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ममता के राज में बढ़ता कोरोना का जाल

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पश्चिम बंगाल । शौर्यपथ । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता आख़िर कोरोना का हॉटस्पॉट कैसे बन गया है? यहां नए मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. अब तक राज्य में कोरोना के जितने मामले आए हैं, उनमें से आधे से अधिक कोलकाता में ही हैं. कोराना के कारण मरने वालों का अनुपात भी लगभग ऐसा है. इसके साथ ही यहां कंटेनमेंट ज़ोन की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. कोलकाता नगर निगम के 144 वार्डों में से 107 में इस वायरस के मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है. केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि 13.2 फ़ीसदी के साथ पश्चिम बंगाल में कोरोना की मृत्यु दर देश में सबसे ज़्यादा है. हालांकि राज्य सरकार ने इस दावे का खंडन किया है. लेकिन वह भी मानती है कि कोलकाता की स्थिति गंभीर है.कोरोना पॉज़िटिव की बढ़ती संख्या लगातार बढ़ते मामलों से परेशान सरकार ने अब कोलकाता के पांच कोरोना अस्पतालों में जांच और इलाज की निगरानी के लिए पांच विशेषज्ञ टीमों का गठन किया है. इसके साथ ही एशिया की सबसे बड़ी थोक अनाज मंडी बड़ाबाज़ार के कुछ हिस्सों को अन्यत्र शिफ़्ट करने पर भी विचार किया जा रहा है. बेहतरीन अस्पतालों और डॉक्टरों के साथ, पूरा सरकारी ताम-झाम और पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी के बावजूद कोलकाता में कोरोना पॉज़िटिव की बढ़ती संख्या राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर उभरी है. पूरे राज्य में जो 566 कंटेनमेंट ज़ोन हैं उनमें से 326 अकेले कोलकाता में हैं. कंटेनमेंट ज़ोन की यह सूची लगभग रोज़ाना लंबी हो रही है.राज्य में कोरोना वायरस की वजह से अब तक जो मौतें हुई हैं, उनमें से लगभग 60 फ़ीसदी कोलकाता में ही हैं. संक्रमितों के मामले में तो यह आँकड़ा इससे भी ज़्यादा है. कोरोना के मामले बढ़ने की वजह कोलकाता में इस वायरस की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है उनमें वरिष्ठ डॉक्टरों के अलावा केंद्रीय सुरक्षाबल के अधिकारी, वरिष्ठ एडवोकेट और जाने-माने इतिहासकार हरिशंकर वासुदेवन जैसे लोग शामिल हैं. इस कारण अब स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे पर भी सवाल उठने लगे हैं. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में तो यह संक्रमण इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है कि डॉक्टर्स फ़ोरम ने चिंता जताई कि अगर परिस्थिति पर शीघ्र काबू नहीं पाया गया तो कुछ दिनों में यहां कोरोना के मरीज़ों का इलाज करने वाला भी कोई नहीं बचेगा. गृह सचिव आसापान बनर्जी कहते हैं कि सरकार इस संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है. लेकिन आख़िर कोलकाता में कोरोना संक्रमण के तेज़ी से फैलने की वजह क्या है? विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में महानगर में इसकी सरेआम धज्जियां उड़ती रहीं. बाज़ारों और सड़कों पर उमड़ती भीड़ को देख कर कहीं से लगता ही नहीं था कि लॉकडाउन चल रहा है. आए दिन अख़बारों और टीवी पर आने वाली तस्वीरें इसकी गवाही देती रही हैं. कोरोना संक्रमितों की संख्या अप्रैल के आख़िर में सरकार कुछ सख़्त ज़रूर हुई, लेकिन बावजूद इसके संक्रमण के मामले घटने की बजाय बढ़ ही रहे हैं. नौ से 10 मई के बीच चौबीस घंटे के दौरान राज्य में कोरोना से जिन 14 लोगों की मौत हुई उनमें से 10 लोग कोलकाता के ही थे. बीते एक सप्ताह से कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. 