सेहत / शौर्यपथ / तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिन बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिरता है, तो उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। जरूरत पड़े तो आईसीयू में शिफ्ट किया जाए। ऐसे बच्चों को निमोनिया, एक्यूट रिसपाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सैप्टिक शाक, मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
गाइडलाइन के मुताबिक, बच्चों को इलाज में रेमडेसिविर और आइवरमेक्टिन व स्टेरॉयड नहीं दी जाएंगी। गम्भीर बच्चे ही अस्पताल में भर्ती होंगे। बाकी का इलाज होम आइसोलेशन में रखकर किया जा सकता है। सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह के मुताबिक ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है। गाइडलाइन में बच्चों को स्टेरॉयड देने की मनाही की गई है। सिर्फ गंभीर बच्चों को जरूरत पड़ने पर यह दवा देने की अनुमति दी जाएगी।
घर में रखकर भी इलाज संभव है
गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि सिर्फ कोरोना ग्रस्त गंभीर बच्चों को भर्ती कराने की जरूरत होगी। बाकी का इलाज में घर में रहकर ही किया जा सकता है। बस उनकी नियमित मॉनिटरिंग होती रही। ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है।
स्टूल की जांच से पता चलेगा संक्रमण
कुछ बच्चे बुखार के साथ पेट दर्द, उल्टी व दस्त की समस्या के आ सकते हैं, उनका भी कोरोना मरीज के तौर पर इलाज किया जाना चाहिए। उनका स्टूल टेस्ट कराने पर पुष्ट हो जाएगा कि उन्हें कोरोना है या नहीं। कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिन्ड्रोम भी हो सकता है जिसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है।
क्या हो सकते हैं लक्षण
-ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन या हल्के-फुल्के लक्षण वाले होंगे
-बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकावट, नाक बहना।
-सूंघने व स्वाद की क्षमता में कमी,मांसपेशियों में दर्द, खराश।
ये भी दिक्कत हो सकती है
-कुछ बच्चों में दस्त आना, उल्टी होना, पेट दर्द।
-कुछ में मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम होगा।
-ऐसे बच्चों को बुखार 38 सेंटीग्रेड से अधिक होगा।