भारत की सीमाओं की रक्षा में प्राणों की आहुति देने वाले वीरों के सम्मान में गूंजा जयघोष
दुर्ग / शौर्यपथ /
"कारगिल की बर्फीली चोटियों पर लिखी गई थी वो अमर कथा... जहाँ मातृभूमि के सपूतों ने अपने लहू से विजय की इबारत रची थी।"
इसी अपार गौरव की स्मृति में आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के एस. राधाकृष्णन सभागार देशभक्ति के रंग में रंग गया। कारगिल विजय दिवस की पावन स्मृति में आयोजित विचार गोष्ठी में विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और आमजनों ने भारत माता के अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एन.पी. दीक्षित (छत्तीसगढ़ प्रांताध्यक्ष, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र) ने अपने प्रभावशाली पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से लद्दाख और जम्मू-कश्मीर की सामरिक और भौगोलिक जटिलताओं को उजागर करते हुए कहा कि “कारगिल विजय, केवल एक युद्ध नहीं बल्कि भारत के अदम्य साहस, अद्वितीय बलिदान और अनन्त राष्ट्रप्रेम की जीवंत कथा है।" उन्होंने आगामी "नो मोर पाकिस्तान" अभियान की भी जानकारी दी, जिससे उपस्थित युवाओं में राष्ट्र के लिए सोचने और कुछ कर गुजरने का संकल्प जागृत हुआ।
विशिष्ट वक्ता डॉ. राजेश पाण्डेय (अपर संचालक, दुर्ग संभाग) ने कहा कि “इस सभागार में वीरों की शौर्यगाथा की सुगंध महसूस हो रही है। भारत के रणबांकुरों ने जिस धरती पर अपना रक्त बहाया, उसकी एक-एक कण स्वर्ण से कम नहीं है।"
दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी ने कहा, “कारगिल की रणभूमि केवल बंदूकों की गूंज नहीं थी, वह तो भारत मां की जयकार से गूंजता वह युद्धस्थल था, जहाँ भारत के सपूतों ने अपनी छाती को ढाल बना पाकिस्तान के षड्यंत्रों को नेस्तनाबूद किया।“
प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने युवाओं को राष्ट्रसेवा की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "इस देश का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब हर युवा भारत मां की रक्षा को अपने जीवन का लक्ष्य माने।"
इस भावपूर्ण आयोजन में महाविद्यालय में कार्यरत सेवा-निवृत्त सैनिकों — प्रदीप कुमार थापा, कुमार कन्नौजे एवं साजन दुबे को सम्मानित किया गया। उनके चेहरे पर झलकता गर्व, उपस्थित सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
कार्यक्रम में एक विशेष डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से कारगिल युद्ध के परिदृश्य को प्रस्तुत किया गया, जिससे उपस्थित लोगों की आँखें नम हो गईं। साथ ही एन.सी.सी., रा.से.यो. एवं रेडक्रॉस की छात्र इकाइयों द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति से परिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने वातावरण को भावविभोर कर दिया।
एक अत्यंत मार्मिक क्षण तब आया जब छत्तीसगढ़ के अमर वीर शहीद, ‘वीर चक्र’ से सम्मानित कौशल यादव के जीवन पर आधारित गीति-नाट्य मंचित किया गया। उपस्थित जनसमूह ने खड़े होकर भारत माता के इस अमर सपूत को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम का संचालन डी. ज्योति धारकर एवं डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी ने अत्यंत गरिमामय ढंग से किया और डॉ. सतीष सेन ने भावभीना धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर बी.आई.टी दुर्ग के प्राचार्य डॉ. ए. अरोरा, सुनील पटेल, डॉ. अरविंद शुक्ला सहित अनेक गणमान्य नागरिक, प्राध्यापकगण एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
?? भावनात्मक समापन पंक्तियाँ:
"कारगिल के शिखरों से बहती है वीरता की हवा,
जिसने बताया कि हिंदुस्तानियों का सीना पर्वत से भी ऊंचा होता है।
शौर्य की वो चिनगारी आज भी जल रही है,
हर भारतीय हृदय में राष्ट्रभक्ति की मशाल बनकर।"
जय हिंद! जय भारत!