March 29, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

  सेहत टिप्स /शौर्यपथ /लहसुन अपनी तेज सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है. लहसुन का उपयोग दुनिया भर के कई व्यंजनों में किया जाता है और यह अपने संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जाना जाता है, जिसमें इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देना और हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करना शामिल है. लहसुन की चाय एक हर्बल अर्क है जिसे लहसुन की कलियों को गर्म पानी में डुबाकर बनाया जाता है. इसका सेवन मुख्य रूप से इसके संभावित औषधीय गुणों के लिए किया जाता है, जैसे सर्दी के लक्षणों से राहत, पाचन को बढ़ावा देना और इम्यूनिटी में सुधार करना. यहां हम लहसुन की चाय के सेवन के कई लाभों और इसे तैयार करने के तरीके के बारे में बता रहे हैं.
लहसुन की चाय के 8 फायदे |
1. इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है
लहसुन की चाय अपने पावरफुल एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के लिए जानी जाती है. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकता है.
2. हार्ट हेल्थ में सुधार करता है
लहसुन में ऐसे यौगिक होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं. ये हार्ट डिजीज के खतरे को कम कर सकते हैं और ऑलओवर हेल्थ में सुधार करने के लिए जाने जाते हैं.
3. शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है
लहसुन की चाय में डिटॉक्सिफिकेशन गुण होते हैं जो लिवर, किडनी और अन्य अंगों को साफ करने में मदद कर सकते हैं. ये टॉक्सिन्स को खत्म करने और हेल्दी सेल्स फंक्शन को बढ़ावा देने में सहायता करता है.
4. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन को रोकता है
लहसुन की चाय के जीवाणुरोधी गुण सर्दी, खांसी और फ्लू जैसे रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के लक्षणों को रोकने और कम करने में मदद कर सकते हैं. ये सूजन को शांत कर सकता है और तेजी से रिकवरी को बढ़ावा दे सकता है.
5. सूजन को कम करता है
लहसुन की चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं. इससे उन लोगों को फायदा हो सकता है जो गठिया, अस्थमा या पाचन संबंधी विकारों जैसी सूजन संबंधी स्थितियों से पीड़ित हैं.
6. पाचन में सहायता करता है
लहसुन की चाय का सेवन पाचन एंजाइमों को बनाने और मल त्याग को कंट्रोल करके हेल्दी पाचन को प्रोत्साहित कर सकता है. ये अपच के लक्षणों को कम करने और पोषक तत्वों के एब्जॉर्ब्शन में सुधार करने में भी मदद कर सकता है.
7. वजन घटाने को बढ़ावा देता है
लहसुन की चाय वजन घटाने में सहायता कर सकती है क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और फैट बर्न करने को बढ़ावा देती है. ये भूख को कंट्रोल करने और लालसा को कम करने में भी मदद कर सकता है, जिससे हेल्दी वेट बनाए रखना आसान हो जाता है.
लहसुन की चाय तैयार करने के लिए सामग्री
    3-4 लहसुन की कलियां (छिली और कुटी हुई)
    2 कप पानी
    आप स्वाद के लिए शहद, नींबू या अदरक मिला सकते हैं.
कैसे बनाएं
    लहसुन की कलियों को छीलकर पीस लें.
    एक बर्तन में पानी उबाल लें.
    उबलते पानी में कुचली हुई लहसुन की कलियां डालें और इसे 10-15 मिनट तक उबलने दें.
    वैकल्पिक: स्वाद के लिए शहद, नींबू या अदरक मिलाएं.
    बर्तन को आंच से उतार लें और चाय को एक कप या मग में छान लें.
    सेवन करने से पहले इसे थोड़ा ठंडा होने दें.

