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"अरुण साव निजी कार्यक्रम विवाद: लोक निर्माण विभाग ने लगाए गए 97 लाख के भुगतान आरोपों को फर्जी बताया, भ्रामक समाचार फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का ऐलान" Featured

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    रायपुर / शौर्यपथ / लोक निर्माण विभाग (PWD) और छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव के निजी कार्यक्रम को लेकर विवाद हाल ही में काफी गरमा गया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने भतीजे के तेरहवीं समारोह में लोक निर्माण विभाग के कोष से करीब 97 लाख रुपए खर्च कराए। कांग्रेस ने इस मामले में उप मुख्यमंत्री पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने और निजी कार्यक्रम का भुगतान सरकारी खजाने से करने का गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इस धनराशि के उपयोग को प्रदेश में सड़क बदहाल हालत और जनता की समस्याओं के बीच अनुचित बताया है।
   वहीं लोक निर्माण विभाग और भाजपा ने इस आरोप को पूरी तरह असत्य बताते हुए वायरल बिल को फर्जी करार दिया है। लोक निर्माण विभाग के बेमेतरा संभाग के कार्यपालन अभियंता ने स्पष्ट किया है कि उप मुख्यमंत्री अरुण साव या उनके किसी निजी कार्यक्रम का लोक निर्माण विभाग द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया है। इस मामले में आरटीआई के जरिए भी पुष्टि की गई है कि सरकारी धन का निजी आयोजनों में इस्तेमाल नहीं हुआ है।


सारांश में:

    आरोप: कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री अरुण साव पर अपने भतीजे की तेरहवीं के आयोजन में लोक निर्माण विभाग के कोष से 97 लाख रुपए खर्च करने का आरोप लगाया है।

    जवाब: लोक निर्माण विभाग ने इन आरोपों को भ्रामक बताया और viral बिल को फर्जी करार दिया है, तथा कहा कि ऐसे कोई भुगतान नहीं हुआ।

    विवाद का केंद्र: सरकारी धन के गलत उपयोग और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही को लेकर राजनीतिक लड़ाई।
    आगे की कार्रवाई: कांग्रेस उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है जबकि भाजपा और विभाग ने इस मामले को खारिज कर दिया है।
इस विवाद ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में सत्ताधारियों के बीच एक बड़ा आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा खड़ा किया है, जिसमें सत्य और तथ्य की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग हो रही है।

विभाग ने दी भ्रामक समाचार फ़ैलाने वालो पर कड़ी कार्यवाही की चेतावनी
   अधिकारिक और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उप मुख्यमंत्री अरुण साव के निजी कार्यक्रम और लोक निर्माण विभाग (PWD) के कथित भुगतान विवाद में कई भ्रामक समाचार सामने आने के बाद विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है। लोक निर्माण विभाग ने स्पष्ट किया है कि उप मुख्यमंत्री या उनके किसी निजी कार्यक्रम के लिए विभाग के खजाने से कोई भुगतान नहीं किया गया है। वायरल बिलों को फर्जी और भ्रामक बताया गया है। इसके साथ ही इस संदर्भ में भ्रामक और गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही है।
   इस मामले में विभाग ने कहा है कि जो लोग इस तरह के झूठे और भ्रामक समाचार बना रहे हैं, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी ताकि प्रदेश की साख और प्रशासनिक व्यवस्था को नुकसान न पहुंचे। सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर इस तरह के आरोपों का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उपयोग करने वालों पर विभाग की नजर है।
  इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल तथ्य और सच्चाई को सामने लाना है ताकि जनता के बीच भ्रम और मिथ्या प्रचार न फैले। उप मुख्यमंत्री अरुण साव और लोक निर्माण विभाग ने इस पूरे विवाद को गंभीरता से लिया है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाई गई है।

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शौर्यपथ