April 26, 2024
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भारत (689)

रायपुर / शौर्यपथ / भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ में 23 और 24 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय प्रवास पर रहेंगे। 23 अप्रैल को पीएम मोदी के राजभवन में रात्रि विश्राम के मद्देनजर शाम 04 बजे से दिनांक 24 अप्रैल सुबह 10 बजे तक राजभवन के आसपास व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
23 अप्रैल को जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री की सभा
 भाजपा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 23 अप्रैल को जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री की सभा होगी। जांजगीर के सक्ती में दोपहर एक बजे पीएम मोदी सभा को संबोधित करेंगे।
 उसके बाद महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के धमतरी में सभा
  दोपहर तीन बजे महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के धमतरी में सभा होगी। धमतरी की सभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर लौटेंगे और फिर राजभवन में रात्रि विश्राम कर 24 अप्रैल को अंबिकापुर दौरे पर रहेंगे। जहां भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे।
24 अप्रैल को अंबिकापुर दौरे पर रहेंगे पीएम
  23 अप्रैल को शाम 06 से 08 बजे के बीच माना विमानतल से फुण्डहर चौक एक्सप्रेस वे होकर शंकर नगर चौक से भगत सिंह चौक जीई रोड होकर राजभवन आने वाले रास्ते और 24 अप्रैल को सुबह 08 से 10 बजे के बीच इसी मार्ग से वापस माना विमानतल जाने वाला मार्ग समेत राम मंदिर से माना विमानतल तक वीआईपी रोड में भी सामान्य आवागमन बाधित रहेगा।

नई दिल्ली / एजेंसी / देश के लोकतंत्र के महापर्व के प्रथम चरम में 102 लोकसभा सीटो पर 21 राज्यों में चुनाव संपन्न हुआ . पिछले लोकसभा के मुकाबले इस बार वोट प्रतिशत कम रहा वही नागालैंड के ३० विधानसभा (०६ जिलो ) में जीरो प्रतिशत मतदान की खबर ने देश में बहस का मुद्दा छेड़ दिया . इन छह जिलो में पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान हुआ किन्तु लोकसभा में जीरो प्रतिशत मतदान ने नागालैंड के विकास के मुद्दों की बात को देश के सामने ला दिया इसमें से कुछ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक भी शामिल थे.
    ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन काफी समय से एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहा है, उसकी स्थानीय लोगों से चुनाव का बहिष्कार की अपील के बाद नागालैंड के छह जिलों में आज अब तक लगभग शून्य फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. ये समूह वर्ष 2010 से छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहे हैं. उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है.
  एक बयान में, शीर्ष चुनाव अधिकारी ने कहा कि समूह ने "आम चुनाव में मतदान करने के लिए पूर्वी नागालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वतंत्र अभ्यास में हस्तक्षेप करके. अनुचित प्रभाव का डालने का प्रयास किया था." अधिकारी ने कहा, इसलिए ईएनपीओ को "कारण बताने का निर्देश दिया जाता है...कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा के तहत कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए."
  ईएनपीओ ने जवाब दिया है कि सार्वजनिक अधिसूचना का "मुख्य लक्ष्य" पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है, और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना है. संगठन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि "पूर्वी नागालैंड क्षेत्र वर्तमान में सार्वजनिक आपातकाल के अधीन है", और यह हितधारकों के साथ परामर्श के बाद घोषित किया गया था.
   ईएनपीओ ने कहा, यह लोगों द्वारा एक "स्वैच्छिक पहल" थी, यह तर्क देते हुए कि धारा 171सी के तहत कार्रवाई "लागू नहीं है... क्योंकि किसी भी चुनाव में अनुचित प्रभाव से संबंधित कोई अपराध नहीं किया गया है..." बयान में कहा गया है, "यह देखते हुए कि बंद लोगों की स्वैच्छिक पहल थी, ईएनपीओ या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जबरदस्ती या प्रवर्तन का कोई सवाल ही नहीं था." बयान में यह भी कहा गया है कि वह चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने को तैयार है. कोई ग़लतफ़हमी या ग़लत व्याख्या हुई है."
  30 मार्च को ईएनपीओ ने 20 विधायकों और अन्य संगठनों के साथ एक लंबी बैठक की, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर रहने की बात दोहराई. पूर्वी नागालैंड विधायक संघ - जिसमें 20 विधायक शामिल हैं. उसने ईएनपीओ से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.
  अगले दिन ईएनपीओ ने भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव में वोट न डालने के अपने कदम के बारे में बताया. इसमें कहा गया है कि निर्णय को हल्के में नहीं लिया गया और यह "पूर्वी नागालैंड के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक शासन के ढांचे के भीतर हमारे अधिकारों और आकांक्षाओं की अथक वकालत की है." इसमें कहा गया है कि यह निर्णय लोकतंत्र बनाम अवज्ञा का कार्य नहीं है.
  ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था. नागालैंड में एक लोकसभा सीट है, जिस पर 2018 के उपचुनाव के बाद से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के तोखेहो येप्थोमी का कब्जा है, एनडीपीपी भाजपा की सहयोगी है.

