दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
कोंडागांव / शौर्यपथ /
माकड़ी ब्लॉक के कांटागांव स्थित आदिवासी कन्या छात्रावास में शनिवार सुबह एक 11 वर्षीय छात्रा ने टाई से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बच्ची पांचवीं कक्षा की छात्रा थी और पहली कक्षा से ही इस छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही थी। घटना सुबह करीब 10 बजे भोजन के समय की बताई जा रही है।
हादसा तब सामने आया जब एक अन्य छात्रा हॉस्टल के कमरे में गई और उसने छात्रा को खिड़की से टाई के सहारे लटकते देखा। उसने तत्काल शिक्षकों को सूचना दी। टाई को कैंची से काटकर छात्रा को नीचे उतारा गया और तुरंत माकड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सूचना में देरी और संदिग्ध रवैया
घटना की सूचना पर एसडीएम अजय उरांव, सहायक आयुक्त कृपेंद्र तिवारी, तहसीलदार, बीईओ और अन्य शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का निरीक्षण किया।
हालाँकि, सूचना देने में देरी को लेकर छात्रावास प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
गांव के सरपंच मोतीराम मरकाम ने बताया कि उन्हें सुबह लगभग 10:45 बजे कॉल आया कि छात्रा बेहोश हो गई है। लेकिन बाद में पता चला कि छात्रा की मृत्यु हो चुकी थी। सरपंच के अनुसार, “घटना भोजन के समय की थी। उस वक्त कोई बच्चा अनुपस्थित था, तो स्टाफ को तुरंत पता चलना चाहिए था। सूचना में हुई देरी चिंताजनक है।”
वहीं, छात्रा के गांव के सरपंच लक्ष्मण नेताम ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “छात्रा को मंगलवार को ही आश्रम में छोड़ा गया था। वह पूरी तरह स्वस्थ थी। घटना सुबह 10 बजे की थी, पर परिजनों को दोपहर 12 बजे के बाद सूचना दी गई। हॉस्टल वार्डन या स्टाफ ने तत्परता नहीं दिखाई, जिससे संदेह पैदा होता है।”
कई सवालों के घेरे में छात्रावास व्यवस्था
यह घटना न केवल एक मासूम जीवन के असमय समाप्त होने की त्रासदी है, बल्कि छात्रावासों की देखरेख, निगरानी और मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रणाली पर भी प्रश्न उठाती है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और परिजनों का कहना है कि यह जानना जरूरी है कि इतनी कम उम्र की छात्रा ने ऐसा कदम क्यों उठाया — क्या वह किसी मानसिक दबाव में थी, या फिर यह किसी लापरवाही का नतीजा है।
प्रशासन ने कहा – जांच के बाद होगी कार्रवाई
अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच के बाद कहा कि घटना अत्यंत संवेदनशील है और विस्तृत जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
क्षेत्र के लिए पीड़ा और चिंता का विषय
11 वर्ष की एक छात्रा का इस तरह असमय जाना पूरे क्षेत्र के लिए पीड़ा और चिंता का विषय बन गया है।परिजन और ग्रामीण यह जानना चाहते हैं कि आखिर उस बच्ची के मन में ऐसा क्या चल रहा था जिसने उसे यह कदम उठाने पर विवश किया — क्या यह मासूम मन का मौन दर्द था या किसी और की चूक का परिणाम? जवाब अब जांच से ही मिल सकेगा।