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महिला सशक्तिकरण पर राजनैतिक दलों के दावे कितने सच्चे और चरितार्थ ..,24 साल के छत्तीसगढ़ में सिर्फ 07 सांसद पहुंचे लोकसभा में अबकी बार 06 महिला प्रत्याशी मैदान में

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रायपुर / शौर्यपथ / महिला सशक्तिकरण महिला उठान ,महिला स्वालंबन जैसी बाते राजनैतिक दलों का एक अहम् हथियार हो गया . पिछले विधान सभा चुनाव में महतारी वंदन योजना के फ़ार्म लाखो की संख्या में चुनावी समर में भाजपा ने भरवाए और सत्ता का द्वार भी खुल गया इस बार कांग्रेस का वादा 1 लाख सालाना का परन्तु सत्ता में भागीदारी कितनी इस पर सिर्फ जमीनी चर्चा होती है अमल में लाने का प्रयत्न किया गया हो ऐसा प्रतीत नहीं होता . छत्तीसगढ़ का निर्माण हुए २४ साल हो गए ४ लोकसभा चुनाव भी हो गये किन्तु कितने महिला सांसद छत्तीसगढ़ से लोकतंत्र के मंदिर में गए ये आंकड़े राजनैतिक दलों को आइना दिखा रहा है . मात्र 7 सांसद अबी तक लोकसभा के मंदिर में पहुंचे अगर इनका प्रतिशत निकाले तो लगभग 17 प्रतिशत ही होता है .


 छत्तीसगढ़ में हुए चार लोकसभा चुनाव में सिर्फ 7 महिलाएं बनीं सांसद,इस बार 6 मैदान में
    राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर बहुत बातें होती है.संसद में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल भी पास हो गया है. अहम बात ये है कि छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं की संख्या देश के दूसरे राज्यों में सबसे ज़्यादा है लेकिन उसके बावजूद छत्तीसगढ़ में महिलाओं का लोकसभा में प्रतिनिधित्व बेहद निराशा जनक है. राज्य में अब तक हुए चार लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ 7 महिला ही संसद पहुंच सकी हैं.
 राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर बहुत बातें होती है.संसद में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल भी पास हो गया है. अहम बात ये है कि छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं की संख्या देश के दूसरे राज्यों में सबसे ज़्यादा है लेकिन उसके बावजूद छत्तीसगढ़ में महिलाओं का लोकसभा में प्रतिनिधित्व बेहद निराशा जनक है. राज्य में अब तक हुए चार लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ 7 महिला ही संसद पहुंच सकी हैं.छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में महिला उम्मीदवारों के मामले में भाजपा ने बाजी मारी है 2004 से 2019 तक हुए चार चुनावों में कुल सात महिला सांसद चुनी गई। जिसमें सबसे ज़्यादा 6 सांसद बीजेपी से चुनी गई है. कोरबा से 2019 में कांग्रेस से ज्योत्सना महंत  चुनी गई हैं. छत्तीसगढ़ में महिला सांसद का औसत मुश्किल से 16 प्रतिशत रहा है
  पिछले चार चुनावों में भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों से 70 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़े पर सिर्फ़ सात महिलाएं चुनाव जीतीं. इसमें अहम ये है कि भाजपा और कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों को छोड़कर सभी की जमानत ज़ब्त हो गई. साल 2019 में बीजेपी ने सरगुजा से रेणुका सिंह और रायगढ़ से गोमती साय को टिकट दी थी दोनों ने जीत दर्ज की थी. वहीं तब कांग्रेस ने कोरबा से ज्योत्सना महंत और दुर्ग से प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दिया था पर कोरबा से ज्योत्सना ही चुनाव जीत पाई थी. अब पिछले पांच चुनावों में छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान महिला उम्मीदवारों की स्थिति पर भी निगाह मार लेते हैं.
  सूबे की सियासत में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर राज्य के दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं. बीजेपी प्रवक्ता किरण बघेल का कहना है कि मोदी जी के नेतृत्व में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है. हमने एक महिला को राष्ट्रपति बनाया. देश की वित्त मंत्री भी निर्मला सीतारमण को बीजेपी ने ही बनाया है.दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत का कहना है कि यदि सही में 33 फीसदी आरक्षण लागू होता तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में  महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता लेकिन केन्द्र में बैठी भाजपा की सरकार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करती है इसका जमीनी हकीकत से कुछ भी लेना-देना नहीं है. हालांकि इन दावों के बीच ये पहली बार है कि मौजूदा लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में 6 महिलाएं मैदान में हैं. जिसमें कोरबा सीट से बीजेपी ने सरोज पांडेय और कांग्रेस ने ज्योत्सना महंत को मैदान में उतारा है. इसके अलावा कांग्रेस ने सरगुजा से शशि सिंह और रायगढ़ से  
मेनका सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा है . इसके अलावा महासमुंद से बीजेपी ने रुपकुमार चौधरी और जांजगीर से कमलेश जांगड़े को पार्टी का टिकट दिया है. यानी एक बात तो तय है छत्तीसगढ़ से कोई महिला तो संसद में पहुंचेगी है.

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