नागालैंड के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी एवा लोरिंग ने बताया कि इन 6 जिलों के 638 पोलिंग स्टेशंस पर चुनाव अधिकारी तैनात किए गए थे. इन 6 जिलों में 4 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. इन मतदाताओं ने ENPO के प्रति अपना समर्थन दिखाया और चुनाव का बहिष्कार कर दिया.

प्रवासी मजदूरों को मतदान करने के लिए जागरूक करने हेतु किया गया लक्षित
पलायन करने वाले श्रमिकों को मतदान हेतु प्रेरित करने लिखी गई एक इबारत

    राजनांदगांव / शौर्यपथ / महाराष्ट्र के गोंदिया जिले और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले ने एक अनूठी पहल करते हुए अंतर्राज्यीय स्वीप कार्यक्रम की योजना बनाने के उपलक्ष्य में हाथ मिलाये और पहली बार ऐसा वक्त रहा जब दो राज्यों के जिलों ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मतदाता जागरूकता कार्यक्रम को नये आयाम प्रदान किए हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रवासी मजदूरों को मतदान करने के लिए जागरूक करने का था। अंतर्राज्यीय स्तर पर दो जिलों ने आपसी समझ एवं समन्वय से पलायन करने वाले श्रमिकों को मतदान हेतु प्रेरित करने एक इबारत लिखी है। इसके साथ ही नये मतदाताओं या ऐसे मतदाता जो किसी कारण से मतदान करने में वंचित हो गये हो, उन्हें लक्षित करते हुए मताधिकार के प्रति जागरूक किया गया। उन्हें एमएमएस करने के साथ ही मतदान करने के लिए फोन के माध्यम से सूचना दी जाएगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में मतदाता जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन लगातार किया जा रहा है। जिला पंचायत सीईओ एवं स्वीप नोडल सुश्री सुरूचि सिंह के निर्देशन में जिले में स्वीप अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर सघन अभियान चलाये जा रहे हंै।


   यह कार्यक्रम डोंगरगढ़ विकासखंड अंतर्गत बागनदी पुल पर आयोजित किया गया और दोनों जिले के मतदाता अपने-अपने जिले से रैली के रूप में निकले और बागनदी पुल पर एकत्रित हुए। मिलने पर उन्होंने एक दूसरे को गुलाब के फूल भेंंट कर स्वागत किया और साथ-साथ रैली के रूप में मंच तक पहुंचे। मंच पर उपस्थित अधिकारियों ने मतदाताओं को हिंदी, छत्तीसगढ़ी एवं मराठी में सम्बोधित किया। इसके बाद प्रतिभागियों को छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ मराठी में भी मतदाता शपथ दिलाई गई। आम तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में कम मतदान होता है और मतदाताओं, विशेषकर प्रवासी मतदाताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं, इसलिए राज्य में पहली बार दोनों जिलों ने अंतर्राज्यीय स्वीप कार्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा नवीन प्रताप सिंह तोमर, जिला पंचायत सीईओ गोंदिया, परियोजना अधिकारी साक्षरता श्रीमती रश्मि सिंह, जनपद सीईओ डोंगरगढ़ सुश्री दिव्या ठाकुर, जनपद सीईओ छुरिया श्री नारायण बंजारा, राजनांदगांव एवं गोंदिया जिले की स्वीप टीम सहित अन्य अधिकारी व बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

