दुर्ग । शौर्यपथ न्यूज़ । गर्मी की तपिश और पानी की कमी के बीच दुर्ग जिला प्रशासन ने जल स्रोतों के अंधाधुंध दोहन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। प्रशासन के स्पष्ट आदेश के बावजूद नगर निगम क्षेत्र के वार्ड 38, महावीर कॉलोनी में अनुमति (साढ़े 4 इंच )से अधिक (6 इंच ) तक बोरिंग किए जाने का मामला सामने आया। स्थानीय नागरिकों की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता से एक संभावित जल संकट को समय रहते टाल दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
महावीर कॉलोनी स्थित खसरा नंबर 37/120 पर भूमि स्वामी को 4.5 इंच की एक नलकूप खनन की अनुमति मिली थी।
लेकिन मौके पर 6 इंच व्यास और गहराई तक बोरिंग की जा रही थी, जो कि साफ़ तौर पर प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है।
वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर दूसरा बोर :जब पहले बोर से जल नहीं निकला, तो दूसरे स्थान पर नया बोर शुरू कर दिया गया। इस संदिग्ध गतिविधि पर मोहल्ले के नागरिकों ने तत्परता दिखाई और इसकी जानकारी प्रशासन को दी।
"वाटर हार्वेस्टिंग" बना ढाल!
भूमि स्वामी ने बचाव में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए खुदाई होने की दलील दी। लेकिन स्थल पर न तो कोई टैंक निर्माण दिखा, न ही ऐसी कोई संरचना जो वर्षा जल संचयन के अनुरूप हो। विशेषज्ञों के अनुसार, वाटर हार्वेस्टिंग में टैंक व फिल्टर पिट अनिवार्य होते हैं, जो वहाँ नहीं थे।
प्रशासन की कार्रवाई
मिली जानकारी अनुसार उक्त बोरिंग को शिकायत मिलते ही राजस्व विभाग व पुलिस टीम मौके पर पहुंची व खनन मशीन को तत्काल जब्त कर थाना कोतवाली ले जाया जाने की बात सामने आई ।
अब भूजल संरक्षण अधिनियम और संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत आगे की कार्रवाई की जा रही है।
बड़ा संदेश
दुर्ग प्रशासन का यह कड़ा कदम अन्य ऐसे मामलों के लिए एक नज़ीर बन सकता है। जल संकट की आशंका को देखते हुए अब ज़रूरत है कि हर नागरिक और अधिकारी जल संरक्षण के नियमों का ईमानदारी से पालन करें।
"बिना अनुमति की बोरिंग, अब पड़ेगी भारी!"
भूजल बचाइए, नियमों का पालन करिए – यही विकास की दिशा है।