July 30, 2025
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शौर्यपथ

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मुख्यमंत्री ने कहा – छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय प्रदेश है, कानून अपना कार्य कर रहा है
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आज मंत्रालय, महानदी भवन में केरल एवं ओडिशा के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा सांसद चलाकुडी से बेनी बेहनन, कोट्टायम से श्री के. फ्रांसिस जॉर्ज, कोल्लम से श्री एन. के. प्रेमचंद्रन, कोरापुट से सप्तगिरि उल्का, और केरल विधानसभा सदस्य श्रीमती रोजी एम. जॉन शामिल थे।प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से राज्य में हाल ही में चर्चा में आए धर्मांतरण प्रकरण की जानकारी साझा की।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय और समरसता में विश्वास रखने वाला प्रदेश है, जहाँ सभी धर्मों के लोग सौहार्दपूर्वक रहते हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करते हुए कहा कि मामले की जांच न्यायिक प्रक्रिया के तहत की जा रही है। कानून स्वतंत्र रूप से अपना कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि प्रदेश की बेटियाँ और नागरिक सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करें।

रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में पदक विजेता खिलाड़ियों ने सौजन्य भेंट की।
मुख्यमंत्री साय ने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने खिलाड़ियों को और अधिक मेहनत कर प्रदेश का नाम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रदेश के विजेता खिलाड़ियों में रजत पदक विजेता अन्नू देवी कुंवर, दीप्ति साहू तथा कांस्य पदक विजेता संजना कन्नौजिया और हर्षा सेन शामिल थीं। प्रशिक्षक विशाल हियाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ किक बॉक्सिंग संघ के प्रदेशाध्यक्ष श्री छगन लाल मुंदड़ा तथा महासचिव श्री आकाश गुरुदीवान  उपस्थित थे।

स्वामी आत्मानंद विद्यालय का निरीक्षण कर स्कूल के साफ-सफाई एवं सौन्दर्यीकरण करने के निर्देश
नारायणपुर/शौर्यपथ / कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं द्वारा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय सिंगोड़ीतराई, प्राथमिक शाला एवं आंगनबाड़ी केन्द्र अंजरेल का औचक निरीक्षण किया गया। उन्होंने स्वामी आत्मानंद सिंगोड़ीतराई का निरीक्षण करते हुए प्राचार्य को विद्यालय का साफ-सफाई एवं सौन्दर्यीकरण करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने विद्यालय के शिक्षकों की पदस्थापना संबंधी जानकारी ली तथा रिक्त पदों को शीघ्र पूर्ति करने के निर्देश दिए। उन्होंने निरीक्षण करते हुए कक्षा 9वीं के बच्चों से संस्कृत विषय की जिज्ञासा संबंधी जानकारी ली और बच्चों से पाठय पुस्तक मिलने की जानकारी लेते हुए कक्षा शिक्षक से सभी विषय संबंधी विस्तार पूर्वक जानकारी ली। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय का निरीक्षण करते हुए कक्षा 11वीं के बच्चों से विषय संबंधी जानकारी लेते हुए नीट की पढ़ाई करने प्रोत्साहित किया। उन्होंने कक्षों का निरीक्षण करने के पश्चात् फिजीक्स एवं केमिस्ट्री लैब का भी अवलोकन किया। उन्होंने विद्यालय परिसर के अवलोकन करते हुए भण्डार एवं भोजन कक्ष का भी अवलोकन कर प्राचार्य को साफ-सफाई, रखने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने निरीक्षण करते हुए पहली एवं दुसरी कक्षा के बच्चों से विषय संबंधी जानकारी ली। उन्होंने निरीक्षण करते हुए कक्षा पहली के बच्चों से अंग्रेजी अक्षर ज्ञान संबंधी बच्चों का जिज्ञासा बढ़ाया। निरीक्षण पश्चात स्कूल परिसर का जायजा लेते हुए प्राचार्य को शौचालय, लैब, भवन मरम्मत करने के निर्देश दिए। स्वामी आत्मानंद विद्यालय के उपयोगी सामग्रियों की आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
उन्होंने प्राथमिक शाला और आंगनबाड़ी केंद्र अंजरेल का निरीक्षण के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की उपस्थिति कम होने के कारण नाराजगी व्यक्त करते हुए बच्चों की उपस्थिति संख्या में वृद्धि करने निर्देशित किया। कलेक्टर ने आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों का परिचय पूछते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से बच्चों के अनुपस्थिति संबंधी जानकारी ली। कलेक्टर ने अंजरेल के स्कूली बच्चों से परिचय पूछते हुए शिक्षा की गुणवत्ता संबंधी जानकारी ली तथा शिक्षक को अच्छी शिक्षा देने के लिए निर्देशित किया। प्राथमिक शाला एवं आंगनबाड़ी केन्द्र के निरीक्षण पश्चात् कलेक्टर ममगाईं ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत खोड़गांव से चिचाड़ी पारा तक 3.40 किलोमीटर सड़क का भी जायजा लिया।
कलेक्टर ममगाईं ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय महावीर चौंक का निरीक्षण किया। निरीक्षण करते हुए प्राथमिक शाला महावीर चौंक का निरीक्षण करते हुए स्कूल में साफ सफाई और शिक्षा की गुणवत्ता संबंधी जानकारी लेकर शिक्षक को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने निर्देशित किया। उन्होंने निरीक्षण करते हुए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय महावीर चौंक के कक्षा 12वीं के बच्चों से विषय संबंधी चर्चा करते हुए बेहतर पढाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। निरीक्षण पश्चात स्कूल परिसर में ही माध्यमिक विद्यालय का भी अवलोकन करते हुए विद्यालय में पेयजल, शौचालय एवं विद्युत संबंधी समस्याओं का शीघ्र निराकरण कराने पीएमजीएसवाई के कार्यपालन अभियंता को निर्देशित किए। महावीर चौंक विद्यालय के मरम्मत कार्य का भी अवलोकन करते हुए गुणवत्तायुक्त कार्य को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार पटेल, पीएमजीएसवाई के कार्यपालन अभियंता विनय वर्मा, जिला परियोजना अधिकारी महेन्द्र देहारी और प्राचार्य कल्याण कुमार मिस्त्री उपस्थित थे।