बस्तर में पीएम मोदी की चुनावी सभा , महेश कश्यप के लिए माँगा जनता से आशीर्वाद
आज पूरा देश उसी विश्वास के साथ कह रहा है- 'फिर एक बार, मोदी सरकारÓ! : पीएम मोदी
कांग्रेस के शाही परिवार ने राम मंदिर अभिषेक निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया : पीएम मोदी
 "मैं आराम करने के लिए नहीं बल्कि काम करने के लिए पैदा हुआ हूं :पीएम मोदी  

    बस्तर / शौर्यपथ /  लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है . प्रदेश में प्रथम चरण में बस्तर लोकसभा सीट में मतदान होना है .जगदलपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप को चुनावी जंग में उतारा है . भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार अभियान में, पीएम मोदी ने आज छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित किया। लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए, पीएम ने कहा, ""आज, मैं यहां न केवल अपने 10 साल के काम का लेखा-जोखा देने आया हूं, बल्कि आप सभी का आभार व्यक्त करने के लिए भी आया हूं। आपने यहां न केवल भाजपा की सरकार बनाई बल्कि 'विकसित भारतÓ की नींव भी मजबूत की। आपने मोदी की गारंटी पर भरोसा किया है, आज पूरा देश उसी विश्वास के साथ कह रहा है- 'फिर एक बार, मोदी सरकारÓ!
  उन्होंने कहा, "हमने 11,000 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले हैं, जहां दवाएं 80 प्रतिशत छूट पर उपलब्ध कराई जाती हैं। इससे गरीबों को ?30,000 करोड़ खर्च करने से बचाया गया है। इसलिए आज देश का गरीब कह रहा है- 'खर्चे काम करायें, बचत बढ़ायें बार-बार- फिर एक बार, मोदी सरकारÓÓ।
  विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने दोहराया, 'जब मोदी ने भ्रष्टाचारियों का रास्ता रोका, जब बिचौलियों की कमाई बंद की, तब से ये मोदी से दुश्मनी में हैं. अब वे गुस्से में आकर लाठी-डंडों से मोदी का सिर तोडऩे की धमकी दे रहे हैं. मोदी गरीब का बेटा है, सिर ऊंचा करके चलता है.मोदी उनकी धमकियों से डरने वाला नहीं है।Ó
  "जब मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रहा हूं, तो कुछ लोग परेशान हैं और अपना होश खो रहे हैं। मोदी का मंत्र है 'भ्रष्टाचार हटाओÓ. वे कहते हैं 'भ्रष्टाचारी बचाओÓ. चाहे मोदी को कितनी भी धमकियां मिलें, भ्रष्ट व्यक्तियों को जेल जाना ही होगा - यह मोदी की गारंटी है,ÓÓ उन्होंने कहा।
  बस्तर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आजादी के बाद कांग्रेस को लगा कि उसके पास देश को लूटने का लाइसेंस है, लेकिन 2014 में सरकार में आने के बाद मोदी ने कांग्रेस का लूट लाइसेंस रद्द कर दिया और मोदी इसे रद्द करने में सफल रहे.Ó क्योंकि आपने मोदी को लाइसेंस दे दिया। अब उनकी दुकान बंद हो गई है, वे मोदी को गाली देंगे या नहीं? तो ये मेरे करोड़ों देशवासी, मेरी माताएं-बहनें, आज मेरी रक्षा कवच बन गए हैं।
   पीएम मोदी ने घोषणा की कि राम नवमी नजदीक आ रही है और इस बार, अयोध्या हमारे सपने के साकार होने का गवाह बनेगी - हमारे राम लला के लिए तंबू के बजाय एक भव्य मंदिर। हालाँकि, कांग्रेस और ढ्ढहृष्ठढ्ढ गठबंधन ने मंदिर निर्माण पर असंतोष व्यक्त किया है। इसके अलावा, पीएम मोदी ने टिप्पणी की कि कांग्रेस के शाही परिवार ने राम मंदिर अभिषेक निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, जिससे पार्टी के भीतर आलोचकों को निष्कासित कर दिया गया। यह तुष्टिकरण के लिए सीमाएं लांघने की कांग्रेस की इच्छा को रेखांकित करता है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है।
  आदिवासी समाज पर जोर देना हमेशा भाजपा के लिए प्राथमिकता रही है, पीएम मोदी ने कहा, "वही आदिवासी समुदाय जिसका कांग्रेस ने ऐतिहासिक रूप से मजाक उड़ाया है, अब अपनी एक बेटी को देश के राष्ट्रपति के रूप में देखता है। यह भाजपा ही थी जिसने छत्तीसगढ़ का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। भाजपा ने आदिवासी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय और बजट स्थापित किए हैं।
  "पिछले 10 वर्षों में, आदिवासी कल्याण का बजट पांच गुना बढ़ गया है। कांग्रेस सरकार के दौरान, देश भर में बमुश्किल कुछ ही एकलव्य आवासीय विद्यालय थे। आज अकेले छत्तीसगढ़ में ऐसे 70 से अधिक स्कूल हैं। जबकि कांग्रेस सरकार केवल 8-10 वन उपजों के लिए एमएसपी प्रदान करती थी, अब यह संख्या लगभग 100 तक पहुंच गई है, "उन्होंने कहा। पीएम मोदी ने कहा कि हर आदिवासी परिवार के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करना उनकी गारंटी है।
  अपने समापन भाषण में पीएम मोदी ने कहा, "मैं आराम करने के लिए नहीं बल्कि काम करने के लिए पैदा हुआ हूं। मेरा लक्ष्य देश का विकास करना और हर परिवार को समृद्ध बनाना है। कमल के निशान के लिए डाला गया हर वोट मोदी की शक्ति को मजबूत करेगा।" पीएम ने जोर देकर कहा, "इसलिए, 19 अप्रैल को बस्तर में, महेश कश्यप जी को आशीर्वाद देना सुनिश्चित करें। 26 अप्रैल को कांकेर में, सुनिश्चित करें कि भोजराज जी अधिकतम वोटों से विजयी हों।"

