भिलाई / शौर्यपथ / भारतीय इस्पात उद्योग के स्वर्णिम सफर में नवरत्न भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-2 (SMS-2) ने पहली बार एसएई-1006 ग्रेड स्टील स्लैब का उत्पादन कर सफलतापूर्वक निर्यात ऑर्डर पूरा किया है। इंडोनेशिया के लिए कुल 30,000 टन उच्च गुणवत्ता वाले स्टील स्लैब का उत्पादन और निर्यात कर भिलाई ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। यह उपलब्धि न केवल संयंत्र की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है, बल्कि वैश्विक इस्पात बाजार में भारत की बढ़ती साख और प्रतिस्पर्धी क्षमता का भी परिचायक है।
ऐतिहासिक अभियान की शुरुआत
इस निर्यात अभियान की शुरुआत 14 अगस्त 2025 को हुई थी, जब 1,200 टन स्लैब का पहला प्रेषण रवाना किया गया। उत्पादन से लेकर लॉजिस्टिक्स तक की इस चुनौतीपूर्ण यात्रा को SMS-2 की टीम ने अटूट संकल्प, तकनीकी नवाचार और उत्कृष्ट टीमवर्क के साथ पूरा किया। उल्लेखनीय है कि एसएई-1006 ग्रेड स्लैब का उत्पादन संयंत्र के लिए पहली बार था, जिसे तकनीकी दृष्टि से जटिल और चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
नेतृत्व और समन्वय बना सफलता की कुंजी
मुख्य महाप्रबंधक (SMS-2) एस.के. घोषाल के नेतृत्व में टीम ने प्रारंभिक कठिनाइयों को दूर कर उत्पादन प्रक्रिया को सुदृढ़ और कुशल बनाया। विभिन्न विभागों के बीच प्रभावी समन्वय, तकनीकी सुधार और सतत प्रयासों के कारण उत्पादन और निर्यात का कार्य समयबद्ध और सटीक निष्पादन के साथ संपन्न हुआ।
इस सफलता में RCL, PPC, ब्लास्ट फर्नेस, RDCIS, इंस्ट्रूमेंटेशन और SBS यार्ड सहित कई विभागों की अहम भूमिका रही। महाप्रबंधक प्रभारी (CCS एवं SBS) एस. देबसिकदर, महाप्रबंधक (RCL) के.वी. शंकर, महाप्रबंधक (प्रचालन, SRU) बालम सिंह, महाप्रबंधक (यांत्रिकी, CCS) निकुंज सिंघल, महाप्रबंधक (प्रचालन, CS) जी. रविकांत और महेन्द्र सिंह, उप महाप्रबंधक नितिन अग्रिहोत्री, वाई.के. साहू, घनश्याम शर्मा, सहायक महाप्रबंधक अरिंदम कर, मयंक शर्मा, विनय जैन तथा वरिष्ठ प्रबंधक राहुल गुप्ता का योगदान उल्लेखनीय रहा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की मजबूत दावेदारी
इस उपलब्धि ने साबित किया है कि भिलाई इस्पात संयंत्र अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पादन करने में सक्षम है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से अपनी जगह बना रहा है। इंडोनेशिया को भेजा गया यह उच्च-मूल्य निर्यात ऑर्डर आने वाले समय में BSP के लिए नए निर्यात अवसरों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के द्वार खोलेगा।
भिलाई की यह सफलता न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारतीय इस्पात उद्योग अब तकनीकी उत्कृष्टता और वैश्विक नेतृत्व की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है।