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दुर्ग कांग्रेस की अंतर्कलह से कार्यकर्ताओ में असंजस !
आने वाले निकाय चुनाव में किस गुट की ओर दौड़े कहा जाये ?
दुर्ग / शौर्यपथ /राजनीती
आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में दुर्ग की जनता इस बार सीधे महापौर को चुनेगी . पूर्व की भूपेश सरकार ने महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों को दे दिया था जो कि अब नए आदेश के अनुसार यह अधिकार अब आम जनता के पास है ऐसे में दुर्ग निगम में महापौर प्रत्याशी को पार्षदों के साथ साथ आम जनता की उम्मीदों पर भी खरा उतरना होगा .
दुर्ग में वर्तमान समय में कांग्रेस की शहरी सरकार है और इस शहरी सरकार के मुखिया के तौर पर कभी पूर्व विधायक अरुण वोरा के कट्टर समर्थक रहे धीरज बाकलीवाल ने विगत पांच सालो के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में सिविल लाइन के बंगले से ही शहरी सरकार चलाई है . पांच सालो तक शहरी सरकार के मुखिया कई मौको पर निगम के पार्षदों को पिकनिक यात्रा करवा चुके है गाहे बगाहे अन्य आयोजन करवाते हुए कांग्रेस सहित कई भाजपा पार्षदों को भी अपने समर्थन के ल;इए तैयार करने का भी राजनैतिक प्रयास किया है .
वर्तमान समय में दुर्ग कांग्रेस में अंतर्कलह किसी से छुपी नहीं है पूर्व विधायक और कभी दुर्ग कांग्रेस का बड़ा नाम माने जाने वाले अरुण वोरा चुनाव में हार के बाद शहर में कम ही नजर आते है वही लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजेन्द्र साहू भी राजनैतिक गतिविधियों में गाहे बघाहे ही नजर आ रहे है ऐसे में वर्तमान समय में कांग्रेस का मुख्य चेहरा वर्तमान महापौर धीरज बाकलीवाल ही नजर आ रहे है किन्तु पिछले पांच साल के कार्यो में जिस तरह से अपने समर्थको को काम दिलाने में आगे रहे वही आम जनता से दुरी भी किसी से छुपी नहीं है . प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद भाजपा विधायक से नजदीकी की सुगबुगाहट भी राजनितिक हलको में तेज है .
वर्तमान विधायक का योगदान साल भर के कार्यकाल में उपलब्धि के नाम पर अगर कही नजर आ रहा है तो शहर के कचरे के परिवहन में विधायक समर्थक को साल भर का कार्य आबंटन , निविदा के कार्यो में 5 प्रतिशत अग्रिम कमीशन की बात का सामान्य सभा में उजागर होने के साथ विधायक के दामाद के नाम की चर्चा , विवादित रहे ई ई गोस्वामी से विधायक की नजदीकिय जैसे कई बाते भी शहर में चर्चा का विषय है .
वोरा को क्रॉस करना पड़ सकता है भारी ?
हालंकि महापौर धीरज बाकलीवाल अरुण वोरा के कट्टर समर्थक के रूप में जाने जाते है किन्तु विगत विधान सभा चुनाव के बाद दोनों के बिच की दूरिय और कई वोरा समर्थको का वोरा बंगले से शिफ्ट होकर सिविल लाइन बंगले का रुख करना वही वोरा विरोधियो का भी महापौर बाकलीवाल को समर्थन राजनितिक उठापटक की ओर इशारा कर रही है . कुछ चाटुकार जरुर अतिश्योक्ति पूर्ण बाते सोशल मिडिया में प्रसारित क्रर राजनैतिक गुणगान करते हुए अपने अवैधानिक कार्यो को संरक्षण देने का कज़ऱ् उतार रहे है किन्तु आम जनता पिछले साल भर से महापौर से मिलने को तरस रही है वही उस सक्रियता की तलाश कर रही है जो पूर्व में हुआ करती थी . हाल ही में निगम के करोडो के कार्यो की निविदा वितरण में जिस प्लानिंग के तहत कार्यो का बंटवारा हुआ यह साफ़ इशारा करता है कि भ्रष्टाचार चाहे कितनी भी हो कार्यो का विभाजन इमानदारी से ही होगा . आने वाले समय में यह राजनैतिक दाव पेंच और भी मजेदार होंगे बस अब जनप्रतिनिधियों के साथ आम जनता को इंतज़ार है आरक्षण का उसके बाद ही स्थिति साफ़ होगी कि कौन रेस में है और कौन रेस से बाहर ?
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