शौर्यपथ धर्म / पृथ्वी में कई परजतायो के जीव जंतु का वास है . हमारी धरती में कई जिव जंतु ऐसे ही है जो लुप्त की कगार पर है . जिव जन्तुओ की कई प्रजातियों का वास ये धरती अनेक रोचक तथ्यों को अपने गर्भ में छुपाये हुए है . कई जीव तो ऐसे हैं जो करोड़ों सालों से इस धरती पर अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं. उनमें से ही एक है कछुआ. कहा जाता है कि बहुत ही शांत और शर्मीला जीव होता है. यह धरती पर करोड़ों सालों से अपना अस्तित्व बनाए हुए है. कछुआ जहरीला नहीं होता . आज हम आपको कछुआ के बारे में ही कुछ रोचक बातें बताएंगे.
कछुआ के बारे में 15 रोचक तथ्य
कछुए पिछले 20 करोड़ सालों से धरती पर कायम हैं. वैज्ञानिकों ने इसका अंतिम जीवाश्म खोज निकाला है जो कि 12 करोड़ साल पुराना है. आपको बता दें कि ये सांप, छिपकली, मगरमच्छ और पक्षियों से पहले धरती पर आए थे.
विश्व में हर साल 23 मई को अंतर्राष्ट्रीय कछुआ दिवस के रूप में मनाया जाता है. सभी रेंगने वाले और कवच वाले जीव, जो Cheloni परिवार के हैं उन्हें Turtle कहा जाता है और स्थानीय कछुओं को Tortoise कहते है.
आपको बता दें कि Turtle की 318 से भी ज्यादा प्रजातियां पृथ्वी पर पाई जाती हैं. इनमें से कुछ जमीन पर रहती है और कुछ पानी में रहती है. लेकिन ये दुख की बात है कि Turtle की कुछ प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर है.
Turtle जहरीले नहीं होते हैं और ना ही इनके काटने पर जहर निकलता है. Turtle के लिंग का पता लगाना आसान नही होता है. इसलिए इनका लिंग पता करने का सबसे आसान तरीका इनका कवच है. Male Turtle Female से थोड़े लंबे होते हैं और इनकी पूंछ भी Female से लंबी ही होती है.
कछुए जितने गर्म मौसम में रहते हैं उनका कवच उतने ही हल्के रंग का होता है और जो Turtle ठंडे इलाकों में रहते हैं उनका कवच गहरे रंग का होता है.
प्राचीन रोमन मिलिट्री, कछुओं से बहुत प्रभावित हुई थी. सेना के जवानों ने कछुए से ही लाइनें बनाना और अपनी ढाल को सिर के ऊपर रखना सीखा था ताकि लड़ाई के दौरान दुश्मन के वार से बचा जा सके.
ये तो आपको पता ही होगा कि कछुए अंडे देते हैं. Female Turtle पहले मिट्टी खोदती है फिर एक बार में 1 से 30 अंडे देती है. इन अंडो से बच्चे निकलने में करीब 90 से 120 दिन का समय लगता है.
कछुए को Sex करने के लिए इनकी छाती का कवच बहुत अहम भूमिका निभाता है. Female का कवच बिल्कुल सीधा और Male का कवच थोड़ा घुमावदार होता है.
क्या आपको पता है कि कछुओं के मुंह में दांत नहीं होते, बल्कि एक तीखी प्लेट की तरह हड्डी का पट्ट होता है जो भोजन चबाने में इनकी सहायता करता हैं.
कछुआ जब अपने कवच में छुपता है तो उसे अपने फेफड़ों की हवा निकालनी पड़ती है. ऐसा करते हुए आप उसे सांस छोड़ते हुए सुन भी सकते है.
साल 1968 में सेवियत संघ का पहला यान चांद का चक्कर लगाकर वापिस धरती पर लौटा था. इस यान में कछुओं को बैठा कर भेजा गया था. वापिस आने पर जब कछुओं का निरिक्षण किया गया तो पता चला कि कछुओं के वजन में 10% की कमी आई है.
आपको बता दें कि कछुए Cold Blood के जीव होते है. ठंड में इनका शरीर जम जाता है और ये शीतनिंद्रा में चले जाते है.
कुछ खास तरह के कछुए अपने Butts से भी सांस ले सकते हैं.
समुंद्री कछुओं का कवच बहुत Sensitive होता है. वो अपने कवच पर लगने वाली हर रगड़ और खरोंच को महसूस कर सकते है.
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