  खाना खजाना /शौर्यपथ /स्नैक के साथ चटनी हमेशा एक अच्छा ऑप्शन बनती है. अगर आप भी चटनी खाने के शौकीन हैं और होली पर घर आए गेस्ट को स्नैक्स के साथ सॉस को नहीं पेयर करना चाहते हैं तो आप चटपटी इमली की चटनी बना सकते हैं. इमली की चटनी को बनाना बहुत ही आसान है. होली पर तरह-तरह के स्नैक्स बनाएं जाते हैं. होली पर्व को पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन होलिका दहन होता है. उसके बाद अगले दिन रंग-गुलाल से होली का त्योहार मनाया जाता है. इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं इमली की चटनी बनाने की आसान रेसिपी.
कैसे बनाएं इमली की चटनी-
सामग्री-
    इमली
    चीनी
    काला नमक
    लाल मिर्च
    काली मिर्च
    भुना जीरा
    हरी मिर्च
    हरा धनिया
विधि-
सबसे पहले इमली को गरम पानी में 2 घंटे के लिए भिगो दें. इसके बाद इसमें छलनी से छानकर गूदे को अलग निकाल दें और पानी को अलग कर लें. अब इस पानी में लालमिर्च, काला नमक, पीसा हुआ भुना जीरा पाउडर, थोड़ी कालीमिर्च डालकर और हल्की सी चीनी डालकर अच्छी तरह मिला लें. अब इसमें, बारीक कटी हरी धनिया मिक्स करें. स्वादिष्ट चटनी तैयार है.
इमली के स्वास्थ्य लाभ-
इमली खाने से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. इमली को सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इमली में एंटीऑक्सीडेंट, फाइटोकेमिकल्स है और विटामिन ए, सी, ई, के, बी 6, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन जैसे अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.

  खाना खजाना /शौर्यपथ /होली का त्योहार प्रेम, उमंग और उल्लास को दर्शाता है. होली बसंत ऋतु में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है. होली पर्व को पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन होलिका दहन  होता है. उसके बाद अगले दिन रंग-गुलाल से होली का त्योहार मनाया जाता है. इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी. होली पर तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाएं जाते हैं. होली के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर गुलाल लगाते हैं. घर में गेस्ट आते हैं. अगर आप भी इस होली अपने घर आए गेस्ट को स्नैक्स में कुछ स्वादिष्ट खिलाना चाहते हैं तो आप इस रेसिपी को ट्राई कर सकते हैं.  
कैसे बनाएं सेव पूरी रेसिपी-
सामग्री-
    मैदा
    सूजी
    उबला मैश किया आलू
    प्याज, टुकड़ों में कटा हुआ
    टमाटर
    स्वादानुसार नमक
    लाल चटनी
    इमली चटनी
    हरी चटनी
    तेल जरूरत के अनुसार
    अजवाइन
    चाट मसाला
    एक चुटकी जीरा पाउडर
    नींबू का रस
विधि-
एक बाउल में मैदा, सूजी, नमक अजवाइन और तेल डालकर मिक्स करें, फिर पानी डालकर एक डो तैयार करें. फिर इस डो को रोटी की तरह बेल लें और छोटे गोल कटर की मदद से छोटी छोटी पूरी कट कर लें.  एक पैन या कढ़ाही में तेल गरम करें और पूरियों को क्रिस्पी और गोल्डन होने तक फ्राई करें. अब एक प्लेट में पूरियों को लगाएं, इस पर उबला मैश आलू, प्याज, टमाटर डालें. तीनों चटनियां डालें, फिर सेव, चाट मसाला, नमक और जीरा पाउडर डालें. आखिर मे नींबू का रस डालकर सर्व करें.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि जो भक्त संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं उनपर भगवान गणेश अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. फाल्गुन मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि शिव-पार्वती पुत्र गणेश भगवान की पूजा करने से घर में सिद्धि आती है. इससे पूजा करने वाले भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है और बप्पा सदैव भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं. जानिए इस माह किस दिन रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत और कैसे की जा सकती है बप्पा की पूजा.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब है |
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी तिथि का आरंभ 28 फरवरी की रात 1 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 29 फरवरी की सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी, बुधवार के दिन रखा जाएगा.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में उठना बेहद शुभ माना जाता है. इसके पश्चात स्नान किया जाता है, स्वच्छ वस्त्रों का धारण करते हैं और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. पूजा करने के लिए चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान गणेश की प्रतिमा या मूर्ति विराजित की जाती है. इसके बाद गणपति बप्पा के समक्ष रोली, अक्षत, पंचामृत, दूर्वा, जनेऊ, सिंदूर और सुपारी आदि अर्पित किए जाते हैं. अब दीपक जलाकर बप्पा की आरती की जाती है, गणेश चालीसा का पाठ होता है और संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ी जाती है. भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और संध्याकाल में बप्पा की आरती के पश्चचात फलाहार किया जाता है. अगली सुबह पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण होता है. कहते हैं इस व्रत को रखने पर बप्पा प्रसन्न हो जाते हैं.

