दुखहरण सिंह ठाकुर की ख़ास रिपोर्ट
कवर्धा / शौर्यपथ / कहते है दुनिया में बांकी सारे रिश्ते पैदा होते ही बन जाते है किन्तु एक रिश्ता ऐसा होता है जिसे व्यक्ति खुद बनता भी है और निभाता भी है . वो है दोस्ती का रिश्ता जिसे व्यक्ति अपने व्यवहार से बनता है और निभाने की जिम्मेदारी भी आपसी सामंजस्य से प्रगाद होता है दोस्त ही ऐसा रिश्ता होता है जिसे हर दुःख सुख की बाते कर सकते है . सुख में हो या दुःख में दोस्त की याद आती है और मिलने को मन तडफ उठता है कुछ ऐसा ही नजारा कवर्धा में देखने को मिला जहा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और उनके बालसखा सुधीर केशरवानी के बीच . अक्रोसिटी एक्ट में निर्दोष होने के उपरांत अदालत से निकलते ही अपने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा अपने प्रिय मित्र सुधीर केशरवानी से मिले .
बता दे कि सुधीर केशरवानी के साथ मिडिल से कॉलेज तक पढाई किये है ,हालाकि सुधीर कांग्रेसी विचार धारा के है किन्तु दोनों मित्रो के बीच राजनैतिक असमानता कभी बीच में नहीं आई .उपमुख्यमंत्री शर्मा एक्ट्रोसिटी एक्ट के तहत 18 दिन जेल में रहे जमानत मिला चुनाव लड़े विधायक बने ग्रहमंत्री से उपमुख्यमंत्री भी बने परन्तु केस चलता रहा विगत दिनों कोर्ट का फैसला आया और दोषमुक्त हुए.
न्यायालय से निकलते ही सीधे अपने बचपन के दोस्त सुधीर केसरवानी के दुकान जनपद कार्यालय के पास पहुचे और भावुक होकर गले मिले फिर कार्यकर्ताओं से अलग होकर उनके आटोपार्ट्स के दुकान अंदर घण्टो गुप्तगु भी किये . तस्वीर देख ही साफ़ झलक रहा कि यहाँ कोई व्हीआईपी व्यक्ति और आम इन्सान नहीं दो पुराने दोस्त मिल राहे जिनके बिच कोई सामजिक दुरी नहीं कोई बंधन नहीं . आज भले ही उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन है विजय शर्मा किन्तु इस पद को दोस्ती के बीच ना आने का जो दृश्य दिखाई दे रहा वह एक निर्मल और बेफिक्री का नजारा है जैसे दो सामान्य व्यक्ति की ख़ास दोस्तों की मुलाकात हो .
उक्त तस्वीर उन सभी के लिए भी एक सिख है जो छोटे से पद में आने के बाद अपनों के बीच एक सामाजिक ऊँच इईच की लकीर खीच देते है . कहते है यु ही नहीं कोई मंजिल मिलती जिन्दगी में ख़ास उसके लिए अहंकार से भी करना पड़ता है किनारा और चलना होता है सत्य की राह में ...