रायपुर में खुलेगा APEDA का क्षेत्रीय कार्यालय
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों से कृषि निर्यात को मिलेगा नया प्रोत्साहन, राज्य बनेगा एक्सपोर्ट हब
रायपुर/शौर्यपथ /  कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात को प्रोत्साहन देने की दिशा में छत्तीसगढ़ को एक बड़ी सौगात मिली है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों एवं उद्योग विभाग की सक्रिय पहल के फलस्वरूप भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने रायपुर में APEDA का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की स्वीकृति प्रदान की है।
इस क्षेत्रीय कार्यालय के प्रारंभ होने से छत्तीसगढ़ के किसानों, उत्पादकों और निर्यातकों को अनेक लाभ एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगे। अब उन्हें ट्रेनिंग, प्रमाणन, पैकेजिंग, मानकीकरण और निर्यात संबंधी सेवाओं के लिए अन्य राज्यों के कार्यालयों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।
स्थानीय स्तर पर मिलेगी वैश्विक गुणवत्ता की सुविधा
राज्य में APEDA  कार्यालय की स्थापना से अब फाइटो-सेनेटरी प्रमाणपत्र, गुणवत्ता प्रमाणन, लैब टेस्टिंग, और निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाएं यहीं पूरी की जा सकेंगी। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि किसानों और निर्यातकों की लागत में भी कमी आएगी।
छत्तीसगढ़ के उत्पादों को मिलेगी ब्रांडिंग और वैश्विक पहचान
APEDA  कार्यालय से फल, सब्ज़ियाँ, चावल, GI टैग वाले उत्पाद, मिलेट्स और अन्य कृषि उत्पादों का सीधे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात आसान होगा। इससे उत्पादों को उचित दाम, व्यापारियों को नए बाज़ार, और राज्य को वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी।
किसानों की आय और ज्ञान दोनों में वृद्धि
निर्यात से किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। साथ ही, नई तकनीकों, गुणवत्ता नियंत्रण, आधुनिक पैकेजिंग और अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग की जानकारी और प्रशिक्षण उन्हें स्थानीय स्तर पर मिल सकेगा।
निर्यात बुनियादी ढांचे को मिलेगा प्रोत्साहन
APEDA न केवल प्रमाणन और ब्रांड प्रमोशन में सहयोग करता है, बल्कि निर्यात बुनियादी ढांचे के निर्माण और रख-रखाव में भी सहायता करता है। इससे राज्य में फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, कोल्ड स्टोरेज, पैक हाउस जैसे सुविधाओं का विकास होगा, जिससे कृषि व्यापार को नई गति मिलेगी।
विशेष योजनाएं और सब्सिडी का लाभ राज्य को मिलेगा
APEDA  द्वारा चलाए जा रहे एक्सपोर्ट प्रमोशन, स्किल डेवलपमेंट और सब्सिडी योजनाओं का लाभ अब छत्तीसगढ़ के किसान, स्टार्टअप और MSMEs को सहजता से मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री साय ने इस ऐतिहासिक पहल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों और उत्पादकों को अब वैश्विक बाजार से जोड़ने का मजबूत माध्यम मिल गया है। यह कार्यालय न केवल कृषि निर्यात को प्रोत्साहन देगा, बल्कि राज्य की आर्थिक समृद्धि की दिशा में भी एक निर्णायक कदम सिद्ध होगा। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को ‘वोकल फॉर लोकल टू ग्लोबल’ की दिशा में एक अग्रणी राज्य बनाएगी और समृद्ध कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार खोलेगी।