समाचार सार :मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है. बता दें कि इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने खजुराहो सीट को सपा को दिया था.

     भोपाल / एजेंसी / मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से विपक्षी गठबंधन इंडिया को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा कि यहां से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन रद्द हो गया है. बता दें कि मीरा यादव ने नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि के दिन 4 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल किया था. वहीं आज 5 अप्रैल को उनका नामांकन रद्द कर दिया गया है.
इन कारणों से निरस्त हुआ नामांकन
  जानकारी के अनुसार सपा प्रत्याशी मीरा यादव ने नामांकन फॉर्म जमा करते समय वोटर लिस्ट की पुरानी कॉपी सलग्न की थी, जो कि फॉर्म भरने की त्रुटि में आता है. इसके अलावा उन्होंने फॉर्म में एक जगह हस्ताक्षर भी नहीं किया. इसी कारण उनका फॉर्म निरस्त किया गया है.
  वहीं दूसरी ओर नामांकन रद्द होने के चलते मीरा यादव के पति दीपनारायण यादव ने लापरवाही के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जानबूझकर उनका नामांकन रिजेक्ट किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात कही.
यह लोकतंत्र की हत्या : अखिलेश यादव
  वहीं सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन रद्द होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है. उन्होंने कहा, "खजुराहो सीट से इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन निरस्त करना सरेआम लोकतंत्र की हत्या है. कहा जा रहा है कि हस्ताक्षर नहीं थे तो फिर देखने वाले अधिकारी ने फार्म लिया ही क्यों. ये सब बहाने हैं और हार चुकी भाजपा की हताशा. जो न्यायालय के कैमरे के सामने छल कर सकते हैं वो फार्म मिलने के बाद पीठ पीछे क्या-क्या साजिश रचते होंगे. भाजपा बात में ही नहीं काम में भी झूठी है और समस्त प्रशासनिक तंत्र को भ्रष्ट बनाने की दोषी भी. इस घटना की भी न्यायिक जांच हो, किसी का पर्चा निरस्त करना लोकतांत्रिक अपराध है."
कुल 19 उम्मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन पत्र
  बता दें कि खजुराहो लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में मतदान होना है. इसके लिए उम्मीदवारों ने 4 अप्रैल तक अपना नामांकन दाखिल किया है. जानकारी के मुताबित नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक कुल 19 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है. मुख्य रूप से इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी वीडी शर्मा और सपा उम्मीदवार मीरा यादव के बीच मुकाबला माना जा रहा था.