  आस्था /शौर्यपथ /तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व रखता है. पुराणों मे तुलसी को मां का दर्जा मिला है. यही कारण है कि इस पौधे की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पवित्र पौधा लगा होता है उस घर में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि बनी रहती है. इससे घर की नेगेटिविटी दूर होती है. ऐसे में आज इस महत्वपूर्ण पौधे में जल के अलावा और क्या चढ़ाना चाहिए, उसके बारे में बताने वाले हैं.  भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है यह फल, जरूर चढ़ाएं पूजा करते समय शिवलिंग पर
तुलसी के पौधे पर जल के अलावा चढ़ाते हैं ये चीजें
हिंदू परिवारों में नियमित रूप से तुलसी की पूजा की जाती है. तुलसी पूजन के कुछ खास नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. इनमें रविवार और द्वादशी तिथि को तुलसी के पौधे जल चढ़ाने से मना किया जाता है. तुलसी पर जल चढ़ाने की परंपरा से तो सब वाकिफ हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि तुलसी पर और कई चीजें चढ़ाई जाती हैं. इनमें गन्ने का रस और कच्चे दूध का भी काफी महत्व है.
तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने के कई फायदे
हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने के कई फायदे बताए गए हैं. इनमें सबसे पहला लाभ यह माना जाता है कि घर-परिवार से क्लेश और लड़ाई-झगड़ा खत्म होता है. मान्यता है कि भगवान शिव को बेहद प्रिय कच्चे दूध को तुलसी के पौधे पर चढ़ाने से घर की आमदनी बढ़ती है, धन का लाभ होता है. लोगों का आर्थिक संकट दूर होता है और घर में खुशहाली आती है.
तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने का तरीका
तुलसी में सीधे कच्चा दूध नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि जल के साथ कच्चा दूध मिलाकर अर्पित किया जाता है. खासकर गुरुवार के दिन ऐसा जरूर करना चाहिए. ऐसा करने वालों को भगवान विष्णु की कृपा भी बनी रहती है. क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं. परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
तुलसी की नियमित पूजा में बरतें यह सावधानी
तुलसी की नियमित पूजा करने वाले भक्तों को सावधानी रखनी चाहिए कि कभी भी अशुद्ध हाल में तुलसी को नहीं छूना चाहिए. वहीं, घर में दक्षिण दिशा में तुलसी के पौधे नहीं लगाने चाहिए. तुलसी का गमला भी नहीं रखना चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. भगवान शिव को भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए.

