कोलकाता / एजेंसी / तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं को पत्र लिखा है. इस पत्र में ममता ने लिखा है कि लोकतंत्र पर बीजेपी के हमलों के खिलाफ पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद साझा संघर्ष करने का वक्त आ गया है. ममता का यह लेटर ऐसे समय सामने आया है जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. सख्त शब्दों वाले करीब सात पेज के इस लेटर में कहा गया है कि समय आ गया है कि बीजेपी की ओर से लोकतंत्र और संविधान पर किए जा रहे 'हमले' के खिलाफ एकजुट होकर प्रभावी तरीके से संघर्ष किया जाए और देश के लोगों के सामने विश्वसनीय विकल्प पेश किया जाए .विवादित नए कानून जो केंद्र के प्रतिनिधि, दिल्ली के उप राज्यपाल को दिल्ली की चुनी हुई सरकार के खिलाफ अधिकार देता है, के साथ ही ममता ने ऐसी सात घटनाओं का जिक्र किया है जिसे वे लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर बीजेपी का हमला मानती हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के पत्र में कहा गया है कि गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों में केंद्र, राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है. ममता ने यह भी लिखा है कि NCT विधेयक का पारित होना एक ‘‘गंभीर विषय'' है और भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की सभी शक्तियों को छीन लिया है.एनसीटी एक्ट का जिक्र करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने लिखा कि उप राज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं.
सोनिया गांधी के अलावा यह पत्र एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, डीएमके के स्टालिन, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, वायएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी, बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक, तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और आम आदमी पार्टी के संयोजन अरविंद केजरीवाल को भी भेजा गया है. खास बात यह है कि माकपा और भाकपा को पत्र नहीं भेजा गया है .