पुलिस ने कहा कि पीड़ितों में से कुछ साइट पर कर्मचारी थे.
अमेरिका में घातक बंदूक हिंसा का एक लंबा और दर्दनाक इतिहास रहा है, जिसमें लगातार दैनिक गोलीबारी के साथ-साथ हाई-प्रोफाइल सामूहिक हत्याएं शामिल हैं, जिन्होंने स्कूलों, कार्यस्थलों और शॉपिंग सेंटरों को निशाना बनाया है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ /न्यूयॉर्क अमेरिका में भारतीय मूल के एक सतर्क चालक ने घृणा अपराध के तहत पटरी पर धकेले गए एक एशियाई व्यक्ति को बचाने के लिए समय रहते अपनी ट्रेन के ब्रेक लगा दिए. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक घटना सोमवार की है जब 29 वर्षीय ट्रेन चालक तोबिन मदाथिल ने पटरी पर धकेले गए एक एशियाई व्यक्ति को देखकर तत्काल ट्रेन के आपातकालीन ब्रेक लगा दिए और ट्रेन पीड़ित से लगभग 30 फुट की दूरी पर रुक गई.
मदाथिल ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मैंने समय रहते ट्रेन रोक दी और यह पीड़ित से नहीं टकराई. भगवान का धन्यवाद.'' खबरों में कहा गया है कि ट्रेन रोके जाने से कुछ ही क्षण पहले एक सनकी व्यक्ति ने घृणा अपराध के तहत एशियाई व्यक्ति को पटरी पर धकेल दिया था. मदाथिल ने कहा कि वह अपनी ट्रेन से बाहर निकले और पीड़ित के पास पहुंचे जिसके माथे से खून निकल रहा था.
इसके बाद उन्होंने इस बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया. माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में पीड़ित को उपचार दिया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है. मदाथिल ने कहा कि वह जब भी ट्रेन चला रहे होते हैं तो हमेशा सतर्क रहते हैं और उनकी नजर पटरी तथा प्लेटफॉर्म पर रहती है.

नई दिल्ली/ शौर्यपथ / राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 80 फीसदी व्यापारी अब 1 जून से बाजार और फैक्ट्रियों को खोलने के पक्ष में हैं. दिल्ली में व्यापारियों के संगठन चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के एक सर्वे में यह बात सामने आई है. CTI के सर्वे में 560 व्यापारी एवं औद्योगिक संगठनों ने राय दी है कि कड़ी शर्तों के साथ बाजार और फैक्ट्रियां खोली जाएं.
कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में कमी आने के साथ हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों में कुछ शर्तों के साथ बाजार और फैक्ट्रियां खुलने लगी हैं. चूंकि दिल्ली में भी कोरोना संक्रमण में काफी गिरावट आई है इसलिए अब दिल्ली के व्यापारियों ने भी सरकार से बाजारों और फैक्ट्रियों को खोलने की गुहार लगाई है.
दिल्ली सरकार ने कोरोनावायरस के कारण भयावह होती स्थिति को देखते हुए 31 मई तक के लॉकडाउन की घोषणा की थी जो कि अगले सोमवार सुबह तक लागू रहेगा. सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार हर हफ्ते स्थिति की समीक्षा करके एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाकर बहुत ही संतुलित निर्णय ले रही थी. अब चूंकि सोमवार सुबह लॉकडाउन की अवधि समाप्त हो रही है इसलिए हमने दिल्ली के तमाम व्यापारियों के बीच एक सर्वे कराया है.
इस सर्वे में दिल्ली के लगभग 560 व्यापारी संगठनों ने हिस्सा लिया जिसमें मार्केट एसोसिएशन्स, इंडस्ट्री एसोसिएशन्स, होटल एवं रेस्टोरेन्ट एसोसिएशन्स, ब्यूटी एवं वेलनेस एसोसिएशन्स शामिल है. सर्वे में कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, चावड़ी बाजार, सदर बाजार, खारी बावली, करोल बाग, कमला नगर, लाजपत नगर, कनोट प्लेस, कीर्ति नगर, कृष्णा नगर, राजौरी गार्डन, नेहरू प्लेस, साउथ एक्स, शाहदरा, गांधी नगर, लक्ष्मी नगर, रोहिणी, पीतमपुरा, जनकपुरी, मालवीय नगर, द्वारका, ग्रेटर कैलाश आदि बाजारों के व्यापारियों ने हिस्सा लिया.