मंत्रिमण्डल ने दी स्टेट क्रिकेट संघ को 7.96 एकड़ भूमि
मुख्यमंत्री साय की विशेष पहल पर नियमों को शिथिल कर लिया गया निर्णय
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुरूप राज्य के उभरते क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रशिक्षण एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को नवा रायपुर अटल नगर के सेक्टर-3, ग्राम-परसदा में 7.96 एकड़ भूमि क्रिकेट एकेडमी की स्थापना हेतु आबंटित करने का निर्णय लिया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकारी व्ययन नियमों के तहत, गैर-लाभकारी संस्थाओं को सीधे भूमि आवंटन का प्रावधान नहीं है, लेकिन इस विशेष मामले में राज्य शासन ने नियमों को शिथिल कर यह निर्णय लिया है, जिससे खिलाड़ियों के हित में क्रिकेट एकेडमी की स्थापना हो सके।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को 2016 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से पूर्णकालिक मान्यता प्राप्त है। इसके लिए नगर विकास प्राधिकरण ने कुल 7.96 एकड़ भूमि चिन्हित की है।
छत्तीसगढ़ राज्य में क्रिकेट के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं। प्रदेश के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। नवा रायपुर में शहीद वीर नारायण सिंह अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम मौजूद है, परंतु अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं और प्रशिक्षण के लिए एकेडमी की जरूरत महसूस की जा रही थी। इस निर्णय से प्रदेश के प्रतिभाशाली युवाओं को क्रिकेट में आगे बढ़ने के बेहतरीन अवसर मिलेंगे और राज्य को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम न केवल प्रदेश के युवा क्रिकेटरों के लिए अवसर के नए द्वार खोलेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ को खेल के क्षेत्र में मजबूत पहचान दिलाने में सहायक होगा।

नया रायपुर से जारी आदेश में गरियाबंद, महासमुंद, बीजापुर, सुकमा जैसे जिलों के पदों पर बदलाव, अनुभवी अधिकारियों को दी गई नई जिम्मेदारी

रायपुर, 29 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने आज पांच वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और नवीन पदस्थापना का आदेश जारी किया है, जो राज्य के जिला पंचायत प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है। यह आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय से विशेष निर्देशों के तहत जारी हुआ है और इसे आगामी विकास योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से जोड़कर देखा जा रहा है।

प्रमुख स्थानांतरण और नवीन पदस्थापन इस प्रकार हैं—

? सुश्री नयना जैन (भार.प्र.से. 2019)
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत सुकमा के पद पर थीं। उन्हें अपर कलेक्टर, जिला रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है। राजधानी में उनकी यह पोस्टिंग प्रशासनिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मानी जा रही है।