10 मई को राज्य में 153 नए मरीज़ सामने आए थे जो एक नया रिकार्ड था. इनमें से 87 लोग कोलकाता के थे. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आम लोगों की लापरवाही की वजह से हालात तेज़ी से बदतर हुए हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस का स्वरूप बदलना भी इसके लिए ज़िम्मेदार है. विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर अनिमेष बसु कहते हैं, "कोरोना का संक्रमण और मृतकों की संख्या बढ़ना कई चीज़ों पर निर्भर है. यह देखना होगा कि क्या सांस की बीमारी वाले लोगों को सही इलाज मिल पा रहा है? क्या कोरोना के लक्षण वाले मरीज़ देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और क्या उनको वहां सही इलाज मिल रहा है? इसके साथ यह भी देखना होगा कि वायरस का म्यूटेशन तो नहीं हो रहा है?" कोलकाता में खाद्यान्नों की सबसे बड़ी थोक मंडी तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन मानते हैं कि कोलकाता में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन उनका दावा है कि पूर्ण लॉकडाउन के बाद सघन आबादी वाले वाले इलाक़ों से नए मामले अब कम आ रहे हैं. वो कहते हैं, "कोलकता नगर निगम ने कंटेनमेंट ज़ोन में घर-घर जाकर जाँच और सर्वेक्षण का काम शुरू किया है." कोविड-19 से ममता बनर्जी सरकार की लड़ाई में डा. शांतनु सेन भी अहम भूमिका में हैं.वो बताते हैं कि कोलकाता में खाद्यान्नों की सबसे बड़ी थोक मंडी की कई गलियों को पूरी तरह सील कर दिया गया है.इस इलाक़े में स्थित पोस्ता मार्केट में देश के विभिन्न हिस्सों से ट्रकों में भर कर खाद्यान्न पहुंचता हैं. बाज़ार शिफ्ट करने से रुकेगा संक्रमण का ख़तरा? अब सरकार इस बाज़ार के एक हिस्से को कोलकाता से बाहर शिफ्ट करने पर विचार कर रही है. नगर निगम के पूर्व मेयर और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हक़ीम का कहना है कि इन ट्रकों की वजह से भी संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है. वो कहते हैं, "अगर लोग इसी तरह बाहर से ट्रकों में आते रहे तो वायरस के संक्रमण को रोकना संभव नहीं है. पुलिस से इन ट्रकों को शहर की सीमा से बाहर ही रोक कर सामान उतारने की व्यवस्था करने को कहा गया है." फिरहाद हक़ीम का कहना है कि बड़ाबाज़ार और आसपास के इलाक़ों में कोरोना संक्रमितों की संख्या महानगर के दूसरे इलाक़ों के मुक़ाबले ज़्यादा है. इसलिए सरकार इस बाज़ार को कहीं अन्य शिफ्ट करने पर विचार कर रही है. पुलिस और प्रशासन दूसरी ओर, कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि देश के दूसरे राज्यों से आने वाले ट्रकों को महानगर की सीमा से बाहर खड़ा करने की स्थिति में भी खाद्यान्न को छोटे ट्रकों में लाद कर बड़ाबाज़ार तक तो लाना ही होगा. ऐसे में संक्रमण का ख़तरा जस का तस ही रहेगा. वो बताते हैं, "हमने तमाम कंटेनमेंट ज़ोन को सील कर दिया है और घर-घर ज़रूरी सामान भी पहुंचा रहे हैं. लेकिन लगातार बढ़ते ऐसे इलाक़ों की वजह से लोगों को ज़रूरी सामान मुहैया कराना अब मुश्किल होता जा रहा है." इस बीच, बीजेपी ने कोलकाता की मौजूदा परिस्थिति के लिए पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "लॉकडाउन लागू करने में पहले दिन से ही बरती गई लापरवाही का खामियाज़ा इस महानगर को भुगतना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले मिठाई दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी. उसके बाद बाज़ारों में भी भीड़ उमड़ती रही." घोष का कहना है कि देश के बाक़ी महानगरों के मुक़ाबले कोलकाता में लॉकडाउन के लंबा खिंचने का उन्हें अंदेशा है.

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