  आस्था /शौर्यपथ /तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व रखता है. पुराणों मे तुलसी को मां का दर्जा मिला है. यही कारण है कि इस पौधे की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पवित्र पौधा लगा होता है उस घर में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि बनी रहती है. इससे घर की नेगेटिविटी दूर होती है. ऐसे में आज इस महत्वपूर्ण पौधे में जल के अलावा और क्या चढ़ाना चाहिए, उसके बारे में बताने वाले हैं.  भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है यह फल, जरूर चढ़ाएं पूजा करते समय शिवलिंग पर
तुलसी के पौधे पर जल के अलावा चढ़ाते हैं ये चीजें
हिंदू परिवारों में नियमित रूप से तुलसी की पूजा की जाती है. तुलसी पूजन के कुछ खास नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. इनमें रविवार और द्वादशी तिथि को तुलसी के पौधे जल चढ़ाने से मना किया जाता है. तुलसी पर जल चढ़ाने की परंपरा से तो सब वाकिफ हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि तुलसी पर और कई चीजें चढ़ाई जाती हैं. इनमें गन्ने का रस और कच्चे दूध का भी काफी महत्व है.
तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने के कई फायदे
हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने के कई फायदे बताए गए हैं. इनमें सबसे पहला लाभ यह माना जाता है कि घर-परिवार से क्लेश और लड़ाई-झगड़ा खत्म होता है. मान्यता है कि भगवान शिव को बेहद प्रिय कच्चे दूध को तुलसी के पौधे पर चढ़ाने से घर की आमदनी बढ़ती है, धन का लाभ होता है. लोगों का आर्थिक संकट दूर होता है और घर में खुशहाली आती है.
तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध चढ़ाने का तरीका
तुलसी में सीधे कच्चा दूध नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि जल के साथ कच्चा दूध मिलाकर अर्पित किया जाता है. खासकर गुरुवार के दिन ऐसा जरूर करना चाहिए. ऐसा करने वालों को भगवान विष्णु की कृपा भी बनी रहती है. क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं. परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
तुलसी की नियमित पूजा में बरतें यह सावधानी
तुलसी की नियमित पूजा करने वाले भक्तों को सावधानी रखनी चाहिए कि कभी भी अशुद्ध हाल में तुलसी को नहीं छूना चाहिए. वहीं, घर में दक्षिण दिशा में तुलसी के पौधे नहीं लगाने चाहिए. तुलसी का गमला भी नहीं रखना चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. भगवान शिव को भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / होली का त्योहार खुशी और मेलजोल का एक शानदार मौका है. साथ ही यह आगे की खुशियों की तसल्ली कर लेने का भी समय है. दुनिया भर के हिंदू परिवार होली पर न सिर्फ रंग और गुलाल के साथ खुलकर जश्न मनाते हैं, मिठाइयां खाते और बांटते हैं, बल्कि भगवान को धन्यवाद कहते हैं. कुछ लोग होली पर कई ऐसे धार्मिक उपाय भी आजमाते हैं जिनसे उनकी दिक्कतें दूर हो जांए. कुछ खास उपाय आजमाने से आपकी परेशानी दूर होने की मान्यता लंबे समय से चली आ रही है. इनमें से एक है होली की रात घर में सरसों के तेल का दीया या दीपक जलाना. कहा गया है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए, दीपक को जलाने के समय और तरीके के बारे में जानते हैं.
कब जलाएं होली की रात दीया
- होली की रात घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल से भरा मिट्टी का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से घर में मौजूद निगेटिव एनर्जी खत्म होती है. इसके साथ ही घर और परिवार के लोगों में सकारात्मक उर्जा का वास होता है.
- होली की रात घर में सरसों के तेल का दीपक जलने से धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, ऐसा माना जाता है. हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए हर तरह के जतन किए जाते हैं. लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है. धन की समस्या तो बिल्कुल खत्म हो जाती है.
- अगर लंबे समय से कोशिश करने के बावजूद किसी काम में सफलता नहीं मिल रही हो तो आपको होली की रात घर में सरसों तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए. इससे आपकी कामयाबी के रास्ते खुलेंगे, ऐसा माना जाता है.
- अगर परिवार में आपस में नहीं बन रही हो, घर में कलेश रहता हो, अपने लोगों के बीच बेवजह विवाद होता हो तो होली की रात घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल से भरा मिट्टी का चौमुखी दीप जलाने का उपाय करना चाहिए. माना जाता है कि इससे परिवार में प्रेम बढ़ेगा और घर में शांति का वास होता है.
- ये भी माना जाता है कि होली की रात सरसों तेल के दीपक जलाने के उपाय से घर में लड़ाई-झगड़े नहीं होंगे, माहौल अच्छा होगा तो खुशहाली को आने से भला कौन रोक सकता है.
- अगर आप बेरोजगार हैं, कोशिश करने के बावजूद सही नौकरी नहीं मिल रही है तो होली की रात घर के मेन गेट पर सरसों का तेल भरकर मिट्टी का चौमुखी दीपक जरूर जलाएं. इसके बाद मनचाही नौकरी मिलने में मदद मिलेगी. कहा भी गया है कि माता लक्ष्मी की कृपा हो जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है.