शिवाजी महाराज की युद्ध विजय से भी जुड़ा है कारण महाराष्ट्र में गुडी पड़वा

   मुंबई / एजेंसी / महाराष्‍ट्र की राजनीति में नए समीकरणों के बीच राजनीतिक दल शक्ति प्रदर्शन का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लोकसभा चुनावों के बीच राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक “गुडी पड़वा” पर मराठी वोटरों में जोश भरने के लिए सभी सियासी दल भव्य तैयारियों में जुटे हैं. भाजपा से लेकर महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना के उद्धव गुट तक हर कोई इस मौके को भुनाने में लगा है. मराठी वोटों का गणित लगा रहे राजनीतिक दल हिंदुत्‍व की पिच पर बड़े शॉट्स खेलने की तैयारी में हैं. ऐसे में चुनावी मौसम के दौरान वोटरों के दिलों में जगह बनाने का सबसे बड़ा मौका है - गुडी पड़वा.
महाराष्‍ट्र का प्रमुख त्‍योहार गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को है. ऐसे में पोस्‍टर बैनर लग चुके हैं और तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. गुड़ी पड़वा से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. इसी दिन से हिंदुओं का नया साल भी शुरु होता है. इसे लेकर सभी सियासी दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हैं.
   मराठी समुदाय के लोग इस दिन समृद्धि की सूचक गुड़ी को घर के बाहर बांधकर उसकी पूजा करते हैं. मान्यता है इससे पूरा साल सुख, सफलता और ऐश्वर्य लेकर आता है. भाजपा ने तय किया है कि आर्थिक राजधानी में सवा लाख हिंदुत्व की गुड़ी 'संदेश ध्वज कैंपेन' के जरिए लगाई जाएगी.
 चुनावों में राज ठाकरे किस तरफ होंगे, इसे लेकर सस्‍पेंस बरकरार है, लेकिन गुडी पड़वा का एक टीजर लॉन्‍च कर चुके हैं, जिसमें उनके एक सांकेतिक बयान से सस्पेंस और बढ़ा है और इंतजार उनके भाषण का है. महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना ने उस दिन शाम 4 बजे दादर के शिवाजी पार्क में गुड़ी पड़वा का आयोजन रखा है. इस दौरान शक्ति प्रदर्शन की पूरी तैयारी है.

किस मुंह से रैली निकाल रहे हैं आदित्‍य ठाकरे?: शेलार
  वहीं शिवसेना के उद्धव गुट की रैली जंबूरी मैदान में होगी. इसे लेकर भाजपा तंज कस रही हैं. भाजपा के मुंबई प्रमुख आशीष शेलार ने कहा, “आदित्य ठाकरे किस मुंह से रैली निकाल रहे हैं? याकूब मेमन की कब्र सजाने वाले हिंदू वर्ष मना रहे हैं? हिंदू और हिंदू वर्ष मानने वाले लोग आदित्य ठाकरे के पिछले कामों के रवैया को लेकर परेशान हैं और आदित्य ठाकरे को इस रैली में जनता पूछेगी कि उन्होंने अपनी सरकार के दौरान याकूब मेमन की कब्र क्यों सजाई."

चुनावी मौसम में राजनीति से दूर रहने वाले संगठन भी
  इसके साथ ही कुछ आयोजक चाहते हैं कि उनके आयोजन में राजनीति की परछाई भी न पड़े.  हिंदू नववर्ष स्‍वागत यात्रा के श्रीधर अगरकर ने कहा कि पिछले 22 साल से इस यात्रा को बिना किसी राजनीतिक संबंध के निकाला जा रहा है. चुनाव करीब है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी राजनीतिक संबंध से जोड़े बिना हिंदू समाज इसे अपनी आस्था के अनुसार मनाएगा.

शिवाजी महाराज की युद्ध विजय से भी जुड़ा है कारण महाराष्ट्र में गुडी पड़वा
  महाराष्ट्र में गुडी पड़वा को मनाने का एक कारण मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध में विजय से भी जुड़ा है, इसलिए इस दिन घर के बाहर हिंदुत्व की विजय पताका के रूप में गुड़ी लगाई जाती है. इसे सफलता और समृद्धि का सूचक माना गया है. महाराष्ट्र में “शिवाजी महाराज” के इर्द-गिर्द ही सारी चुनावी कसरत घूमती है. इसलिए गुडी पड़वा की मान्यता एक पर्व से कहीं ऊपर उठकर तौली जाती है. जाहिर है कि 9 अप्रैल को सारी पार्टियां शक्ति प्रदर्शन का मौका नहीं छोड़ेगी.