? श्री हर्षित रमेश नंदवाना (भार.प्र.से. 2020)
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत बीजापुर थे। अब उन्हें महासमुंद जिला पंचायत में सीईओ का कार्यभार सौंपा गया है। नक्सल क्षेत्र बीजापुर में कार्य करने का अनुभव उन्हें नए जिले में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

? श्री मृदुल ठाकुर (भार.प्र.से. 2020)
वर्तमान में कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी तथा किसान कल्याण विभाग में उप सचिव थे। अब उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत सुकमा के पद पर नियुक्त किया गया है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि सरकार कृषि व ग्रामीण विकास अनुभव वाले अधिकारियों को जमीनी प्रशासन में सक्रिय कर रही है।

? सुश्री नवन्ता बौधे (भार.प्र.से. 2022)
सरायपाली, महासमुंद में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पद पर थीं। उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत बीजापुर के पद पर भेजा गया है। यह उनकी पहली जिला पंचायत सीईओ के रूप में पोस्टिंग मानी जा रही है, जिससे युवा नेतृत्व को अवसर देने का संकेत मिलता है।

? श्री प्रवर चंद्रकार (भार.प्र.से. 2022)
सरायगढ़-बिलाईगढ़ में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के रूप में कार्यरत थे। उन्हें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत गरियाबंद नियुक्त किया गया है। यह भी अपेक्षाकृत नए अधिकारी की महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापना है।


? विश्लेषण

इन तबादलों से तीन प्रमुख बातें उभर कर सामने आती हैं:

  1. युवा अधिकारियों पर भरोसा: 2020 और 2022 बैच के आईएएस अधिकारियों को जिला पंचायत जैसी जमीनी जिम्मेदारियों में भेजा जाना इस बात का संकेत है कि सरकार नेतृत्व की नई पीढ़ी को ग्रामीण विकास से सीधे जोड़ना चाहती है।

  2. क्षेत्रीय संतुलन और अनुभव का प्रयोग: बीजापुर जैसे संवेदनशील जिले में अनुभवी अधिकारी के स्थान पर नवप्रवेशी अधिकारी को भेजा जाना एक बड़ा प्रशासनिक दांव है। वहीं नक्सल क्षेत्रों में कार्य कर चुके अधिकारियों को अपेक्षाकृत शांत जिलों में भेजा गया है।

  3. विकास प्राथमिकता से जुड़ा निर्णय: आगामी वित्तीय वर्ष की योजनाओं और जेम पोर्टल सहित कई विवादित परियोजनाओं की निगरानी हेतु प्रशासनिक कुशलता को फिर से संरेखित किया गया है।

"एक मासूम सवाल... पर बहुत गहरी बात!"
✍️ शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट

    रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक सवाल पूछा — "कांग्रेस सरकार के आबकारी घोटाले में तत्कालीन मंत्री कवासी लखमा जेल में हैं, तो फिर उसी सरकार के मेडिकल घोटाले में स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?"
  यह सवाल जितना मासूम दिखता है, उतना ही गहरे और असहज करने वाले तथ्यों को उजागर करता है। पत्रकारिता का धर्म है सवाल पूछना और लोकतंत्र का आधार है — जवाबदेही।
  पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में हुए बहुचर्चित मेडिकल घोटाले, जिसमें सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन) के माध्यम से उपकरणों, दवाओं और रिएजेंट की खरीदी में भारी गड़बड़ियां उजागर हुईं, आज भी पूर्ण जांच की राह देख रहा है। हाल ही में मोक्षित ग्रुप के दुर्ग स्थित तीन ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी यह दर्शाती है कि जांच अब भी अधूरी है और कई कड़ियाँ बाकी हैं।

एक पक्ष कार्रवाई में, दूसरा अनछुआ क्यों?

तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, जिन पर शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगे, वे इस समय जेल में हैं। परंतु जब बात मेडिकल घोटाले की होती है, तो स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव का नाम कहीं जांच के दायरे में नहीं आता। जबकि सीजीएमएससी में हुए तमाम निर्णय उन्हीं के कार्यकाल में हुए।

देवेंद्र गुप्ता का सवाल यहीं तीखा हो जाता है —
"क्या यह जाति और सामाजिक हैसियत का भेदभाव है?"
आदिवासी समाज से आने वाले कवासी लखमा पर बिना झिझक कार्रवाई होती है, लेकिन क्षत्रिय समाज से आने वाले प्रभावशाली नेता टीएस सिंहदेव अब तक जांच से अछूते क्यों हैं?

