दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में जब से ईई के पद में मोहन पूरी गोस्वामी ने पद संभाला है तब से वर्तमान तक उनके द्वारा किया गया हर कार्य विवादित ही रहा है . जनप्रतिनिधियों के जयादा संपर्क में रहने के आदि मोहन पूरी गोस्वामी प्रधान मंत्री आवास योजना से अपने कार्य की शुरुवात की किन्तु लापरवाही के चलते उन्हें यहाँ से हटा दिया गया . पूर्व के आयुक्त इन्द्रजीत बर्मन के कार्यकाल में प्रथम के एक दो माह निगम के सर्वेसर्वा बनने की कोशिश ईई गोस्वामी द्वारा की गयी किन्तु अधिकतर कार्य में लापरवाही . कार्यो के कार्यादेश देने में देरी , कार्यो को पूर्ण करवाने में देरी , ठेकेदारों को भुगतान के लिए गुमाने जैसे कई कारणों से तात्कालिक आयुक्त बर्मन द्वारा उन्हें नोटिस भी दिया गया एवं कई महत्तवपूर्ण कार्य के प्रभार से हटा दिया गया . दुर्ग विधायक के करीबी होने का शायद ईई मोहन पूरी गोस्वामी को अभी तक फायदा मिलता रहा किन्तु वर्तमान में मोहन पूरी गोस्वामी द्वारा पिछले दिनों महिला कालेज के एक स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करने एवं थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है .
दो तीन दिनों से ऐसी सुगबुगाहट थी की ईई गोस्वामी ने किसी कर्मचारी को थप्पड़ मारा है किन्तु अपने पद की ताकत के आगे मामले को दबाने की कोशिश भी की गयी .
शौर्यपथ समाचार ने जब मामले की बारीकी से जाँच की तो ज्ञात हुआ कि १२ तारीख को वेक्सिनेशन के एक दिन पहले महिला कालेज के एक कर्मचारी को ईई गोस्वामी ने थप्पड़ मार दिया था . उस कर्मचारी का कुसूर इतना था कि उसने सिर्फ ये पूछा आप कौन है इतनी सी बात पर ईई गोस्वामी द्वारा थप्पड़ मरना आखिर संविधान के किस किताब में लिखा है . एक अनजान व्यक्ति जब कर्मचारी के कार्यालय में प्रवेश कर रहा है तो कर्मचारी ने अगर परिचय पूछ लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया जिसमे उसे थप्पड़ मारने की नौबत आ गयी .
पीड़ित कर्मचारी से जब इस मामले में बात की गयी तो उसके द्वारा बताया गया कि ११ तारीख को एक व्यक्ति कार्यालय के अन्दर आया जो हमारे स्टाफ का नहीं था इसलिए मैंने सविनय परिचय जानना चाहा इतने में अधिकारी द्वारा मुझे जानते नहीं मई कौन हूँ कहकर थप्पड़ मार दिया गया . इस बात की शिकायत जब पीड़ित द्वारा शहर के विधायक को की गयी तो विधायक द्वारा अधिकारी को समझा देने की बात कह कर बात खत्म करने की बात कही गयी .
शहर विधायक द्वारा इस तरह आश्वासन के बाद ये उम्मीद जगी कि अधिकारी को अपनी गलती का अहसास होगा किन्तु दुसरे दिन सिर्फ यही पता चला कि अधिकारी ने माफ़ी मांगी किन्तु यह जमीनी सच्चाई नहीं अधिकारी द्वारा इस बारे में कोई बात पीड़ित से नहीं की गयी ऐसा पीड़ित का कहना है .
पीड़ित से जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने बात की तो पीड़ित द्वारा इस बात की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से करने की बात कही किन्तु चंद घंटो में ऐसा क्या हुआ कि पीड़ित के सुर कुछ घबराहट से भरे हुए थे और वो डरे हुए शब्दों में अपरोक्ष रूप से यह कहने की कोशिश कर रहा था कि अगर शिकायत करूँगा तो सब बड़े अधिकारी और ऊँची पहुँच वाले लोग मिलकर मुझे नौकरी से निकाल देंगे जिससे मेरा भविष्य खराब हो जाएगा .
बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस अधिकार से पीड़ित को एक अधिकारी थप्पड़ मार सकता है .
विधायक वोरा को जानकारी होने के बाद भी उनके द्वारा मामले को आयुक्त दुर्ग निगम के संज्ञान में क्यों नहीं लाया गया .
क्या दुर्ग निगम आयुक्त अपने अधिकारी के इस तरह के व्यवहार पर कोई कड़ी कार्यवाही करेंगे या मौन समर्थन देंगे .
क्या मामले को जिलाधीश संज्ञान में लेकर निष्पक्ष जाँच कर एक चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारी को न्याय दिलाएंगे ?