 नई दिल्ली / लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू किन्तु इस उलटी राजनैतिक चर्चा से ज्यादा दो समाचार ही सुर्खिया बटोर रही है पहला राजनैतिक पार्टियों को दिया जाने वाला गोपनीय चंदा जो अब सार्वजानिक हो चुका है वही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी . दोनों ही मामलो में सत्ताधारी सरकार और भाजपा की छवि काफी धूमिल हुई . सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बॉन्ड के फैसले के बाद अब कई और तथ्य सामने आ रहे है जिसके कारण मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग पर भी सवालिया निशान लग रहे है . पूर्व में भी कई हजारो करोड़ के घोटालो के व्यक्तियों का भाजपा में प्रवेश और जांच बंद होने के मामले में भले ही भाजपा के नेता लाख सफाई दे लाख न्यायालय की बात करे किन्तु भ्रष्टाचारियो के साथ सत्ता चलाने के कारण आम जनता के उस विश्वास को भी कही ना कही चोट पहुंची जिन्होंने २०१४ में कालाधन , महंगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार मुक्त , स्मार्ट सिटी की लम्बी श्रृखला जैसे वादों पर भरोसा कर एक नई सरकार को सत्ता सौपी . इलेक्टोरल बॉन्ड  के मामले पर अब एक नया खुलासा हुआ जो कही ना कही यह भी दर्शा रहा कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी इस गोपनीय चंदे पर कार्य हुआ .
  बता दे कि 31 अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुनवाई शुरू की और दो नवम्बर को जारी रही जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया.लेकिन उसके बाद सामने आई जानकारियों से ये साफ़ हो गया है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सुरक्षित होने के बाद भी सरकार ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड छापने का काम जारी रखा.सूचना के अधिकार के ज़रिए मिली जानकारी से पता चलता है कि 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड की आख़िरी खेप साल 2024 में छाप कर उपलब्ध करवाई गई. जो 21 फ़रवरी २०२४ को सप्लाई की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी २०२४ को इस योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था.
  साथ ही ये बात भी उजागर हुई है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना को चलाने वाले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने कमीशन के तौर पर सरकार से क़रीब 12 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) की मांग की है जिसमें से सरकार 8.57 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.साथ ही बॉन्ड्स को नासिक की इंडिया सिक्योरिटी प्रेस में छपवाने के लिए सरकार को 1.93 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) का बिल मिला है जिसमें से 1.90 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.आसान शब्दों में कहें तो एक ऐसी योजना जिसमें गोपनीय तरीक़े से करोड़ों का दान देने वाले किसी भी व्यक्ति या कंपनी से कोई सर्विस चार्ज नहीं लिया गया.
 बड़ा सवाल यह है कि जिस योजना को आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया, उस योजना को चलाने के लिए क़रीब 13.98 करोड़ रुपये का ख़र्चा सरकारी ख़ज़ाने से यानी टैक्सपेयर या टैक्स देने वालों या आसान शब्दों में कहें तो जनता के पैसे से किया गया.

  बता दे कि आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं.इलेक्टोरल बॉन्ड मुद्दे पर उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई आरटीआई आवेदन किए जिनके जवाबों से मिली जानकारियों को जोड़ कर देखें तो एक साफ़ तस्वीर उभर कर आती है.14 मार्च 2024 को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने आरटीआई के जवाब में बताया कि किस साल में कितने इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.
 इस जानकारी के मुताबिक़, साल 2018 में सबसे ज़्यादा 6 लाख 4 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए. इनमें से सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये मूल्य के थे और सबसे कम बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. वही साल 2019 में 60,000 बॉन्ड छापे गए. इस साल एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये का एक भी बॉन्ड नहीं छापा गया. सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक लाख रुपये मूल्य के छापे गए.
  साल 2022 में 10,000 बॉन्ड छापे गए. ये सभी बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.वही 8,350 बॉन्ड्स की सबसे हालिया खेप साल 2024 में छापी गई. ये सभी बॉन्ड भी एक-एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.

