दुर्ग / शौर्यपथ / पिछले दिनों एक समाचार को संज्ञान में लेकर दुर्ग निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने बाज़ार प्रभारी के उपर त्वरित कार्यवाही करते हुए ये बताने की कोशिश की है कि उनकी प्रशासनिक पकड़ कितनी उम्दा है किन्तु अब जब दुर्ग निगम के एक अधिकारी जिन्हें दुर्ग निगम आयुक्त मंडावी द्वारा अधिकतर कार्यो की जिम्मेदारी दे रखी है भले ही वो कार्य समय पर पूरा हो या ना हो किन्तु कार्यो का प्रभार बराबर बढ़ता जा रहा है ऐसे अधिकारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी द्वारा महिला कालेज के कर्मचारी को ११ मई को उनके ही केम्पस में जाकर किसी बात में थप्पड़ मार दिया क्या ऐसे अधिकारी जो संविधान को भूल कर देश के कानून को अपने हाँथ में लेकर एक संविदा कर्मी पर हिंसात्मक रुख अख्तियार कर लिए ऐसे अधिकारी पर आयुक्त हरेश मंडावी किसी तरह की कार्यवाही करेंगे या उनका जोर सिर्फ कर्मचारियों पर कार्यवाही कर सिमित हो जायेगा .
यु तो पीड़ित कर्मचारी ने विधायक वोरा से न्याय की उम्मीद की थी किन्तु अधिकतर समय जनप्रतिनिधियों के साथ संपर्क में रहने वाले ईई गोस्वामी को शायद विधायक वोरा द्वारा समाधी स्थल में उद्यान बनाने , जगह जगह साल भर बाद टूटने वाले प्रतीक्षालय बना कर विधायक वोरा की निधि से बड़े बड़े फोटो लगाने , पीडब्ल्यूडी के कार्य को विधायक निधि से महंगे में करवाने का लाभ शायद मिल रहा है तभी तो ११ मई की घटना को दबा दिया गया किन्तु पीड़ित की टिस समय समय पर सामने आ ही जाती है एक बार फिर पीड़ित कर्मचारी ने इस मामले की शिकायत करने की पहल की किन्तु चंद घंटो बाद ही फिर किसी अदृश्य शक्ति शायद सत्ता और पद की ताकत से अपने साथ हुए अन्याय को सहने का सोंच लिया किन्तु क्या मामला सामने आने के बाद आयुक्त हरेश मंडावी ईई गोस्वामी के द्वारा पीड़ित को थप्पड़ मरने की घटना की निष्पक्ष जाँच कर कार्यवाही करेंगे या मौन रहकर मामले को दबा दिया जाएगा .
भारत का संविधान किसी भी को ये इजाजत नहीं देता कि वो हिंसा करे ऐसे में एक अधिकारी द्वारा कर्मचारी को थप्पड़ मरने की घटना का समर्थन क्या शहर के विधायक अरुण वोरा करेंगे , क्या महापौर धीरज बाकलीवाल की सरकार में ईई गोस्वामी की इस घटना को स्थान दिया जाएगा क्या अब दुर्ग निगम आयुक्त मामले को संज्ञान में लेंगे या फिर भविष्य में हिंसा की ये कड़ी और विकराल रूप लेगी ?