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48 वर्षों की परंपरा जीवित: क्वांर नवरात्र में सत्तीचौरा और गंजमंडी की ‘दो बहनों’ का ऐतिहासिक मिलन Featured

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   दुर्ग / शौर्यपथ /  क्वांर नवरात्र पर्व पर दुर्ग की धार्मिक नगरी ने एक बार फिर परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखा। गंजपारा स्थित श्री सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर की माता (छोटी बहन) और पुरानी गंजमंडी गंजपारा की माता (बड़ी बहन) का विगत 48 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पंडाल स्थापना से पूर्व नगर भ्रमण के दौरान एक स्थान पर ऐतिहासिक मिलन हुआ।

यह परंपरा बुजुर्गों द्वारा स्थापित मानी जाती है। मान्यता है कि जब तक दोनों बहनें एक-दूसरे को नहीं देख लेतीं, तब तक उनकी प्रतिमा को पंडाल में विराजमान करना संभव नहीं होता। समिति के सुजल ईशान मोनू शर्मा ने बताया कि कई बार ऐसा प्रमाण मिला है कि जब दोनों प्रतिमाओं का आमना-सामना नहीं होता, तब दर्जनों लोगों द्वारा प्रयास करने पर भी प्रतिमा वाहन से उतारी नहीं जा सकी। लेकिन मिलन होते ही सहजता से स्थापना संभव हुई।

ऐतिहासिक स्वागत और भक्तों की भीड़

इस वर्ष दोनों माताओं का मिलन सत्तीचौरा में हुआ। समिति द्वारा ऐतिहासिक स्वागत किया गया—फूलों एवं रंगों की वर्षा के बीच आरती उतारी गई। वातावरण में भक्ति, उल्लास और नृत्य-गान की छटा फैल गई। शहर और दूरदराज़ से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस अनूठे मिलन का प्रत्यक्ष दर्शन किया।

सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर का नवरात्र कार्यक्रम

  • 22 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक प्रतिदिन प्रातः 9 बजे भक्तों द्वारा माता जी का अभिषेक।

  • प्रतिदिन दोपहर 12 बजे 108 कन्याओं का पूजन एवं कन्या भोज

  • आकर्षक झांकियां: बरहा ज्योतिर्लिंग दर्शन और शिव वाटिका दर्श

  • 27 सितम्बर (पंचमी): 108 दीपों से महाआरती।

  • 30 सितम्बर (अष्टमी): माता जी को 56 भोग अर्पित।

  • 1 अक्टूबर (नवमी): 371 ज्योतियों के साथ ज्योत विसर्जन।

  • 2 अक्टूबर (दशमी): प्रदेश का सबसे बड़ा कन्या भोज।

  • 3 अक्टूबर: मूर्ति विसर्जन शोभायात्रा।

परंपरा का संदेश

यह मिलन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और एकता का प्रतीक है। दुर्ग की इस परंपरा ने नवरात्र पर्व को और भी विशिष्ट बना दिया है।


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