सीटीआई के कोषाध्यक्ष सुधीर जैन और उपाध्यक्ष नवदीप मल्होत्रा ने बताया कि इन 560 संगठनों में से लगभग 450 संगठनों का कहना था कि दिल्ली में कोरोना केस और संक्रमण दर कम हो रहे हैं इसलिए अब समय आ गया है कि दिल्ली में 1 जून से लॉकडाउन खोलते हुए बाजारों और फैक्ट्रियों को खोलने की अनुमति दी जाए. हालांकि, कुछ एसोसिएशन्स ने कहा कि लॉकडाउन 1 हफ्ते और आगे बढ़ा दिया जाए और कुछ एसोसिएशन्स ने कहा कि सरकार जो भी निर्णय लेगी वो उसके साथ हैं.
बृजेश गोयल ने कहा कि कुछ एसोसिएशन्स का कहना है कि ऑड-ईवन के आधार पर बाजारों को खोला जाए तो कुछ एसोसिएशन्स का कहना है कि रिटेल और होलसेल बाजारों के लिए टाइम अलग अलग होना चाहिए. कुछ एसोसिएशन्स का सुझाव था कि हफ्ते में 5 दिन ही दुकानें खुलें और शनिवार, रविवार को पूर्ण बंद रहना चाहिए.
कुछ मार्केट एसोसिएशन्स ने अनुरोध किया है कि रात्रि कर्फ्यू अभी जारी रहना चाहिए. लगभग 60% व्यापारियों का कहना था कि मेट्रो ट्रेन की सेवा पुनः शुरू होनी चाहिए नहीं तो सड़कों पर ट्रैफिक बहुत बढ जाएगा. 80% से ज्यादा व्यापारी संगठन चाहते हैं कि बाजारों में सैनिटाइजेशन होना चाहिए.
सीटीआई के सर्वे में दिल्ली के 28 औद्योगिक क्षेत्रों के फैक्ट्री मालिकों ने भी हिस्सा लिया जिसमें नरेला, बवाना, मंगोल पुरी, मायापुरी, उद्योग नगर, कीर्ति नगर, आनन्द पर्वत, शाहदरा, वजीरपुर, बादली, ओखला, झिलमिल आदि औद्योगिक क्षेत्रों के फैक्ट्री मालिक शामिल थे. सीटीआई के अनुसार वो इन सभी सुझावों की एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपेंगे.

नई दिल्ली / शौर्यपथ / लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय, अर्द्धशासकीय तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कार्यरत कर्मचारियों के हड़ताल करने पर पाबंदी को छह माह के लिये और बढ़ा दिया है .पिछली बार यह पांबदी 25 नवंबर 2020 को लगायी गयी थी .
कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि सरकार ने उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के अधीन अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हड़ताल पर और छह महीने की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
बयान के अनुसार, इस संबंध में आवश्यक आदेश 25 मई को जारी कर दिये गये हैं.सिंघल ने बताया कि राज्य के कार्य-कलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व तथा नियंत्रण के तहत किसी सेवा तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी सेवा के कर्मचारियों के लिए हड़ताल निषिद्ध की गई है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/ डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सरकार ने बुधवार से लागू हुए नए नियमों के अनुपालन पर ब्योरा देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. नए नियम - डिजिटल सामग्री को विनियमित करने के लिए - एक आचार संहिता और एक त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण ढांचा पेश करते हैं. इनमें भारत स्थित अनुपालन अधिकारियों की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक सामग्री की निगरानी, अनुपालन रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना भी शामिल है. यह कदम इलैक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नलॉजी मंत्रालय के ठीक ऐसे ही नोटिस के एक दिन बाद आया है जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नए नियमों के तहत जानकारी मांगी गई थी. आईटी मंत्रालय ने कहा था कि जितना जल्दी हो सके, यह जानकारी दी जाए.
