अगर शहर के प्रथम नागरिक ही तोड़ेंगे नियम तो फि र आम जनता से कैसे कहेंगे ये है विष्णु का सुशासन ?
दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग विधान सभा क्षेत्र के अधिकतम भाग दुर्ग निगम क्षेत्र का है जिसके कारण निगम की कार्य प्रणाली दुर्ग शहर विधायक के कार्यशैली को इंगित करती है . एक तरफ नगर पालिक निगम प्रशासन शहर में अवैध कब्ज़े और अनैतिक कार्यो को अंजाम देने वालो पर कार्यवाही करता है जुर्माना लगाता है वही अगर यह ज्ञात हो कि शहर के विधायक ही शासन के नियमो की धज्जी उड़ाते हुए कार्य करे तो फिर आम जनता से किस अधिकार से निगम प्रशासन शहर को सुशासन देने की बात करती है .
दुर्ग शहर विधायक गजेन्द्र यादव को विधान सभा में भाजपा प्रत्याशी घोषित होने से पहले भाजपा संगठन के अलावा बहुत ही कम व्यक्ति जानते थे किन्तु पूर्व विधायक की निष्क्रियता के चलते शहर की जनता ने भाजपा प्रत्याशी को बड़े मतों से जीत दिलाई किन्तु एक साल के कार्यकाल में शहर के मध्य कचरा का ढेर लगा रहा परन्तु विधायक की तरफ से कोई ख़ास पहल की हो ऐसा कही नजर नहीं आया . विकास सिर्फ राशि लाने और नव निर्माण से नहीं होता पुराने निर्माण को सहेजना भी विकास और सुशासन की पहचान होती है . शहर के दुरस्त इलाके से कचरा शहर के मध्य जमा होता रहा और इस कार्य को करने का ठेका विधायक के करीबी को मिला ऐसे में यह कहना संशय है कि इस मामले की जानकारी विधायक गजेन्द्र यादव को नहीं थी वही शहर के गौठान के चारागाह कि भूमि पर अवैधानिक रूप से निजी बिल्डर का कब्ज़ा होने की जानकारी के बाद मामले को संज्ञान में लेने की बात कहने वाले विधायक महीनो गुजर जाने के बाद भी मौन है जो शहर में चर्चा का विषय है .
वही अब एक साल बेमिसाल में एक नई चर्चा शामिल हो गई . शहर की बेशकीमती जमीन गंज पारा जीवन काम्प्लेक्स के बगल में नजूल शीट की भूमि पर विधायक कार्यालय का बनना जिसकी भवन अनुज्ञा भी नहीं ली गई . विभागीय अधिकारी कार्यवाही के मामले पर मौन है क्योकि मामला विधायक के कार्यालय निर्माण से जुडा है किन्तु क्या यह तत्यात्मक है कि शहर के प्रथम नागरिक की हैसियत रखने वाले जनप्रतिनिधि द्वारा शासन के नियमो की अनदेखी कर भवन का निर्माण करा दिया गया . क्या विधायक होना यह इशारा करता है कि नियम कानून लागू नहीं होगा . भारत का संविधान सभी के लिए एक है जिसकी पैरवी देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री भी करते है . एक तरफ प्रदेश को सुशासन देने की पहल करते हुए मुख्यमंत्री साय समाज के हर तबको का ख्याल रख रहे है . एक तरफ नक्सली समस्या का लगातार समाधान कर रहे है तो दूसरी तरफ प्रदेश की महिलाओ को आत्म निर्भर बनाने के लिए कृत संकल्पित है तो किसानो को खुशहाल करने की दिशा में कदम उठा रहे है , शासकीय नौकरी के द्वार खोलकर युवाओं को आशा की किरण दिखा रहे है वही प्रतियोगी परीक्षा में पारदर्शिता की पहचान का सबसे बड़ा उदहारण ही यही है की हल ही के पीएससी परीक्षा में टॉप 10 में ऐसे परिवार के बच्चो का चयन हुआ जो निम्नं तबके के है जो यह अहसास दिलाने के लिए पर्याप्त है कि पारदर्शिता का पैमाना उच्च है ऐसे साय सरकार में अगर सत्ता पक्ष के विधायक ही नियमो की अनदेखी कर रहे है जिससे आम जनता तो आहत है ही वही भाजपा कार्यकर्ताओ में भी यह चर्चा का विषय है . विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार भाजपा के चुनावी बैठक और विधायक यादव के कार्यालय का उद्घाटन एक ही दिन होने के बावजूद कई भाजपा कार्यकत्र्ता कार्यालय उद्घाटन में दो मिनट के लिए भी नहीं पहुंचे .
पट्टे की जमीन है या कब्ज़े की यह भी विवादित ...
जिस स्थान पर विधायक कार्यालय बना है वह नजूल शीट 8/9 की है जिस पर पाठक नामक व्यक्ति जिनसे जमीन मिली है का पट्टे में नाम नहीं होने की चर्चा है वही ऐसी भी जानकारी निकल के आ रही है कि उक्त जमीन नजूल की है और पूरी तरह खाली है और कोई मजबूत दस्तावेज नहीं होने की वजह से भवन अनुज्ञा प्रमाण पत्र भी नहीं मिला ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या एक जनप्रतिनिधि के एक साल की उपलब्धि नियम विरुद्ध कार्यालय निर्माण है ? क्या ऐसे सवालो का जवाब भाजपा कार्यकर्ता आने वाले निगम चुनाव में आम जनता को दे पायेंगे ?