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यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बढ़त की रूस की चाहत से परमाणु युद्ध का खतरा मंडराया

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पेरिस/शौर्यपथ /कई दशकों से आम आदमी की सोच से परे रहे परमाणु युद्ध के डरावने सपने यूक्रेन पर रूस के हमले के साथ ही वापस आ गए हैं. रूस युद्ध के दौरान बैकफुट पर नज़र आने लगा है, और इसी से आशंका प्रबल हुई है कि अब कामयाबी की सूरत देखने के लिए रूस अपने परमाणु हथियारों का सहारा ले सकता है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश - अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस - ही दुनियाभर में परमाणु शक्तिसंपन्न देशों के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं.
NATO के पूर्व उप-महासचिव कैमिले ग्रैंड का कहना है, "यह पहला मौका है, जब किसी परमाणु शक्तिसंपन्न मुल्क ने पारम्परिक युद्ध छेड़ा है..."
समाचार एजेंसी AFP से कैमिले ग्रैंड ने कहा, "कोई यह कल्पना तो कर सकता है कि कोई बुरा देश ऐसा रवैया अपना सकता है, लेकिन यह तो दुनिया की दो सबसे प्रमुख परमाणु शक्तियों में से एक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य देश है..." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हथियारों का असल में इस्तेमाल किया जाना अब भी 'असंभावित' है.
वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिकी परमाणु हमले के बाद उभरा नैतिक और रणनीतिक 'टैबू' फिलहाल कायम है, लेकिन बयानबाजी अब काफी तेज़ी पकड़ चुकी है.
यूक्रेन पर हुए हमले के बाद से ही रूसी TV चैनलों पर बार-बार पेरिस या न्यूयॉर्क जैसे पश्चिमी शहरों पर परमाणु हमलों को लेकर चर्चा की गई है. एक पूर्व रूसी राजनयिक ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर चेताया कि अगर राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को रूस के अस्तित्व पर खतरा महसूस हुआ, तो "वह बटन दबा देंगे..."
इस साल हुई घटनाएं समूचे यूरोप के लिए 'आंखें खोल देने वाली' रही हैं, जो कई दशकों तक परमाणु सुरक्षा के मामले में शीत युद्ध से मिल रहे लाभ का आनंद लेता रहा, जबकि अटलांटिक के उस पार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसी साल अक्टूबर में दुनिया के सिर पर संभावित 'विश्वयुद्ध' का खतरा मंडराने की चेतावनी दी थी.

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