नए नियमों के तहत सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कंपनी के नाम, निदेशक के नाम, पते, फोन नंबर, शिकायत निवारण अधिकारी, स्वनियमन की व्यवस्था आदि की जानकारी मांगी. मंत्रालय के मुताबिक अभी तक करीब 60 डिजीटल न्यूज प्लेटफॉर्म ने बताया है कि उन्होंने नए नियमों के तहत सेल्फ रेग्यूलेशन संस्था बनाना शुरू कर दिया है. कुछ प्रकाशकों ने मंत्रालय को नए नियमों के तहत पंजीकरण कि लिए लिखा है.
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने डिजीटल मीडिया प्लेटफॉर्म को तीन श्रेणियों में बांटा है. पहली श्रेणी उन परंपरागत प्रकाशकों की है जो अपने अखबार या टीवी के अलावा डिजीटल माध्यम में समाचार देते हैं. दूसरी श्रेणी डिजीटल न्यूज प्रकाशकों की है. तीसरी श्रेणी ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म की बनाई गई है जो डिजीटल माध्यम से मनोरंजन तथा दूसरी जानकारियां देते हैं.
पहली श्रेणी के प्रकाशकों से बुनियादी सूचनाएं जैसे नाम, यूआरएल, भाषा, ऐप, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी पूछी गई. साथ ही, उन्हें टीवी चैनल की अनुमति, या अखबार का आरएनआई पंजीकरण क्रमांक, कॉंटेक्ट सूचना, और शिकायत निवारण की व्यवस्था के बारे में बताना होगा.
दूसरी श्रेणी में भी तकरीबन यही जानकारियां मांगी गईं लेकिन इसमें कंपनी आइडेंटिफिकेशन नंबर और निदेशक मंडल की जानकारी भी पूछी गई है अगर वे कंपनियां हैं तो.
तीसरी श्रेणी में भी नाम, पता, यूआरएल, ऐप का नाम वगैरह पूछा गया है. विदेशी ओटीटी के मामलों में पंजीकरण का देश बताना होगा और भारत में किस दिन से काम शुरू किया यह भी बताना होगा. ओटीटी को भी शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में जानकारी देनी होगी जिसमें कंटेट मैनेजर का नाम भी बताना होगा.
गौरतलब है कि नए नियमों को कई डिजीटल प्रकाशकों ने अलग-अलग हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है. उनकी याचिकाओं पर नोटिस जारी किए गए हैं.

नई दिल्ली/ शौर्यपथ / कोरोनावायरस के बाद अब भारत में महामारी का रूप ले चुके ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमायकोसिस से निपटने के लिए सरकार युद्ध स्तर पर जुट गई है. इसके इलाज के लिए डॉक्टर लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी नाम के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं. इस दवा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने पांच और कंपनियों को इसे बनाने का लाइसेंस दिया है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी लगातार इस सिलसिले में अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यह दवा दुनिया के जिस भी कोने में भा उपलब्ध हो, उसे तुरंत भारत लाया जाए. उनके निर्देश के बाद दुनिया भर में फैले भारतीय दूतावास अपने-अपने देशों में उपलब्ध इस दवा को भारत भेजने में जुट गए हैं. इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों का असर देखने में मिला है. इसके लिए अमेरिका की गलियड साइंसेज नाम की कंपनी से मदद मिली है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक गलियड साइंसेज एंबीसॉम को फार्मास्यूटिकल कंपनी मायलन के जरिए भारत भेजने के काम में तेजी ला रही है. अभी तक इसकी 121,000 वायल या शीशियां भारत भेजी जा चुकी हैं. जल्दी ही 85,000 वायल और पहुंचने वाली है.
गलियड साइंसेज ने मायलन के जरिए भारत में एंबीसॉम की दस लाख खुराक भेजने का लक्ष्य रखा है. कंपनी ने यह भी कहा है कि दुनिया के अन्य देशों में उपलब्ध इस दवा का स्टॉक हटाया जा रहा है और उसे भारत भेजा जाएगा.

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