झालावाड़ राजस्थान/शौर्यपथ /राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलौदी गांव में शुक्रवार की सुबह एक सरकारी स्कूल में उस समय मातम पसर गया जब कक्षा के भीतर पढ़ाई कर रहे मासूम छात्रों पर अचानक जर्जर छत का हिस्सा गिर पड़ा। इस हृदयविदारक हादसे में 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक घायल हो गए, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
घटना लगभग सुबह 8:30 बजे की है, जब पीपलौदी गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा में छात्र-छात्राएं नियमित पढ़ाई में व्यस्त थे। प्रत्यक्षदर्शियों और बचे हुए बच्चों के अनुसार, छत से पहले कंकड़ और मिट्टी गिरने लगे थे, जिसे बच्चों ने शिक्षकों को बताया। लेकिन अफसोस, शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। चंद मिनटों बाद ही पूरी छत भरभरा कर नीचे आ गिरी, और कक्षा चीखों और मलबे के ढेर में तब्दील हो गई।
हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचना दी। रेस्क्यू टीम ने बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक 7 मासूम जिंदगी हमेशा के लिए खामोश हो चुकी थीं। 28 घायल बच्चों में से कई का इलाज कोटा और झालावाड़ के अस्पतालों में जारी है।
पुराना भवन, नई मौतें: ज़िम्मेदारी किसकी?
यह इमारत 1947 से पहले की बनी हुई थी और वर्षों से जर्जर स्थिति में थी। भारी बारिश ने उसकी स्थिति और खराब कर दी थी। हाल ही में जिला प्रशासन ने पुराने भवनों की सूची बनाई थी, लेकिन यह स्कूल उस सूची में नहीं था, जो कि शासनिक लापरवाही का जीवंत प्रमाण है।
जवाबदेही तय: निलंबन और जांच के आदेश
राजस्थान सरकार ने 5 शिक्षा अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और समस्त सरकारी विद्यालयों व भवनों की संरचनात्मक समीक्षा के आदेश दिए हैं। एक तकनीकी समिति 5 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी।
वहीं, राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा,
"मैं दोषारोपण की राजनीति नहीं करूंगा। मैं शिक्षा मंत्री हूं, यह मेरी भी जिम्मेदारी है।"
उन्होंने पीड़ित परिवारों को ₹10 लाख का मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी, और मृत बच्चों के नाम पर स्कूल में नई कक्षा का नामकरण करने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री की संवेदना, गृह मंत्री मौन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
"यह हादसा अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है। घायल बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। प्रशासन पीड़ितों को हरसंभव सहायता दे रहा है।"
हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह की ओर से इस विषय पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे “सरकारी हत्या” करार देते हुए शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरे राज्य में सरकारी भवनों की सेफ्टी ऑडिट करवाने की मांग रखी।
सवाल बाकी हैं…
क्या बच्चों की जान बच सकती थी अगर चेतावनी को गंभीरता से लिया जाता?
किस आधार पर जर्जर इमारतें "सुरक्षित" घोषित होती हैं?
क्या सिर्फ निलंबन ही पर्याप्त जवाबदेही है?
यह हादसा सिर्फ एक इमारत के गिरने का नहीं, बल्कि उस भरोसे के ढहने का है जो माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजते वक्त रखते हैं। जब तक जिम्मेदार लोगों को सज़ा नहीं मिलेगी और ढांचागत सुधार नहीं होंगे, तब तक ऐसी त्रासदियाँ यूँ ही मासूम ज़िंदगियाँ निगलती रहेंगी।
हम मृत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हैं और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।