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क्या मूर्ति लगाने के लिए होगा अतिक्रमण पर कार्यवाही , आखिर क्या चाहती है निगम की बाकलीवाल सरकार ... Featured

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में स्वतंत्र महापौर के रु में आखिरी कार्यकाल डॉ. सरोज पाण्डेय का रहा है उसके बाद दुर्ग शहर की जनता को हमेशा ऐसा महापौर मिला है जो स्व विवेक से कार्य न करके अपने नेता के कहे अनुसार ही कार्य करता नजर आया है . इस प्रकार शहर के विकास के लिए तात्कालिक महापौर के रूप में सरोज पाण्डेय ने कार्य किया ऐसे ही महापौर की तलाश आज भी दुर्ग निगम क्षेत्र की जनता को है . पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस की लहर और 20 सालो से भाजपा की सत्ता होने के कारण जनता बदलाव चाहती थी किन्तु इस बार भी शहर की जनता के हाँथ खाली रह गए इस बार के निकाय चुनाव में महापौर चुनने की जिम्मेदारी जनता के हाथ ना हो कर पार्षदों के मत के अनुसार हुआ प्रदेश में ऐसे कई निकाय है जहाँ पार्षदों की सहमती से ही महापौर निर्वाचित हुए है किन्तु दुर्ग फिर इससे अछुता रहा इस बार दुर्ग की जनता को महापौर के रूप में पार्षदों की पसंद के अनुरूप ना हो कर शहर के विधायक की पसंद के अनुरूप मिला . प्रारंभ में ऐसा प्रतीत हुआ कि नए चेहरे और युवा सोंच से शहर का विकास होगा किन्तु साल भर से ज्यादा हो गए शहर में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ जिसमे महापौर की सोंच निहित हो हर सोंच और कार्य शहर के विधायक की मंशा के अनुरूप ही होते रहे . किन्तु अब एक ऐसा मामला आया है जिसमे शहर के विधायक की मंशा के विपरीत महापौर फैसला ले रहे है .
मामला है मोती काम्प्लेक्स के सामने की वो दुकाने जिस पर उच्च न्यायालय में मामला लंबित है . मोती काम्प्लेक्स और पुराना बस स्टैंड के बीच सड़क किनारे लगी दुकानों को देखने अचानक मंगलवार को शहर के महापौर और प्रभारी अब्दुल गनी पहुच गए साथ ही आयुक्त मंडावी को भी ले गए . वह पर चर्चा के दौरान दुकानों को हटाने और स्व. मोतीलाल वोरकी मूर्ति लगाने की बात निकली . दुकानों के व्यापारियों के अनुसार प्रभारी अब्दुल गनी ने व्यापारियों से कहा कि दुकाने अवैध रूप से है अतिक्रमण में है अत: इसे हटाया जाएगा और इस जगह चौक पर स्व. मोतीलाल वोरा की मूर्ति लगाईं जायेगी . ये अलग बात है कि मामला अभी विहाराधीन है इसलिए फैसला होने तक अभी ख्याली पुलाव पकाया जा सकता है किन्तु उससे बड़ी बात यह है कि इन व्यापारियों के समुचित व्यस्थापन की पैरवी कई बार दुर्ग विधायक कर चुके है ऐसे में शहर के महापौर और प्रभारी क्यों विधायक वोरा के फैसले के खिलाफ इन व्यापारियों को हटाने में लगे हुए है जो पिछले 40-50 सालो से यहाँ व्यापार कर रहे है सिर्फ एक मूर्ति लगाने के लिए क्या इस फैसले से उन्होंने विधायक वोरा को अवगत कराया है ?

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शौर्यपथ