अन्य खबरे /शौर्यपथ/
व्यवहार की बात है
अगर आप लोगों की नकारात्मक बातें सुनकर भी चुप हैं, तो इससे आपकी कमज़ोरी बयां होती है। जब आप सही को सही, ग़लत को ग़लत कहते हैं और सीधे तौर पर अपनी बात रखते हैं, तो ये आपकी छवि को मज़बूत करता है। और इसी फ़र्क़ से आप लोगों को सिखाते हैं कि वे आपसे कैसे व्यवहार कर सकते हैं और कैसे नहीं। अपने साथ लोगों के व्यवहार की सीमा तय करना आपका अधिकार है। अगर विषय आप हैं, तो वो क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, ये तय करने का हक़ भी आपको है।
सीधी बात ये है कि...
अगर अपने प्रति किसी का व्यवहार पसंद ना आए, तो चुप रहने के बजाय आवाज़ उठाएं और मज़बूती से खड़े रहें।
ख़ुद का साथ दें
सबकी ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा आता है जब किसी की मदद या साथ की ज़रूरत होती है। पर कई बार इसका उल्टा भी हो जाता है। वास्तविकता ये है कि कोई आपकी समस्या को उस प्रकार नहीं सुलझा सकता जिस प्रकार आप सुलझा सकते हैं। आपकी उलझनों को उस प्रकार नहीं रख सकता जैसे कि आप रख सकते हैं। कोई आपके सपनों और मूल्यों का बचाव नहीं कर सकता, जिस तरह आप कर सकते हैं। जितना बेहतर आप ख़ुद को जानते और समझते हैं, उतना बेहतर आपको कोई और नहीं समझ सकता। ख़ुद के लिए लड़ने और पक्ष रखने की ताकत भी किसी और में नहीं है, लेकिन आप में है।
सीधी बात है कि...
अगर आप सही हैं, तो आप अपना पक्ष बेहतर तरीक़े से रख सकते हैं। और इसके लिए आपको ही आगे आना होना।
... क्योंकि मानवाधिकार है...
अगर आप हमेशा अपना पक्ष रखते हैं, तो आप स्वार्थी या अपरिपक्व नहीं हैं। ये आपका अधिकार है। बड़प्पन दिखाने के मक़सद में अपने हाथों सब गंवाना भी सही नहीं है। अगर आप पहले ख़ुद के लिए सोचते हैं और ज़रूरत पड़ने पर अपने लिए बोलते हैं, तो ये गुनाह नहीं मानवाधिकार है। लोगों को पता होना चाहिए कि अगर आप उनका ध्यान रख रहे हों, तो वे आपका ध्यान रखें या ना रखें, लेकिन आपकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते। उन्हें कोई अधिकार नहीं है कि वो आपका निरादर करें। उन्हें ऐसा करने से रोकने और आत्मसम्मान के लिए खड़े होने का अधिकार आपको है।
सीधी बात है कि...
अपनी बात रखना मानवाधिकार है। इसे स्वार्थ ना समझें क्योंकि ये मुद्दा आत्मसम्मान का भी है।
ख़ुशी के लिए बात रखें...
हमेशा से सुनते आए हैं कि दूसरों की ख़ुशी में ख़ुश रहना सीखना चाहिए। पर दूसरों की ख़ुशी के साथ-साथ अपनी ख़ुशी को महत्व देना भी ज़रूरी है। और इसके लिए आपको मज़बूती से पक्ष रखना सीखना होगा, फिर वो चाहे दोस्त हों, परिवार हो या जीवनसाथी। अगर दूसरों के लिए अपनी इच्छाएं और मन मारेंगे, तो सुख कहां से प्राप्त होगा। अगर कोई आपको कमज़ोर और अधीन महसूस कराए, तो कमज़ोर ना पड़ें। सुखी रहने के लिए सबका ख़्याल रखना ज़रूरी है, वैसे ही अपनों से प्रेम और सराहना मिलना भी ख़ुशी का एक ज़रिया है।