दुर्ग । शौर्यपथ । कहते है घर का मुखिया चाहे तो घर मे कलह की कोई जगह नही होती और किसी को भी ग्लानि महसूस नही करना पड़ता । बात बहुत ही छोटी है किंतु देखी जाए तो बड़ी गहरी भी ।
बात बीते दिन की है दुर्ग शहर में लॉक डाउन के नियमो का पालन कड़ाई से हो रहा है कि नही इसका निरीक्षण करने दुर्ग जिला के कलेक्टर अंकित आनंद स्वयम बाजार क्षेत्र में निकले वह उनकी नजर शनिचरी बाज़ार में एक महिला के ऊपर पड़ी जो सब्जी भेज रही थी । महिला बुजुर्ग थी तो कलेक्टर आनंद स्वयं उत्तर कर महिला को समझाईश दी कि लॉक डाउन के नियमो के तहत दुकान / पसरा बन्द करने का समय हो गया साथ ही महिला की समस्त सब्जी (भाजी) को तय कीमत देकर खरीद लिए ।
अंकित आनन्द दुर्ग के प्रशासनिक मुखिया है सिर्फ दो शब्द के आदेश से ही बुज़ुर्ग महिला को दुकान बंद करनी पड़ती । सब्जी चाहे खराब हो जाये दूसरे दिन या महिला का आर्थिक नुकसान हो जाये आदेश का पालन करवाने वाले कर्मचारी को कोई मतलब नही रहता । किन्तु ज़िले के मुखिया ने ना ही बुजुर्ग महिला को अहसान तले दबाया और ना ही आदेश का कड़ाई से पालन करवाने के लिए सख्त कदम उठाए । बस एक मुखिया होने का फर्ज अदा करते हुए बुजुर्ग महिला से समस्त सब्जी खरीदी और आइंदा समय से व्यापार बन्द करने की बात कहते हुए मास्क देकर सोशल डिस्टेंस की जानकारी देते हुए आगे बढ़ गए ।
किसी भी कलेक्टर के सम्पूर्ण कार्यकाल में ऐसे कई वाकये आते है जिन्हें वह याद भी नही रख पाते होंगे किन्तु उनके इस तरह के व्यवहार को बुजुर्ग महिला ताउम्र याद रखेंगी ।