शौर्यपथ / कोरोना संकट में कुछ ऐसी सच्चाई सामने आयी तो सच है जिसे इंसान आज तो स्वीकार कर रहा है किन्तु कुछ महीने पहले इस बात पर हंसी उडाता था आज ऐसी कई कार्य है जो कुछ महीने पहले गैर ज़रूरी लगती थी आज जीवन का यतार्थ नज़र आ रहा है ऐसी जी जीवन की कुछ कड़वी बाते है जो कडवी तो लगेगी पर सच से नाकारा नहीं जा सकता . यह छोटा सा लेख फेसबुक वाल ( नीलिमा गुप्ता ) से लिया गया है .
# 10 - 20 रुपये किलो टमाटर लेकर सब्जी और चटनी बनाकर खाना महंगा लगता है , 150 - 200 रुपये किलो सॉस महंगी नही लगती हमें ।
# 40 - 50 रुपये लीटर दूध हम पी नही सकते , लेकिन 70 - 80 रुपये लीटर 2 माह पुराना कोल्ड्रिंक हम मजे से पीते है ।
# पहले 1 - 2 दिन पुराना घड़े का पानी हमे बासी लगता था , आज 1 - 2 महीने पुरानी बिसलेरी की बोतल का पानी हमे ताजा लगता है ।
# 150 - 200 रुपये पाव मिलने वाला ड्राई फ्रूट हमे महंगा लगता है , 200 - 400 रुपये पीस मिलने वाला पिज़्ज़ा हम मजे ले ले कर खा सकते है ।
# घर की रसोई का बना नाश्ता या खाना हम शाम को खाना पसंद नही करते , जबकि बाजार में मिलने वाले 6 - 7 महीने पुराने पैकेट और डिब्बा बंद समान हम लाते है और उसका उपयोग खाने में करते है , जबकि हम जानते है कि वो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते है ।
# बड़े बड़े शॉपिंग मॉल से शॉपिंग और अंधाधुन पैसे खर्च न करके भी हम जी सकते है ।
* 2 महीने के लॉक डाउन से सभी को समझ तो आ गया होगा कि बिना बाहर खाना खाएं *
घर मे भी अच्छे अच्छे पकवान बना कर खाया जा सकता है , तो घर मे रहे सुरक्छित रहे और आत्मनिर्भर रह कर बढ़िया बढ़िया भोजन बनाये और अपने आप को और अपने परिवार को खुश रखे और कोरोना से मुक्त रखे ।