जीवन को जीतना है
डॉ. शैल चन्द्रा की कविता
क्या हुआ जो घरों में बंद हैं।
होगा आगे आनंद ही आनंद है।
अभी इक्कीस दिन सब्र के साथ रहो घर के अंदर।
नहीं तो महाप्रलय का आएगा समंदर।
बाहर घूमने वालों कुछ दिन खा लो दाल -रोटी।
भीड़ लगाने वालों संभलो,
वरना कोरोना नोच लेगी तुम्हारी बोटी -बोटी।
यह वक्त जिंदगी और मौत का छोड़ रही है सवाल।
भीड़ बढ़ाकर मत करो तुम बवाल।
घर में रहकर लगा दो हर द्वार में ताले।
बच जाओगे तुम हो किस्मत वाले।
हर हालत में बाहर न रखना कदम ।
वरना निकल जायेगा तुम्हारा दम।
घर में रहकर कोरोना को हराना है।
मौत को मात देकर जीवन को जीतना है।
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मौत मंडरा रहा है सर पर।
रहो लोगों तुम घर पर।
घर पर रहने से ही बचोगे।
इसी तरह मौत से जंग जीतोगे।
घर पर रहना ही देशभक्ति है।
कोरोना से लड़ने की यही शक्ति है।