सहयोगी पर भी लगे हैं आरोप

टीएस बाबा के स्वास्थ्य मंत्री रहते उनके निजी सचिव रहे आनंद सागर पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि आज वही आनंद सागर विधानसभा में भाजपा नेता रमन सिंह के सहयोगी के रूप में सक्रिय हैं। इससे सवाल और भी जटिल हो जाता है —
क्या यह पूरा सिस्टम ही मिलावट से ग्रस्त है? क्या राजनीतिक अदला-बदली जांच की दिशा तय करती है?

सवाल जनता का है, जवाब भी जनता को चाहिए

देवेंद्र गुप्ता की यह टिप्पणी महज एक पत्रकार की जिज्ञासा नहीं, बल्कि प्रदेश की जागरूक जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
जनता पूछ रही है —

क्या मेडिकल घोटाले की निष्पक्ष जांच होगी?
क्या रसूखदार नेताओं पर भी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसेगा?
क्या दोषियों को जाति, पद या पार्टी से ऊपर उठकर सजा मिलेगी?
लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध नहीं, कर्तव्य है।
और जो जनता का पैसा लूटे, वह चाहे कोई भी हो — उसे कानून के कठघरे में आना ही चाहिए।

देवेंद्र गुप्ता का सवाल अगर वाकई मासूम है, तो फिर इस ‘मासूमियत’ में वो ताकत छिपी है जो सत्ता के गलियारों में पसरी चुप्पी को तोड़ सकती है।

तीन दिन में पूरी भर्ती प्रक्रिया, ढाई से तीन लाख रुपये में बेचे गए पद, कांग्रेस ने की परीक्षा रद्द करने की मांग

रायपुर, 29 जुलाई 2025।
समग्र शिक्षा विभाग में ठेका कंपनियों के माध्यम से हुई भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ "संस्थागत छल" बताया है। उन्होंने दावा किया कि भर्ती प्रक्रिया में गहरी अनियमितता, लेनदेन और पूर्व-निर्धारित चयन सूची जैसी तमाम खामियां उजागर हो चुकी हैं।

धनंजय सिंह ठाकुर ने प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि—

"ठेका कंपनियों ने युवाओं को नियुक्ति देने के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपये वसूले। जिन युवाओं को चयनित करना था, उनसे पहले ही ₹10 के स्टांप में ‘लेनदेन नहीं करने’ का शपथ पत्र भरवाया गया, जो इस बात का साक्ष्य है कि सब कुछ पहले से तय था।"

उन्होंने कहा कि इस भर्ती में कोविडकाल में सेवा दे चुके उम्मीदवारों को 10% बोनस अंक देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। इस तरह हजारों योग्य और अनुभवधारी उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया।

भर्ती में "तीन दिवसीय चमत्कार"
ठेका कंपनियों की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए ठाकुर ने कहा—

"जेम पोर्टल से टेंडर लेकर ठेका कंपनियों ने महज तीन दिन में आवेदन, स्क्रूटिनी, परीक्षा, 35,000 से अधिक पेपरों की जांच, इंटरव्यू और रिजल्ट जारी कर दिया। ये पूरी प्रक्रिया शोध का विषय है या किसी साज़िश का पर्दाफाश?"

