दुर्ग / शौर्यपथ की विशेष रिपोर्ट /
चुनावी मौसम में जनता को सपनों का शहर दिखाने वाले नेताओं के दावे अब खुद गंदगी में उलझ रहे हैं। नगर के सफाई इंतज़ाम की बागडोर जब से अनुभवहीन स्वास्थ्य प्रभारी निलेश अग्रवाल के हाथों में आई है, शहर की हालत बद से बदतर होती जा रही है। सड़कें कचरे से पटी हैं, नालियाँ जाम हैं, और बदबूदार वातावरण आम नागरिकों को बीमारियों की ओर धकेल रहा है।
सवाल उठ रहा है कि क्या महापौर अलका बाघमार, जिनके नेतृत्व के भरोसे जनता ने कांग्रेस को दरकिनार कर भाजपा को मौका दिया था, अब शहर की असल तस्वीर से आँखें मूँद चुकी हैं? 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन नगर निगम की कार्यशैली में सुधार तो दूर, हालात पहले से कहीं ज्यादा दयनीय हो चुके हैं।
जिस महापौर ने शपथ के समय "हमने बनाया, हम ही संवारेंगे" का नारा दिया था, अब उन्हीं के बंगले के बाहर वही वाक्य शहरवासियों के लिए तंज बन गया है। जमीन पर हालात ऐसे हैं मानो नारा बदलकर "हमने बनाया तो हम ही बिगाड़ेंगे" हो गया हो।
सबसे अधिक चर्चा में स्वास्थ्य प्रभारी निलेश अग्रवाल हैं, जिनकी नियुक्ति को लेकर अब नगर के भीतर ही असंतोष उभर आया है। सफाई व्यवस्था जैसी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई, जो खुद सफाई से कोसों दूर दिख रहे हैं। नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों का समन्वय शून्य है, वहीं निलेश अग्रवाल अधिकांश समय महापौर के साथ औपचारिक आयोजनों में नजऱ आते हैं न कि सफाई अमले की समस्या सुलझाने में।
सवाल यह भी उठता है कि क्या यह पदभोग महज राजनीतिक कृपा का परिणाम है? स्वर्गीय हेमचंद यादव के पुत्र जीत यादव ने जिनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अब वही चुनावी पसंद जनता के लिए गलती साबित हो रही है। शहर की दुर्दशा और अव्यवस्था ने भाजपा नेतृत्व की छवि पर भी धब्बा छोड़ा है।
नगर निगम का वह सपना, जिसमें सफाई, विकास और "स्वच्छ दुर्ग" की बात की गई थी, आज कचरे के ढेर में दफऩ होता दिख रहा है। अब हालात ऐसे हैं कि आगामी दिनों में बड़े हिंदू पर्वों के दौरान साफ-सफाई की अव्यवस्था शहर के मानचित्र को बदनाम कर सकती है। जिस गति से नगर निगम की लापरवाही बढ़ रही है, उससे यह सवाल और तेज़ हो गया है — क्या महापौर अलका बाघमार इस संकट से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएँगी या फिर शासकीय सुविधाओं के साए में बाकी कार्यकाल यूँ ही बिताएँगी?
आखिरी उम्मीद मंत्री गजेंद्र यादव !
दुर्ग के नागरिकों को अब आखिरी उम्मीद प्रदेश सरकार में मंत्री और क्षेत्र के विधायक गजेंद्र यादव से है, जिनकी पहल पर ही शायद इस दम तोड़ती सफाई व्यवस्था में फिर से जान आ सके।