रायपुर / शौर्यपथ / “सामाजिक न्याय केवल एक नारा नहीं, बल्कि यह वह संकल्प है जो समाज के सबसे वंचित व्यक्ति तक समान अवसर, गरिमा और सशक्तिकरण पहुँचाने से ही पूरा होता है।” इसी विचार को साझा करते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले मंगलवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे।
राज्य अतिथि गृह ‘पहुना’ में आयोजित समीक्षा बैठक में मंत्री आठवले ने मंत्रालय की योजनाओं की प्रगति का विस्तार से आकलन किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि पात्र हितग्राहियों तक योजनाओं का लाभ समयबद्ध, पारदर्शी और प्रभावी ढंग से पहुँचे।
सामाजिक न्याय ज़मीन पर उतारने का संकल्प
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य सामाजिक न्याय को कागजों से निकालकर ज़मीन पर उतारना है। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और दिव्यांगजनों के लिए चल रही योजनाओं का उद्देश्य केवल सहायता देना नहीं, बल्कि उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और स्वरोजगार जैसे क्षेत्रों में योजनाएँ कमजोर वर्गों की जीवनशैली में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
दिव्यांगजन और छात्रवृत्ति योजनाएँ रही केंद्र में
आठवले ने विशेष रूप से दिव्यांगजन सशक्तिकरण, छात्रवृत्ति और स्वरोजगार कार्यक्रमों की समीक्षा की। उन्होंने विभागीय समन्वय को मजबूत कर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में योजनाओं की विस्तृत पहुँच सुनिश्चित करने पर बल दिया।
समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारी
बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव तारण प्रकाश सिन्हा, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, समाज कल्याण संचालक रोक्तिमा यादव सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। अधिकारियों ने मंत्री को राज्य में चल रही योजनाओं की उपलब्धियों और चुनौतियों की जानकारी दी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री का स्पष्ट संदेश
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आठवले ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मंत्र को सामाजिक न्याय की नीतियों में ढाल रही है। उन्होंने दावा किया कि छत्तीसगढ़ समेत देशभर में उत्पीड़न की घटनाओं की दर में कमी आई है, जो जागरूकता और योजनाओं के असर का नतीजा है।
उन्होंने जोर देकर कहा—
“गरीब और वंचित समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना ही वास्तविक सामाजिक न्याय है। जब तक अंतिम पंक्ति का व्यक्ति विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ता, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा है।”
आठवले ने विश्वास जताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के तालमेल से सामाजिक न्याय का लक्ष्य अवश्य पूरा होगा।