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वैक्सीनेशन के बाद कोरोना हुआ तो कितने दिन आइसोलेट होना चाहिए

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हेल्थ टिप्स  /शौर्यपथ /

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से वैक्सीन और बूस्टर डोज लेने वाले लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि, इसमें गंभीर रूप से बीमार होने वाले लोगों की संख्या कम है। ऐसे में माइल्ड या बिना लक्षणों वाले वैक्सीनेटिड मरीजों को कितने दिन के लिए आइसोलेट होना चाहिए, ये सवाल दुनिया भर के एक्सपर्ट्स को परेशान कर रहा है।

ये कहती हैं आइसोलेशन गाइडलाइंस

भारत सरकार के नियमों के अनुसार, यदि किसी मरीज को कोरोना के माइल्ड लक्षण हैं, तो उसे लक्षण आने वाले दिन से लेकर अगले 10 दिन तक आइसोलेट रहना चाहिए। साथ ही, कोई लक्षण न होने पर मरीज को टेस्टिंग के दिन से लेकर अगले 10 दिन तक आइसोलेट रहना जरूरी है। फिलहाल मरीजों को यही फॉलो करना चाहिए।

अमेरिकी हैल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीस कंट्रोल (CDC) के दिशानिर्देश भी कुछ ऐसा ही कहते हैं। इनके अनुसार, पॉजिटिव रिजल्ट मिलने के बाद बिना लक्षण वाले मरीजों को 10 दिन के लिए आइसोलेट हो जाना चाहिए।

यूनाइटेड किंगडम इकलौता ऐसा देश है जिसने हाल ही में आइसोलेशन पीरियड को कम किया है। यहां आइसोलेशन की अवधि 10 दिन से घटकर 7 दिन हो गई है।

आइसोलेशन पीरियड पर इतनी चर्चा क्यों?

इस समय दुनिया भर में आइसोलेशन पीरियड का सवाल खूब चर्चा में है। इसका कारण यह है कि आइसोलेशन गाइडलाइंस को तब बनाया गया था, जब वैक्सीनेशन की शुरुआत भी नहीं हुई थी। आज काफी लोगों को वैक्सीन के साथ-साथ बूस्टर डोज भी लग रहे हैं। इनका इम्यून रिस्पॉन्स वायरस के खिलाफ पहले से बेहतर है। गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा भी कम हो गया है।

जहां एक तरफ ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि आइसोलेट होने का फैसला मरीजों पर छोड़ देना चाहिए। ध्यान रखें कि यहां वैक्सीन या बूस्टर डोज लगवाए हुए कोरोना मरीजों की बात हो रही है।

जॉन होप्किंस सेंटर फॉर हैल्थ सिक्योरिटी के डॉ. अमेश अदलजा का कहना है कि पूरी तरह वैक्सीनेटिड लोगों को रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल करके अपना आइसोलेशन पीरियड डिसाइड करने की अनुमति होनी चाहिए। इससे मरीजों का आइसोलेशन पीरियड और छोटा होने की संभावना बढ़ेगी।

सीएनएन से बात करते हुए अमेरिका के टॉप साइंटिस्ट डॉ. एंथनी फौसी ने बताया कि देश में वैक्सीनेटिड लोगों का आइसोलेशन पीरियड कम करने पर चर्चा की जा रही है। उनके मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति पूरी तरह वैक्सीनेटिड है और उसके अंदर कोरोना का एक भी लक्षण नहीं हैं, तो वह एन-95 मास्क और पीपीई किट पहनकर काम पर जल्दी लौट सकता है।

आइसोलेशन पीरियड का छोटा होना क्यों है जरूरी?

सीएनएन की मेडिकल एनालिस्ट लीना वेन कहती हैं कि आइसोलेशन पीरियड लंबा होने के कारण लोग कोरोना का टेस्ट करवाने से बचते हैं। उनके मुताबिक, यदि किसी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण नहीं हैं, तो वो इतने दिन आइसोलेट होना नहीं चाहेगा। और यदि किसी को कोरोना के हल्के से लक्षण आते भी हैं, तो वो आइसोलेशन पीरियड के डर से ही कोरोना का टेस्ट नहीं करवाएगा। इसलिए ऐसे मरीजों के लिए आइसोलेशन पीरियड को कम करना बेहद जरूरी है।

 

 

 

 

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PANKAJ CHANDRAKAR