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गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी: ऐतिहासिक नगर कीर्तन आज भिलाई-दुर्ग पहुँचा — संगत ने भव्य स्वागत किया

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    दुर्ग / भिलाई / शौर्यपथ / शहीदों दे सरताज—धन-धन गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी के उपलक्ष्य में आयोजित ऐतिहासिक नगर कीर्तन आज (सुबह) छत्तीसगढ़ में पहुँचा। यह कीर्तन असम धुरी के पावन गुरद्वारे साहिब से प्रारम्भ होकर सुबह लगभग 10:15 बजे भिलाई के कुम्हारी टोल प्लाजा पहुँचा, जहाँ छत्तीसगढ़ सिख पंचायत-भिलाई और यूथ सिख सेवा समिति-भिलाई ने संगत सहित गुरूग्रन्थ साहिब की हाजरी भरते हुए हर्षोल्लास के साथ अतिथि-सत्कार किया।
  नगर कीर्तन की यात्रा तुंरत बाद चरोदा , खुर्सीपार ,पावर हाउस, सुपेला घडी चौक व नेहरू नगर चौक होते हुए दुर्ग पहुँची। प्रत्येक पड़ाव पर संगत ने शुद्ध भाव से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए और लगभग 10-10 मिनट तक नाम-सिमरन व कीर्तन में शामिल होकर श्रद्धा अर्पित की।
  यूथ सिख सेवा समिति-भिलाई ने संगत का हृदयपूर्वक आभार व्यक्त किया और कहा कि स्थानीय समुदाय ने बढ़-चढ़ कर इस ऐतिहासिक अवसर को सफल बनाने में योगदान दिया। आयोजन न केवल सिख इतिहास की अमर गाथा का स्मरण कराता है, बल्कि समाज में भाईचारे, त्याग और मानवता का बढ़ाता संदेश भी देता है।

मुख्य आयोजक व उपस्थित वरिष्ठ लोग:
  यूथ सिख सेवा समिति-भिलाई के अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह (छोटू), कोषाध्यक्ष मलकीत सिंह, महासचिव जसवंत सिंह सैनी, सचिव हरपाल सिंह, तथा समिति के अन्य पदाधिकारी-सदस्य (हरिंदर सिंह, यशदीप सिंह, सोम सिंह इत्यादि) प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
 सिख पंचायत के प्रमुख प्रतिनिधियों में अध्यक्ष जसवीर सिंह चहल, वाइस चेयरमैन गुरमीत सिंह गाँधी के साथ कई वरिष्ठ साथी और समाजसेवी मौजूद रहे। (कार्यक्रम में सैकड़ों संगत तथा स्थानीय सामाजिक-धार्मिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।)

कार्यक्रम का सार:
 नगर कीर्तन का शांत और अनुशासित स्वरूप, नाम-जप एवं कीर्तन की रसधारा, तथा संगत का अनुकरणीय सहयोग-व्यवहार प्रमुख रूप से देखने को मिला। आयोजन के माध्यम से शहीदी पर्व की गरिमा बनाए रखते हुए स्थानीय लोगों में ऐतिहासिक जानकारी और धार्मिक भावनाओं को सम्मानजनक मंच मिला।

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