क्या कहते हैं अभ्यर्थी?
कई अभ्यर्थियों ने कांग्रेस के पास पहुंचकर आरोप लगाया कि—

  • आवेदन करने से पहले ही चयन की जानकारी संबंधित उम्मीदवारों को थी।

  • ठेका कंपनी ने भर्ती के लिए साइट चालू और बंद होने का समय भी "अपने लोगों" को पहले से बता दिया।

  • इंटरव्यू तक फिक्स कर लिए गए थे, जिनमें नियुक्ति पाने वाले लोग पहले से चयनित सूची में थे।

  • जो चयनित नहीं हुए, उनसे या तो मोटी रकम मांगी गई या प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

कांग्रेस की मांगें
धनंजय ठाकुर ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की कि—

  1. समग्र शिक्षा विभाग की इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।

  2. संबंधित ठेका कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

  3. एफआईआर दर्ज कर जांच करवाई जाए कि किसके इशारे पर इतनी बड़ी भर्ती "सेटिंग" के आधार पर की गई।

  4. भविष्य की सभी संविदा भर्तियों में पारदर्शिता के लिए सीधा सरकारी पर्यवेक्षण हो और परीक्षा एजेंसियों का चयन स्वतंत्र संस्थाओं से हो।

राजनीतिक संदेश स्पष्ट
यह मुद्दा महज भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा नहीं है बल्कि आने वाले चुनावों से पहले युवाओं की नाराजगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष का आधार बन सकता है। कांग्रेस इसे एक "युवाओं के साथ विश्वासघात" के रूप में पेश कर रही है, जो भाजपा सरकार के लिए एक संवेदनशील और संभावित संकट का विषय बन सकता है।

रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ भाजपा के युवा नेता एवं केड्रा इकाई रायपुर के नव नियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ऊर्जा विभाग से संबंधित एक कार्य में निजी ईकाइयों से 3% कमीशन की मांग और न देने पर धमकी देने की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुँच चुकी है। इस पत्र की प्रति सार्वजनिक होने के बाद मामला गरमा गया है और अब यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।


शिकायत और मुख्यमंत्री सचिवालय की कार्रवाई
दिनांक 20 जून 2025 को रायपुर की एक ईकाई द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में यह आरोप लगाया गया कि भूपेंद्र सवन्नी ऊर्जा विभाग के तहत नए सिस्टम निर्माण संबंधी कार्यों के लिए ठेकेदारों और ईकाइयों से 3% की कथित मांग कर रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि जो ईकाइयाँ यह "हिस्सा" देने से इनकार करती हैं, उन्हें धमकाया जाता है और उनके कार्य रोके जाते हैं।

इस पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग को पत्राचार भेजकर पूरे प्रकरण की जनहित में वेब पोर्टल पर अपलोडिंग सहित नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अवर सचिव अरविंद कुमार खोपड़े द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मामला गंभीर है और इसकी पड़ताल आवश्यक है।


प्रदेश कांग्रेस ने बनाया बड़ा राजनीतिक हथियार
शिकायत पत्र के सार्वजनिक होते ही यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस के लिए बैठे-बैठाए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर तेजी से साझा किया जा रहा है।
ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर कांग्रेस प्रवक्ताओं और नेताओं ने भूपेंद्र सवन्नी को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषी को पार्टी से निष्कासित किया जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि “यह मामला भाजपा के युवाओं में फैलते सत्ता-प्रदत्त भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जब युवा नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो राज्य की राजनीतिक संस्कृति का क्या होगा?”


भूपेंद्र सवन्नी और पूर्व विवाद
भूपेंद्र सवन्नी पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। पूर्व में भी मंडल एवं अन्य शासकीय कार्यों में हस्तक्षेप, नियुक्तियों में मनमानी और अधिकारियों पर दबाव डालने जैसे आरोप उन पर लग चुके हैं। हालांकि, इस बार मामला दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच चुका है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।


राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक जांच का नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और साख का मुद्दा बन गया है। भाजपा को जहाँ आंतरिक स्तर पर इस पर संज्ञान लेना होगा, वहीं कांग्रेस इस पूरे प्रकरण को आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों से पहले एक नैतिक मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।


निष्कर्ष
भूपेंद्र सवन्नी के खिलाफ लगे आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भाजपा के लिए यह नेतृत्व की जवाबदेही का सवाल है, वहीं कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनजागरण का अवसर मान रही है। अगर जांच निष्पक्ष होती है, तो यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।


(यह रिपोर्ट तीन आधिकारिक पत्रों एवं सोशल मीडिया पर जारी प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण पर आधारित है। संबंधित पक्षों से सफाई या प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर उसे आगामी संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा।)

