नई दिल्ली / शौर्यपथ / एक तरफ सरकार लॉक डाउन को हटा रही है वही दूसरी तरफ देश में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे है ऐसे में संक्रमित क्षेत्र को भी कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित किया जा रहा है . कहने को तो जिन्दगी डर और बल के साए में लौट रही है किन्तु अभी भी व्यापार अधुरा ही है जिन्दगी पूरी तरह पत्री में नहीं लौटी ऐसे में ३१ अगस्त के बाद केसीसी का लोन नहीं जमा करने वालो को ४ की जगह ७ प्रतिशत ब्याज सहित कर्जा चुकाना पड़ेगा .
यह खबर उन किसानों के लिए है जिन्होंने खेती-किसानी के लिए बैंकों से लोन ले रखा है. अगर वो अगले 7 दिन के अंदर किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया गया पैसा बैंक को वापस नहीं करते हैं तो उन्हें 4 की जगह 7 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा. खेती-किसानी के लोन पर सरकार ने 31 अगस्त तक पैसा जमा करने की मोहलत दी है.
आमतौर पर केसीसी पर लिए गए लोन को 31 मार्च तक वापस करना होता है. उसके बाद किसान (Farmer) फिर अगले साल के लिए पैसा ले सकता है. जो किसान समझदार हैं वो समय पर पैसा जमा करके ब्याज में छूट का लाभ उठा लेते हैं. दो-चार दिन बाद फिर से पैसा निकाल लेते हैं. इस तरह बैंक में उनका रिकॉर्ड भी ठीक रहता है और खेती के लिए पैसे की कमी भी नहीं पड़ती. अब और छूट मिलने की संभावना कम ही है, क्योंकि लॉकडाउन खत्म हो गया है. कृषि गतिविधियां भी पटरी पर आ गई हैं. मोदी सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए इसे 31 मार्च से बढ़ाकर पहले 31 मई किया था. बाद में इसे और बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया. इसका मतलब यह है कि किसान केसीसी कार्ड के ब्याज को सिर्फ 4 प्रतिशत प्रति वर्ष के पुराने रेट पर 31 अगस्त तक भुगतान कर सकते हैं. बाद में यह महंगा पड़ेगा.
केसीसी पर कैसे कम लगता है ब्याज?
खेती-किसानी के लिए केसीसी पर लिए गए तीन लाख रुपये तक के लोन की ब्याज दर वैसे तो 9 फीसदी है. लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है. इस तरह यह 7 फीसदी पड़ता है. लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है. इस तरह इसकी दर जागरूक किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है. आमतौर पर बैंक किसानों को सूचित कर 31 मार्च तक कर्ज चुकाने के लिए कहते हैं. अगर उस समय तक कर्ज का बैंक को भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें 7 फीसदी ब्याज देना होता है.