नई दिल्ली / एजेंसी / राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी पर उनकी सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. गहलोत ने आशंका जताई कि गुजरात और राजस्थान में राज्यसभा के चुनावों में इरादतन दो माह की देरी की गई क्योंकि वे 'खरीद-फरोख्त' पूरी नहीं नहीं कर पाए थे. विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते कांग्रेस ने बुधवार को राजस्थान के अपने विधायकों को एक रिसॉर्ट में पहुंचाया है.समाचार एजेंसी ANI ने सीएम गहलोत के हवाले से कहा, "चुनाव (राज्यसभा) यहां है. इसे दो महीने पहले कराया जा सकता था, लेकिन उन्होंने गुजरात और राजस्थान में 'खरीद और बिक्री' को पूरा नहीं किया था, इसलिए उन्होंने इसमें देरी की. चुनाव अब होने जा रहे हैं और स्थिति जस की तस है."
मुख्यमंत्री ने विधायकों के साथ बुधवार रात हुई बैठक के बाद कहा, "आप कब तक हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल होकर राजनीति करेंगे. इसमें हैरानी नहीं होगी यदि कांग्रेस उन्हें आने वाले समय में झटका दे. जनता सब कुछ समझती है." इन विधायकों को शिव विलास रिसोर्ट में ठहराया गया है. उन्होंने बैठक को "लाभदायक" बताया और कहा कि "सभी एकजुट है". इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि राज्य में उनकी पार्टी को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. पाटी ने इसस संबंध में राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को शिकायत दी है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि उसके विधायकों और कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वाले निर्दलीयों को 'खरीदने' की कोशिश की जा रही है.
राजस्थान विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक कांग्रेस नेता महेश जोशी ने एक पत्र में कहा, "मुझे विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से पता चला है कि हमारे विधायकों और निर्दलीय विधायकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है. पत्र में कहा गया है कि यह संविधान की भावना और निंदनीय कृत्य के खिलाफ है. ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें. पत्र में हालांकि सीधे तौर पर बीजेपी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन इशारा इसी पार्टी की ओर है.
गौरतलब है कि यह पत्र ऐसे समय सामने आया है जब राज्यसभा चुनावों के लिए 19 जून को मतदान होना है. राजस्थान में तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है, जिसमें से दो कांग्रेस और एक बीजेपी के पक्ष में जाने की उम्मीद है. हालांकि बीजेपी ने एक के बजाय दो उम्मीदवारों को मैदान में उतरकर कांग्रेस में 'भितरघात या क्रॉस वोटिंग' की अटकलों को बढ़ा दिया है.राज्य विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इसमें पिछले साल बीएसपी से टूटकर कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायक शामिल हैं. कांग्रेस को 12 निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है. दूसरी ओर, बीजेपी के 72 विधायक हैं और साझेदारी और निर्दलीयों में छह का समर्थन उसे हासिल है. प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए आदर्श रूप से 51 प्रथम वरीयता वाले वोटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में कांग्रेस की राह आसान लग रही है. बीजेपी के दूसरे उम्मीदवार के जीतने की संभावना उसी स्थिति में बन सकती है यदि पर्याप्त संख्या में कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करें और निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के पक्ष में पाला बदल लें.