ग़ौरतलब है कि साल 2020, 2021 और 2023 में कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं छापे गए.8,350 बॉन्ड की आख़िरी खेप 27 दिसंबर 2023 के बाद छापी गई इसका पता वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकोनॉमिक अफ़ेयर्स (डीईए) के दो आरटीआई के जवाबों से भी चलता है.डीईए ने 27 दिसंबर 2023 को बताया था कि उस तारीख़ तक कुल 6, लाख 74 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए थे.ठीक दो महीने बाद 27 फरवरी 2024 को एक और आरटीआई के जवाब में इस विभाग ने बताया कि उस तारीख़ तक कुल 6 लाख 82 हज़ार 600 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.यानि 27 दिसंबर 2023 और 27 फ़रवरी 2024 के बीच 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर अपना फ़ैसला 2 नवम्बर को ही सुरक्षित कर लिया था.

क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से थी आश्वस्त ..
  आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा कहते हैं, "इन जानकारियों से ये साफ़ दिखता है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर इतनी ज़्यादा आश्वस्त थी कि उन्होंने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाने का काम जारी रखा."स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से आरटीआई के ज़रिये मिली जानकारी के मुताबिक़, आख़िरी खेप में 8,350 बॉन्ड्स छपवाने से पहले ही स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पास क़रीब 12,013 करोड़ रुपये के ऐसे बॉन्ड उपलब्ध थे, जो बिके नहीं थे. इन बॉन्ड्स में से 9,019 करोड़ के बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे.
  कमोडोर बत्रा कहते हैं, "इतने ज़्यादा बॉन्ड पहले से ही थे. उसके बावजूद सरकार ने 8,350 करोड़ रुपये के नए बॉन्ड छपवाए. ऐसा लगता है कि 2024 के चुनाव से पहले उन्हें बॉन्ड्स की बम्पर बिक्री की उम्मीद थी."अंजलि भारद्वाज एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो सूचना का अधिकार, पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर काम करती हैं.वो कहती हैं, "जब तक अदालत ने अपना फ़ैसला नहीं सुनाया था तब तक सरकार साफ़तौर पर अपना काम हमेशा की तरह कर रही थी. सरकार ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि सर्वोच्च न्यायालय इस योजना को असंवैधानिक घोषित कर सकता है और इसे रद्द कर सकता है."
 अंजलि भारद्वाज के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद भी सरकार ने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाए तो इससे पता चलता है कि शायद सरकार नहीं सोच रही थी कि योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा.
आरटीआई में मिली जानकारियों से कुछ और दिलचस्प बातें भी सामने आई हैं:

कुल बिके बॉन्ड्स की कीमत 16,518 करोड़ रुपये थी.जिसमे करीब 95 फ़ीसदी बॉन्ड एक करोड़ रुपये के मूल्य वाले थे.वही 25 करोड़ रुपये की कीमत वाले 219 बॉन्ड ऐसे थे जिन्हें राजनीतिक दलों ने नहीं भुनाया.स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ इस 25 करोड़ रुपये की राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया.एक और चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि जहां 2018 से 2024 के बीच कुल 6,82,600 इलेक्टोरल बॉन्ड छपवाए गए वहीं जो इलेक्टोरल बॉन्ड बिके उनकी संख्या सिर्फ़ 28,030 थी जो कि कुल छापे गए बॉन्ड्स का महज़ 4.1 फ़ीसदी था.

समाचार संकलन बीबीसी समाचार

नई दिल्ली / एजेंसी / अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के मुक्तो विधानसभा सीट से निर्विरोध जीतने की संभावना है. इसके साथ ही वह राज्य में निर्विरोध जीत हासिल करने वाले भारतीय जनता पार्टी  के उम्मीदवारों की लिस्ट शामिल हो जाएंगे. सीएम के अलावा बीजेपी के 4 और उम्मीदवारों की निर्विरोध जीतने की उम्मीद है.
  अरुणाचल प्रदेश में 19 अप्रैल को दो लोकसभा सीट के साथ-साथ विधानसभा की 60 सीट के लिए भी वोटिंग होनी है. जानकारी के मुताबिक पापुम पारे सहित कई प्रमुख जिलों में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया है, जिसके चलते सत्तारूढ़ दल की जीत तय मानी जा रही है. वहीं, सगाली से रातू तेची निर्विरोध जीत हासिल करने के लिए एक और प्रमुख दावेदार के रूप में उभरे हैं.
विपक्षी उम्मीदवारों ने नहीं किया नामांकन
   समय सीमा से पहले किसी भी विपक्षी उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया है, जिसके चलते बीजेपी मुक्तो और सागली सहित पांच निर्वाचन क्षेत्रों में क्लीन स्वीप के लिए तैयार हैं. इसके अलावा सुबनसिरी जिले के जिरो से हेज अप्पा को किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा, जिससे बीजेपी की स्थिति और मजबूत हो गई है.
बीजेपी के कुल 5 उम्मीदवार निर्विरोध जीतेंगे
  लेटेस्ट जानकारी मिलने तक राज्य में बीजेपी के कुल 5 उम्मीदवार निर्विरोध जीत रहे हैं, जिनमें ताली से जिक्के ताको, तलिहा से न्यातो डुकोम, सागाली से रातू तेची और रोइंग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से मुच्चू मीठी शामिल हैं.
पेमा खांडू की निर्विरोध जीत की आधिकारिक पुष्टि होना बाकी
    सागली से विधायक के रूप में 30 साल तक सेवा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने इस बार संसदीय चुनाव लड़ने का विकल्प चुना और आलो से अपना नामांकन दाखिल किया. हालांकि, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू की निर्विरोध जीत की आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है. खांडू ने 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से जीत हासिल की थी. 

