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एड्स नहीं है अंत : राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में विश्व एड्स दिवस पर ज्ञान, समझ और संवेदना का संगम

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राजनांदगांव/शौर्यपथ / भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबद्ध चिकित्सालय में विश्व एड्स दिवस के अवसर पर मेडिसिन विभाग एवं ए.आर.टी. सेंटर द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का प्रभावशाली आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम “अधिकार एवं संसाधनों की समझ: एड्स प्रभावित लोगों के लिए कानून और सरकारी सहायता” पर आधारित रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 10:45 बजे दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसमें अस्पताल अधीक्षक डॉ. अतुल मनोहरराव देशकर, उप-अधीक्षक डॉ. पवन जेठानी और जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी की नोडल अधिकारी डॉ. अल्पना लूनिया सहित अनेक चिकित्सक एवं शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में ज्योति यादव, डॉ. मीना आर्मो, डॉ. तिर्कि और डॉ. अराधना टोप्पो ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की।

मंच संचालन एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन विभाग डॉ. प्रकाश खुंटे, रेणु अवस्थिति और अश्विनी राय द्वारा किया गया, जबकि वक्ताओं के रूप में धर्मेन्द्र वर्मा, जितेन्द्र जंघेल और नागेश मुंजारे मौजूद थे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एमबीबीएस 2021 बैच के छात्रों द्वारा डॉ. नवीन तिर्कि के मार्गदर्शन में प्रस्तुत जागरूकता नाटक ‘एड्स की महामारी’ रहा, जिसमें मनोरंजक शैली में एचआईवी/एड्स से जुड़े मिथकों, भ्रमों और अफवाहों से होने वाले नुकसान को सरल भाषा में समझाया गया। नाटक में महाराजा अकबर की भूमिका डॉ. प्रकाश खुंटे ने, जोरा बाई की भूमिका अश्विनी राय ने, बनारकली का अभिनय अनुभूति ने, बिरबल का रोल आदित्य सिन्हा ने, सहजादा वलीम का अमन केसरी ने, सेनापति का अजय ने तथा खबरीलाल का रोल अक्षत ने प्रभावशाली ढंग से निभाया।

नाटक के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया कि एचआईवी कोई अंत नहीं है, ए.आर.टी. दवाएं रोगियों को लंबा और स्वस्थ जीवन प्रदान करती हैं तथा ये सेवाएं सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। कार्यक्रम के अंत में ए.आर.टी. सेंटर में सेवाएं दे रही काउंसलर भारती सिमानकर, स्टाफ नर्स धर्मशिला और तकनीशियन खिलेश सिन्हा को स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। डॉ. नवीन तिर्कि ने कार्यक्रम की सफलता का श्रेय संस्थान के डीन डॉ. पंकज मधुकर लुका के मार्गदर्शन को देते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि समाज में एड्स से जुड़े मिथकों को दूर करने और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक सार्थक और प्रभावी प्रयास साबित हुआ।

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Mrinendra choubey

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