दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम में नित नए भ्रष्टाचार का खुलासा हो रहा किन्तु ना तो निगम के मुखिया कोई सार्थक कदम उठा रहे है ना ही निगम आयुक्त . एक तरफ शहर के विधायक जो निगम के हर कार्य के लोकार्पण में मुख्य अतिथि की भूमिका निभाते है और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दास्त नहीं करने की बात कहते है ऐसे में पार्किंग घोटाला , फ्लेक्स घोटाला , वेक्यूम मशीन की बेवजह खरीदी , स्तर हीन निर्माण पर मौन रहते है . सिर्फ लोकार्पण से ही अगर शहर के विकास का पैमाना तय किया जाए तो दुर्ग निगम सबसे आगे होगा किन्तु अगर निर्माण की गुणवत्ता देखि जाए तो दुर्ग निगम पुरे प्रदेश में सबसे पीछे . अभी प्रधानमंत्री आवास योजना में ठेकेदार की मनमानी का मामला थमा नहीं कि अब सब इंजिनियर सोमैय्या के अधीन बन रहा लिक्कला मार्ग में हो रही अनियमितता सामने आने लगी है माह भर पहले बड़े ही गाजे बाजे के साथ इस मार्ग का लोकार्पण प्रदेश के मुखिया द्वारा किया गया , अधूरे बने मार्ग का लोकार्पण तो हो गया अब शेष बचे मार्ग राजेन्द्र पार्क से दादा दादी पार्क तक बन रहे सडक के किनारे लगने वाले पवार ब्लोक की गुणवत्ता हीन कार्य सामने आने लगी है और ये हालत तब है जबकी अभी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है . शुरू से ही यह कार विवादित रहा है . इस कार्य को जिस ठेकेदार द्वारा निर्मित किया जा रहा है उसे कार्य करने की अनुमति निविदा के पहले ही सोमैय्या द्वारा दे दी गयी थी यानी कि एक बार फिर लाखो के कार्य को मनपसंद ठेकेदार को देने का खेल चला वो भी तब जब पीडब्ल्यूडी के प्रभारी शहर के वारिशाथ और अनुभवी पार्षद अब्दुल गनी है . वैसे तो निगम की कांग्रेस सरकार द्वारा कार्य पर गुणवत्ता की बात की जाती है किन्तु राजेन्द्र पार्क से दादा दादी पार्क तक सडक किनारे लग रहे पेवर ब्लाक की गुणवत्ता इतनी उच्च है कि निर्माणाधीन की स्थिति में ही पेवर ब्लाक जगह जगह से टूट रहे है लेवल इतना उच्च गुणवत्ता का है कि अभी से जगह जगह अपनी कहानी कह रहा . इस कार्य में स्पष्ट नजर आ रहा है कि दुर्ग निगम के काबिल इंजिनियर सोमैय्या किस तरह अपने निरिक्षण में कार्य करवाते है .
कहने को तो ये पेवर ब्लाक फुथ्पाथ के तौर पर बन रहा किन्तु आम साधारण जनता भी देखते ही कह सकती है कि कि इस निर्माण में पैदल चलने वाले से कही ज्यादा वाहन चलाने वाले ईस्तमाल करेंगे . पेवर ब्लाक सब इंजिनियर सोमैय्या की देख रेख में ऐसे लग रहा है कि ना तो इसके बेस का निरिक्षण किया गया ना ही गुणवत्ता का ध्यान रखा गया . अभी आधी दुरी का ही निर्माण हुआ है और यकीन के साथ कहा जा सकता है कि अगर कोई भी भारी वाहन इस मार्ग पर चले तो ये नव निर्मित फुटपाथ कम सडक ज्यादा मार्ग में जगह जगह गड्ढे नजर आ जायेंगे . लोकार्पण निर्माण के समय महापौर और विधायक तो ज़रूर पहुंचेंगे और उच्च गुणवत्ता की बात भी कहेंगे किन्तु वर्तमान स्थिति पर मौन रहेंगे . प्रभारी अब्दुल गनी जिनके ऊपर परिषद् ने प्रभार सौपा है क्या दावे के साथ कह सकते है कि इस नवनिर्माण की उम्र लम्बी रहेगी . मामले में सब मौन है और निगम का लाखो का निर्माण कार्य निर्माण के समय ही रंग दिखा रहा है किन्तु किसी को भी कोई मतलब नहीं ना ही निगम आयुक्त को , ना ही कार्य के निरिक्षण कर्ता और अपने आप को जिम्मेदार अधिकारी बताने वाले सोमैय्या को ना ही प्रभारी अबदुल गनी को ना ही महापौर बाकलीवाल को , ना ही शहर में विकास की गंगा बहाने का दावा करने वाले शहर विधायक अरुण वोरा को क्योकि इस मार्ग पर लगने वाला धन इनमे से किसी का नहीं है ये जनता का पैसा है जो ऐसे निर्माण कार्य में बर्बाद होता है जिसका कोई औचित्य नहीं . ८-९ लाख के तथाकथित घोटाला जिसमे किसी भी अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई इस लाखो के घोटाले पर क्यों मौन है क्या आम जनता के धीरज का इमथान ले रहे है ये जिम्मेदार अधिकारी / जनप्रतिनिधि जो जनता के पैसे से निर्माण कार्य पर ऐसे पोस्टर बैनर लगा कर सौगात की बात करते है जैसे कि पैसे इनकी जेब से लग रहे है .
बड़ा सवाल ...
क्या इस घटिया निर्माण के ठेकेदार पर निर्माण एजेंसी पर कार्यवाही की जाएगी ?
क्या जिम्मेदार अधिकारी सोमैय्या जिनके निरिक्षण पर कार्य हुआ पर किसी तरह की कार्यवाही की जाएगी ?
क्या बिना टेंडर के कार्य देने वाले सोमैय्या पर निगम की महापौर परिषद् के मिखिया धीरज बाकलीवाल और प्रभारी अब्दुल गनी किसी तरह की कार्यवाही की अनुशंषा करेंगे ?
क्या मामले को संज्ञान लेकर शहर के विकास की गाथा लिखने वाले विधायक किसी तरह की कार्यवाही की अनुशंषा करेंगे या सभी मौन रहकर मामले को दबाने की कोशिश करेंगे ?