हसौद/रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ सरकार भले ही सुशासन और पारदर्शिता की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी कुछ और ही है। हसौद तहसील के ग्राम किकिरदा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक गरीब किसान बीते छह महीनों से अपनी जमीन का नक्शा ऑनलाइन चढ़वाने के लिए पटवारी के दरवाज़े खटखटा रहा है, पर हर बार उसे टाल दिया गया। किसान का आरोप है कि पटवारी द्वारा जानबूझकर उसे परेशान किया जा रहा है क्योंकि वह ‘चढ़ावा’ नहीं दे पाया।

पटवारी के निजी सहायक के ज़रिए खुलेआम रिश्वत की मांग

किकिरदा निवासी लक्ष्मण केवट ने कलेक्टर को सौंपे अपने शिकायती पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके खाता क्रमांक 1377 के अंतर्गत खसरा नंबर 309/6 (0.08 डिसमिल) जमीन का नक्शा आज तक ऑनलाइन नहीं चढ़ पाया है। किसान के अनुसार पटवारी छत्रपाल सूर्यवंशी जनवरी 2025 से अब तक केवल टालमटोल करता रहा है।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि पटवारी ने अपने साथ एक निजी सहायक (मल्दा निवासी) को गैरकानूनी रूप से रखा है, जो खुलेआम किसानों से पैसे मांगता है। किसान का कहना है, "निज सहायक कहता है, पैसा दोगे तो काम होगा, नहीं दोगे तो जहां जाना है चले जाओ।"

गर्मी और बारिश में खेत पर करता रहा इंतजार, लेकिन नहीं हुआ काम

लक्ष्मण ने शिकायत में लिखा है कि वह मजदूरी छोड़कर कई बार पटवारी के बताए दिन खेत पर पहुंचा, लेकिन हर बार उसे सिर्फ यह कहकर लौटा दिया गया कि “अगले हफ्ते नाप कर नक्शा चढ़ा देंगे।” बरसात से पहले बार-बार मिन्नतें की गईं, लेकिन पटवारी पर कोई असर नहीं पड़ा। अंततः 6 महीने बाद भी नक्शा चढ़ाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।

क्या सरकार ने पटवारियों को ‘निज सहायक’ रखने की अनुमति दी है?

इस पूरे प्रकरण ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या शासन ने पटवारियों को निजी सहायक रखने और उनके माध्यम से किसानों से पैसा वसूलने की अनुमति दे रखी है? शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि पटवारी द्वारा रखा गया व्यक्ति किसी भी कार्य – चाहे वह नामांतरण हो, फौती, बंटवारा, या विक्रय प्रतिवेदन – हर काम के लिए खुलेआम पैसे की मांग करता है। जिन किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, उनका काम महीनों तक लंबित रखा जाता है।

कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा – “भ्रष्टाचार की जड़ पंचायत से शुरू होती है”

इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर राज्य सरकार के “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” के दावे को झूठा बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “जब पटवारी स्तर पर ही वसूली हो रही है और गरीब किसान अपनी जमीन का नक्शा चढ़वाने के लिए महीनों भटक रहा है, तो शासन किस मुंह से सुशासन की बात करता है?”

इस मुद्दे को कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी उठाना शुरू कर दिया है। ट्विटर और फेसबुक पर हैशटैग #किसान_के_साथ_न्याय ट्रेंड करने लगा है।

प्रशासन से न्याय की गुहार, कलेक्टर से की शिकायत

किसान लक्ष्मण केवट ने अब कलेक्टर से सीधी शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि दोषी पटवारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए और निजी सहायक के माध्यम से की जा रही अवैध वसूली पर रोक लगाई जाए। किसान ने लिखा, “मैं गरीब मजदूर हूं, मेरे पास पटवारी को देने के लिए हजारों रुपये नहीं हैं। मुझे न्याय दिलाया जाए।”

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में जब गरीब किसान छह-छह महीने अपनी जमीन के नक्शे के लिए भटकने को मजबूर हो और व्यवस्था में बैठे लोग खुलेआम वसूली करें, तो यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है। यदि ऐसे मामलों में शीघ्र न्याय नहीं मिला, तो यह लोगों का भरोसा पूरी व्यवस्था से उठाने के लिए काफी होगा।


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