जगदलपुर / शौर्यपथ / जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी के संभागीय सयुंक्त महासचिव नरेंद्र भवानी ने चपका ग्राम में जबरन उद्योग स्थापना पर हुई दुर्घटना पर गांव वाशियों के आवाज को दबाने के उद्देश्य से एक तरफा स्थानी जनप्रतिनिधियों व राज्य सरकार के दवाब में पुलिस विभाग द्वारा किये गए एफ़ आई आर को की नीतियों को आड़े हाथ लेते हुए ,जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी द्वारा राज्य की महामहीम राज्यपाल को ज्ञापन दे एफ़ आई आर को वापिस लेने व सम्पूर्ण घटना कर्म में आयोजक मंडल की गम्भीर चूक पर जांच व कार्यवाही की मांग लेकर बयान जारी करते हुए कहा,की बस्तर में राज्य सरकार उधोगपतियों को लाभ पहुचांने के उद्देश्य से संवेधानिक स्वरूप में दिए गए 5 वी अनुसूची ,पेसा कानून के अधिकारों को ताक में रख ,प्रभावित ग्राम पंचायतों के तर्क संगत नीतिगत विरोध व फर्जी ग्राम सभाओं के आरोपो पर जांच कर न्यायसगत कार्यवाही के बजाए,कोरोना संक्रमण के तीव्रता से बढ़ते आकड़ो के मद्देनजर बस्तर जिले में सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा 144 व अन्य धाराओं के प्रभावशीलता पर किसी भी आयोजन पर प्रतीबन्ध के खुद के आदेश की अवेहलना कर, चपका ग्राम पंचायत में गोपाल इंडस्ट्री स्पंज आयरन प्लांट स्थापना हेतु पर्यावरण विभाग की जनसुनवाई का आयोजन कर कोविड गाइडलाइंस को दरकिनार रख हजारों की भीड़ जुटवा ,संक्रमण के फैलाव व प्रभावितों के विरोध की नब्ज जानते हुए भी तनाव के माहौल को खुद आमंत्रित किया गया,जो राज्य सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उद्योगपतियो के प्रति गहरे स्वार्थ स्वरूप समझौते को दर्शाता है। व बस्तर के लोगो के प्रति जारी किए खुद के आदेश का दोहरा चरित्र को उजागर करता है।यह प्रश्न इस लिए उठ रहा है। क्योंकि जहाँ एक तरफ कोरोना गाइडलाइंस के तहत बस्तर के लोगो को अपने धार्मिक कार्यक्रम ,अन्य आयोजनों पर प्रतीबन्ध व शर्तों का पालन हेतु आदेशित किया गया है।
वही एक तरफ सरकारी कार्यक्रम में इन प्रतिबन्धों से अलग क्यों रखा गया था। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी व प्रभावितो की समिति द्वारा जनसुनवाईआयोजन को कोविड काल व धारा 144 के तहत प्रतिबंधित लगवाने व आगे बढ़ाने का निवेदन दूरभाष पर बस्तर कमिश्नर से निर्धारित तारीख से पहले की गई थी। इसके बावजूद यह जनसुनवाई क्यों ?व किसके दबाव में रखी गई ?, इस जनसुनवाई में कानून व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से बनाये रखने की जिमेदारी भी राज्य सरकार व उसके अमले की थी। तो भीड़ में सरारत करने वाले तत्वों की पहचान पूर्व से क्यों नही की गई?,वही कोविड संक्रमण के तीव्र फैलाव के मद्देनजर यह जनसुनवाई स्थगित क्यों नहीं कि गई?,वही इस जनसुनवाई की अनुमति व शर्ते पूर्व में सार्वजनिक क्यों नहीं कि गई ?,यह ज्वलन्त सवाल बस्तर के हर निवाशियो के जहन में है।
जिसका जवाब राज्य सरकार ,स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन को देना ही होगा?,इन्ही तार्किक तथ्यों को बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा राज्य की राज्यपाल महोदय के समक्ष रख प्रभावित ग्राम पंचायत के निवाशियो पर जबरन दबाव में किये गए एक तरफा एफ़ आई आर को राज्य सरकार से वापिस करवाने व इस सम्पूर्ण घटना कर्म में आयोजक मंडल के गम्भीर चूक की परिस्थितियों की उच्च स्तरीय जांच करवा संलिप्त दोषियो पर कार्यवाही की मांग रखेगी,वही समय पर मांग न माने जाने पर समांनीय उच्चन्यायालय में न्याय हेतु याचिका दायर करेगी।