9 घंटे चली समीक्षा बैठक में सुशासन, पारदर्शिता और जनसुविधाओं की गुणवत्ता पर फोकस — अब योजनाओं का असर सीधे फील्ड पर दिखेगा
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य शासन ने शनिवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में जनसेवा, जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रशासन का केंद्र बिंदु घोषित किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी जिलाधिकारियों से कहा —
“जनहित के कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन जनता के विश्वास का प्रतीक बने, भय का नहीं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अब “कागज़ों पर उपलब्धि दिखाने का दौर समाप्त हुआ है, सरकार परिणामों से अपना मूल्यांकन करेगी।”
धान खरीदी और कृषि नीति पर मुख्यमंत्री का फोकस
बैठक में सबसे पहले धान खरीदी की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी का कार्य राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों के सम्मान से जुड़ा विषय है, इसलिए इसमें किसी भी स्तर पर अनियमितता स्वीकार्य नहीं होगी।
उन्होंने निर्देश दिए कि: खरीदी केंद्रों की पूर्व जांच और सभी उपकरणों की कार्यशीलता सुनिश्चित की जाए।किसानों के पंजीयन, तौल और भुगतान की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाए। सीमावर्ती जिलों में अवैध धान परिवहन रोकने के लिए निगरानी तंत्र मजबूत किया जाए।मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि जहां कहीं भी शिकायत मिलेगी, वहां कलेक्टर स्तर पर ही कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही तय
मुख्यमंत्री साय ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करना सरकार की पहली प्राथमिकता है।”उन्होंने मातृ मृत्यु दर में कमी, टीकाकरण में 100% उपलब्धि, और स्वास्थ्य केंद्रों की नियमित निगरानी के निर्देश दिए।
शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि “राज्य का भविष्य कक्षा-कक्ष में तय होता है।” उन्होंने सभी कलेक्टरों से ड्रॉपआउट दर शून्य करने, आधार आधारित छात्र पंजीकरण और विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएँ सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देने को कहा।साथ ही, मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान को हर जिले में लागू करने का आदेश दिया।
योजनाओं की समयबद्धता और ई-गवर्नेंस पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को योजनाओं का लाभ “समय पर, पारदर्शी और बिना मध्यस्थ” के मिलना चाहिए।उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी विभाग अपने भुगतान और स्वीकृति प्रक्रियाओं में ई-गवर्नेंस प्रणाली को प्राथमिकता दें।
“हर योजना की सफलता फाइलों में नहीं, फील्ड में दिखनी चाहिए,” — मुख्यमंत्री साय ने कहा।
बैठक में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, सूर्यघर योजना, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान, नवजीवन स्व-सहायता मिशन और युवा कौशल विकास कार्यक्रम की प्रगति की भी समीक्षा की गई।
कलेक्टरों को फील्ड में उतरने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि “अधिकारी जनता से दूरी नहीं बनाएँ, उनके बीच जाकर वास्तविक स्थिति समझें।” उन्होंने यह भी कहा कि जिले की रैंकिंग अब रिपोर्टों से नहीं, जमीनी उपलब्धियों से तय की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कलेक्टर को अपने जिले में कम से कम सप्ताह में दो दिन फील्ड विजिट करने का निर्देश दिया।
संवेदनशील शासन की परिभाषा रखी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शासन केवल नीति और प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और संवाद का विषय है। उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन जनता की आवाज सुनना भी उतना ही आवश्यक है। प्रत्येक अधिकारी नागरिकों के प्रति जवाबदेह रहे, यही सच्चे प्रशासन की पहचान है।”
मुख्यमंत्री का समापन संदेश
बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा —“हर अधिकारी अपने जिले को सुशासन का मॉडल बनाए। जिम्मेदारी केवल पद की नहीं, जनविश्वास की भी है। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है — जनता को भरोसेमंद शासन देना, जो हर स्तर पर पारदर्शी और उत्तरदायी हो।”
मुख्य सचिव विकास शील ने सभी कलेक्टरों से शासन के निर्णयों को “तीव्र गति और परिणामोन्मुख कार्यशैली” में लागू करने की अपेक्षा की। बैठक में प्रदेश के सभी संभागायुक्त, विभागीय सचिव, पुलिस अधिकारी और कलेक्टर मौजूद रहे।