शौर्यपथ राजनीति । लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने राजेन्द्र साहू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। देश में 7 चरणों में हो रहे चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में मतदान होना है ऐसे में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के पास काफी समय है प्रचार के लिए । एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय बघेल जिनकी चुनावी प्रचार की शैली निरंतर तेजी से बढ़ रही है और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में दिख रही भीड़ भी यह बता रही है कि भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी विजय बघेल अपने पिछले सर्वाधिक मतों से जीत के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू भी चुनावी प्रचार प्रसार में लग चुके हैं परंतु राजन साहू के साथ बड़ी परेशानी है कि पिछले 5 सालों में कांग्रेस सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने के बावजूद भी राजेंद्र साहू ने कोई ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं की जिसे जनता के सामने बताया जा सके हालांकि राजेंद्र साहू किसी संवैधानिक पद में नहीं रहे कांग्रेस सरकार के आखिरी सालों में जरूर जिला सहकारी केंद्रीय ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष रहे परंतु साल भर के कार्यकाल में किसी बड़ी उपलब्धि की चर्चा नहीं हुई वहीं कुछ तथाकथित कांग्रेसी जो पत्रकारिता का चादर ओढ़े चाटुकारिता का प्रदर्शन करते हुऐ यह जरूर दिखाने की कोशिश किया जा रहा है कि 10 साल पहले राजेंद्र साहू ने बड़े जोश खरोश उसके साथ चुनाव लड़ा और जीत के करीब पहुंचे थे परंतु 10 साल पहले की स्थिति और आज की स्थिति में काफी अंतर है वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी की संगठात्मक क्षमता काफी मजबूत हुई है वहीं कांग्रेस पार्टी में अभी भी आपसी मतभेद अपनी चरम सीमा पर है हाल ही में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में जिस तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का भाजपा में प्रवेश हुआ जिसमें युवा वर्गों का एक बड़ा जत्था कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुआ वहीं दूसरी ओर राजेंद्र साहू के पास युवक की वैसे टीम नहीं है जो पूरे तन मन से चुनावी प्रचार में राजेंद्र साहू के साथ रहे कांग्रेस कार्यकाल के समय जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा चखना सेंटर का संचालन ,ठेकेदारी में संलिप्त मदन जैन भी ऋषभ जैन जैसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का खुलेआम विषय विधानसभा में कांग्रेस के विरोध में कार्य करने का आप राजेंद्र साहू और वोरा गुट में पोस्टर वार को लेकर आपसी मतभेद और कांग्रेसी का कार्यालय में भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यकर्ताओं का कांग्रेस के पक्ष में समर्थन मांगना यह सब राजेन्द्र साहू के लिए चुनावी परिणाम को विपरीत दिशा में ले जा रहा है । 

  दुर्ग विधानसभा क्षेत्र की ही बात करें तो दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के एम आई सी मेंबर अभी तक खुलकर चुनावी प्रचार में सामने नहीं आ पाए हैं वही दुर्ग कांग्रेस के बड़े नेता अरुण वोरा , आर एन वर्मा , शंकर ताम्रकार, धीरज बाकलीवाल जैसे भी उस तरह से चुनावी प्रचार में नहीं दिख रहे हैं जिसकी कांग्रेस को जरूरत है वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी पार्षदों का एवं कांग्रेस के समर्थन में पिछले विधानसभा चुनाव में कार्य करने वाले जनप्रतिनिधियो का भाजपा में जाना भी यह इशारा कर रहा है कि वर्तमान में भी वही स्थिति की निर्मित हो रही है जिस तरह से विधानसभा चुनाव में निर्मित हुई थी आपसी गुटबाजी दुर्ग कांग्रेस की एक बड़ी कमजोरी रही है इससे 5 सालों में राजेंद्र साहू ने पाटन क्षेत्र में ही अपना ध्यान आकर्षित किया दुर्ग की राजनीति से वह दूर रहे संगठन में रहते हुए भी पिछले 5 सालों में राजेंद्र साहू द्वारा अपने जमीन के व्यापार को बढ़ाने और पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने की चर्चा भी शहर में जोरों पर है । साथी है अभी चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग जिला मुख्यालय में ऐसा कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ जिसे उपलब्धि के रूप में आम जनता याद कर सके कांग्रेस के युवाओं की टीम की स्थिति भी सभी को नजर आ रही है वर्तमान स्थिति में भी कांग्रेसी युवा टीम भारतीय जनता पार्टी युवा टीम क्या आगे काफी कमजोर प्रतीत हो रही है कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र साहू के पास अभी भी काफी समय है सिर्फ साहू समाज की बहुलता के और साहू समाज के प्रत्याशी होने के लाभ को अगर देखते हुए राजेंद्र साहू चुनावी मैदान में उतरते हैं तो कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए दुर्ग लोकसभा का यह चुनाव भी एक ऋनात्मक परिणाम के रूप में सामने आएगा ।

लेख का आधार, क्षेत्र में हो रही राजनैतिक चर्चा 

    राजनांदगांव / शौर्यपथ / संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर ने आज लोकसभा निर्वाचन 2024 के लिए कलेक्टोरेट के प्रथम तल में स्थित जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) के मीडिया सेंटर का निरीक्षण किया। इस दौरान कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संजय अग्रवाल उपस्थित थे। संभागायुक्त श्री सत्यनारायण राठौर ने इलेक्ट्रानिक मीडिया इकाई, प्रिंट मीडिया इकाई, सोशल मीडिया इकाई का निरीक्षण किया। संभागायुक्त ने कहा कि निर्वाचन के महत्वपूर्ण कार्य के लिए सभी अधिकारी-कर्मचारी गंभीरतापूर्वक करेंगे और ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। उन्होंने मीडिया सेंटर में संधारित पंजी का अवलोकन किया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा नवीन प्रताप सिंह तोमर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री खेमलाल वर्मा, उप संचालक जनसंपर्क एवं सचिव एमसीएमसी डॉ. उषा किरण बड़ाईक, सहायक सूचना अधिकारी श्री प्रवीण रंगारी सहित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

