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दुर्ग / शौर्यपथ / पिछले दिनों दुर्ग नगर पालिक निगम के शहरी सरकार के शिक्षा एवं खेलकूद के मंत्री मनदीप भाटिया शहर के एक बड़े होटल में जुआ खेलते हुए पकडाए मंदीप भाटिया के साथ कुछ ऐसे भी लोग थे जो कम उम्र के युवा थे . सभी लखपति करोडपति पारिवारिक पृष्ठभूमि के थे जिनके लिए लाखो रूपये देखना और खर्च करना बड़ी बात नहीं ऐसे में सिर्फ लगभग 35 हजार का जुआ रकम जब्त होना शहर में चर्चा का विषय तो है ही वही बड़ी चर्चा दुर्ग निगम के वार्ड पार्षद एमआईसी प्रभारी का जुआरी के रूप में पकड़ना चर्चा का विषय ज्यादा बना . समाज में जनप्रतिनिधि का आचरण एक आदर्श के रूप में माना जाता है किन्तु अगर वार्ड पार्षद ही ऐसा कृत्य करे तो आश्चर्य दुगना हो जाता है . वही आश्चर्य की बात यह है कि जुआ जैसे निम्नस्तरीय मामले में नाम आने के बाद भी विपक्ष द्वारा किसी तरह का विरोधाभास ब्यान जारी करना तो दूर इस मामले में बात तक नहीं किया जा रहा जबकि चंद महीनो में ही निगम चुनाव होने वाले है .
निगम के ऐसे कई पार्षद है जो सवैधानिक पद में रहते हुए भी संविधान से प्राप्त शक्तियों का अपरोक्ष रूप से अपने असंवैधानिक कार्यो में फायदा उठा रहे है . ऐसा नहीं कि सिर्फ कांग्रेस पार्षद ही असंवैधानिक कार्य कर रहे इनमे कांग्रेस सहित भाजपा पार्षद भी शामिल है . दुर्ग निगम में ऐसे कई पार्षद है जो पार्षद बनते ही संवैधानिक पद का लाभ उठाते हुए निगम के कार्यो में ठेकेदारी में सलग्न हो जाते है इन कार्यो में इतनी सावधानी जरुर रखते है कार्य किसी और कंपनी के नाम चाहे वो भाई हो /भतीजा हो /दोस्त हो / रिश्तेदार हो परन्तु होल्ड पूरा उनका ही रहता है . ऐसे पार्षदों की लम्बी सूची है आज हम कांग्रेस के पार्षदों की बात करते है जिनके कार्यकाल में उनके सामने असंवैधानिक कार्य हो रहे है और वो मौन है .
01. अल्ताफ अहमद पूर्व पार्षद , मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक वोरा के काफी करीबी माने जाते है हालाँकि वर्तमान में ये पार्षद नहीं है किन्तु महिला आरक्षण होने से इनकी बहन वार्ड पार्षद है इनकी जिस स्थान पर ( साईं द्वार के सामने लोक कला मार्ग पर बैठक है उस स्थान पर नारियल पानी वाले द्वारा अवैध कब्जा कर दुकान का संचालन किया जा रहा है कब्जे का स्थान लगातार बढ़ता जा रहा है एक की जगह अब तीन से चार ठेले लग रहे हैं चौक पर होने के कारण दुर्घटना की स्थिति हमेशा निर्मित होती है क्या एक जनप्रतिनिधि का यह कर्त्तव्य भी नहीं कि वह शहर के यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप रखने के लिए ऐसे अवैध अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही करने के लिए निगम अधिकारियों को निर्देशित करें परंतु यहां पर ऐसा कहीं नजर नहीं आ रहा क्या समाज को ऐसे जनप्रतिनिधि की आवश्यकता है .
प्रकाश गीते यह भी पूर्व विधायक का अरुण वोरा के खास है इन्होंने तो गत विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र से ही कांग्रेस के लिए विधायक की दावेदारी ठोक दी थी विवाद के बाद हालांकि इन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली परंतु विवाद तो सभी के सामने आ ही गया उनके वार्ड में इन्होंने नाले के बगल में अवैध कब्जा कर एक भवन भी बना लिया जिस पर अवैध रूप से बिजली कनेक्शन भी लगा दिया इस बात की जानकारी होते ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया तो बिजली विभाग ने अवैध कनेक्शन तो हटा दिया परंतु नगर निगम के द्वारा अवैध रूप से बनाए गए भवन पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई कोई दस्तावेज नहीं होने से यह तो साबित नहीं होता कि अवैध भवन किसके नाम पर है परंतु आसपास के लोगों का कहना है कि इस भवन में पार्षद पति का आना-जाना लगा रहता है क्या ऐसे जनप्रतिनिधि सभ्य समाज के लिए सही है.
3.भास्कर कुंडले यह भी वार्ड के पार्षद हैं हालांकि इन्होंने पिछला निगम चुनाव निर्दलीय लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी राकेश शर्मा के विरुद्ध जीत हासिल कि और वापस से कांग्रेस में शामिल हो गए इनके द्वारा भी नाले के ऊपर कब्जा कर दुकान का संचालन किया जा रहा है जब एक पार्षद ही कब्जा कर व्यापार कर सकता है तो फिर वार्ड की जनता को किस अधिकार के तहत अवैध कब्जा रोकने के लिए अपनी बात कहेंगे निगम प्रशासन द्वारा सड़कों पर अस्थाई रूप से रेट गिट्टी भी रख दिया जाता है तो कार्रवाई की जाती है परंतु यहां पर नाले के ऊपर दुकान का ही संचालन हो रहा है परंतु कार्यवाही का ना होना कहीं ना कहीं संवैधानिक पद के लाभ की बात को सामने लाता है .
शौर्यपथ समाचार पत्र आने वाले अंकों में भी ऐसे पार्षदों (भाजपा /कांग्रेस )का खुलासा करेगा जिनके द्वारा संवैधानिक पद का लाभ लेते हुए ठेकेदारी में ,अवैध प्लाटिंग में ,अवैध कब्जा पर मौन रहने में एवं निगम के कार्यों के लिए आम जनता से राशि वसूलने जैसे कार्य में संलिप्तता है.जिस तरह से जुआ के एक मामले पर इतनी बहस और चर्चाये हो रही क्या ऐसे मामले जिनमे जन प्रतिनिधियों द्वारा असंवैधानिक कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा उस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए .
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