 नई दिल्ली / एजेंसी / दिल्ली की कथित शराब नीति घोटाले के मामले में अदालत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हिरासत की अवधि पहली अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है.यानी अरविंद केजरीवाल इस केस में अब सोमवार तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में बने रहेंगे. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की सात दिनों की रिमांड की मांग की थी लेकिन अदालत ने कहा कि उन्हें कोर्ट के समक्ष सोमवार को साढ़े ग्यारह बजे पेश किया जाए.केजरीवाल की मौजूदा हिरासत की अवधि गुरुवार को ख़त्म हो रही थी. उन्हें आज राउज़ एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज कावेरी बावेजा की अदालत में पेश किया गया.
  ईडी ने अपनी ताज़ा रिमांड याचिका में कहा था कि कस्टडी में पूछताछ के दौरान पांच दिनों तक उनके बयान रिकॉर्ड किए गए. ईडी ने ये आरोप लगाया है कि वे सवालों के जवाब देने में टालमटोल कर रहे थे. ईडी की ओर से कहा गया है कि रिमांड अवधि के दौरान तीन अन्य लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं.
 अदालत में इस मौक़े पर केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और अन्य कई लोग मौजूद थे.ईडी ने अदालत से केजरीवाल की हिरासत और सात दिन बढ़ाने की मांग की.इस दौरान केजरीवाल ने अदालत से कहा कि वे रिमांड का विरोध नहीं करते हैं, बल्कि वे ईडी की ओर से लगाए गए आरोपों की सारी जांच के लिए तैयार हैं.उन्होंने कहा, "असली घोटाला तो ईडी की जांच के बाद हुआ है. एक मकसद था आप को क्रश करना. एक माहौल बनाना कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचारी है."
  केजरीवाल ने आरोप लगाया, "शरद रेड्डी के केस में शरद रेड्डी को जमानत दो कारण से मिली. सबसे पहले शरद रेड्डी ने मेरे ख़िलाफ़ बयान दिया और शरद रेड्डी ने गिरफ्तार होने के बाद 55 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को दिया. गिरफ्तार होने के बाद 55 करोड़ रुपये के बॉन्ड शरद रेड्डी ने खरीदे और उसके बाद उसे जमानत मिल गई. इससे मनी ट्रेल साबित हो जाता है. यही पूरी जांच का मक़सद था कि एक तरफ आम आदमी पार्टी को क्रश करना. एक स्मोक स्क्रीन क्रिएट करना और पीछे से एक्सट्रैक्शन करना."
  उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी का मक़सद आम आदमी पार्टी को दबाना है.समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अदालत में पेश करने से पहले केजरीवाल से दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस बयान पर राय मांगी गई कि जेल से दिल्ली की सरकार नहीं चलेगी.इस पर केजरीवाल ने कहा कि यह एक राजनीतिक साज़िश है, लोग इसका जवाब देंगे.उन्होंने अदालत से कहा, "आरोप लगाया गया है कि 100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि मनी ट्रेल का सबूत नहीं है."केजरीवाल ने कहा, "यह केस दो साल से चल रहा है. 17 अगस्त, 2022 को सीबीआई का पहला केस दर्ज हुआ था और 22 अगस्त को ईडी ने मामला दर्ज किया."

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