घोटाला का खुलासा होते ही रमाकांत शर्मा का अचानक हुआ लेखा विभाग में स्थानान्तरण

   दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिका निगम में गुमटी घोटाला एक ऐसा घोटाला है जहां पर बिना शासन की अनुमति के ठेकेदार द्वारा लाखों रुपए की गुमटी बनाकर बेच भी दिया गया आखिर किस अधिकार के तहत ठेकेदार विकास गर्ग ने शासकीय भूमि पर गुमटी बनाकर कुछ निजी व्यक्तियों तथा वेंडरो को बेचा ? क्या ठेकेदार विकास गर्ग के ऊपर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए जिसने बिना किसी आदेश के बिना किसी निर्देश के शासकीय भूमि पर दर्जनों गुमटी का निर्माण कराया एवं लाखों रुपए में ऐसे लोगों को गुमटी का विक्रय किया जो स्ट्रीट वेंडर भी नहीं है या फिर ऐसे स्ट्रीट वेंडर जिनको पूर्व में भी नगर निगम के द्वारा व्यवस्थापन के तहत गुमटी आवंटन हो चुका है.
   बड़ा सवाल उठता है कि सिटी मिशन प्रबंधन इकाई के सहायक परियोजना अधिकारी रमाकांत शर्मा के कार्यालय से दो अलग-अलग तरह की जानकारियां प्राप्त हुई जिससे गुमटी घोटाले में तात्कालिक सहायक परियोजना अधिकारी  शर्मा की भूमिका भी संगधीत नजर आ रही है बता दे की गुमटी घोटाला के मामले का खुलासा होने के चंद दिनों में ही रमाकांत शर्मा का तबादला सहायक परियोजना अधिकारी से लेखा अधिकारी के रूप में कर दिया गया .
   वहीं नगर निगम में चर्चा का विषय है कि इस गुमटी घोटाले में लाखों रुपए के लेनदेन और सिटी मिशन प्रबंधन इकाई की बिना जानकारी के संभव नहीं .भारत सरकार की स्ट्रीट वेंडर को व्यवस्थापन की योजना का खुलकर बंदर बाट नगर पालिक निगम दुर्ग में सिटी मिशन प्रबंध विभाग द्वारा किया गया सिटी मिशन प्रबंध निकाय के नोडल अधिकारी से जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई तो प्रथम आवेदन में मामले को एक साधारण प्रक्रिया मानते हुए सहायक परियोजना अधिकारी कार्यालय से 10 अक्टूबर को जिला अस्पताल परिसर के सामने स्थित गुमटी के सर्वे रिपोर्ट एवं सर्वे रिपोर्ट की सूची प्रदान की गई जब मामला का उजागर हुआ तब एक जवाब फिर से सहायक परियोजना अधिकारी के कार्यालय से प्राप्त हुआ जिसमें सर्वे के कार्य में विभाग की अनिभिज्ञता की बात कही गई .दोनों ही विपरीत बातें कहीं ना कहीं सहायक योजना अधिकारी कार्यालय की और एक बड़े भ्रष्टाचार के ओर इशारा कर रही है .
  आज वही दुर्ग नगर पालिक निगम का लेखा विभाग एक ऐसे अधिकारी के पास है जिनके कार्यकाल में दुर्ग नगर निगम के गुमटी घोटाला का एक बड़ा मामला सीना ताने हुए खड़ा है और नगर निगम के उच्च अधिकारी भी इस मामले पर निष्पक्ष जांच नहीं कर पा रहे हैं
  एक तरफ वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार सुशासन की बात कर रही है वहीं दुर्ग नगर पालिका निगम के अंतर्गत गुमटी घोटाले में लाखों रुपए के घोटाले और भ्रष्टाचार की आंच को सभी महसूस कर रहे हैं और यह मामला सामान्य सभा के बजट सत्र में विपक्षी पार्टियों सहित सत्ता रूढ़ पार्षदों द्वारा भी पुरजोर तरीके से उठाया गया परंतु दुर्ग नगर पालिका निगम प्रशासन द्वारा इस गुमटी घोटाले की जांच आखिर क्यों नहीं की जा रही यह एक बड़ा सवाल आम जनता के सामने है...

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