भिलाई/शौर्यपथ।
भोजपुरी सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले चर्चित निर्देशक मंजुल ठाकुर इन दिनों एक बेहद अलग और ऐतिहासिक फिल्म “परिणय-सूत्र” की शूटिंग में व्यस्त हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के पास जोर-शोर से चल रही इस फिल्म की शूटिंग में 1970 के दशक के भारत की पारिवारिक संस्कृति, रहन-सहन और सामाजिक मूल्यों को पर्दे पर सजीव रूप में दिखाने की कोशिश की जा रही है।
इस फिल्म का निर्माण संदीप सिंह एवं मंजुल ठाकुर द्वारा किया जा रहा है, जबकि इसकी पटकथा अरविंद तिवारी ने लिखी है। फिल्म आद्या फिल्म्स एंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही है।
? फिल्म की विशेषताएं:
निर्देशक मंजुल ठाकुर के अनुसार, “यह फिल्म एक पारंपरिक पारिवारिक गाथा है, जिसमें 70 के दशक के हर पहलू को बड़ी बारीकी से दर्शाया जा रहा है — चाहे वह खानपान हो, पहनावा हो, मकानों की बनावट हो या शादी-विवाह की रस्में। बैलगाड़ी, एक्का, पीतल के बर्तन और उस समय की मुद्रा तक की व्यवस्थित रूप से व्यवस्था की गई है, जिससे दर्शकों को उस दौर की एक सजीव झलक मिल सके।”
उन्होंने बताया कि आज के आधुनिक दौर की फिल्में बनाना जितना सहज है, उतना ही चुनौतीपूर्ण है अतीत के परिवेश को रच पाना। “उस समय की वास्तुकला, जीवनशैली और व्यवहार की झलक को पुनः खड़ा करना एक बेहद कठिन और दिलचस्प यात्रा रही,” उन्होंने कहा।
? कलाकारों की प्रभावशाली टीम:
इस ऐतिहासिक फिल्म में भोजपुरी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री रानी चटर्जी मुख्य भूमिका में हैं, उनके साथ तनुश्री, राकेश बाबू, प्रशांत सिंह, ललित उपाध्याय, विद्या सिंह और शमशीर सिवानी जैसे सशक्त कलाकार अपने अभिनय से फिल्म को संजीवता प्रदान कर रहे हैं।
इसके अलावा अशोक गुप्ता, नीलम सिंह, रामनरेश श्रीवास्तव, रीमा, रिंकू आयुषी, अंजु रस्तोगी, बबीता, रंजीत सिंह, आदर्श सहित कई कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे।
? बाल कलाकारों की भी चमक:
फिल्म में बाल कलाकार ढोलू यादव, दीक्षा, गोकुल और आरजू ने अपने सहज अभिनय से सभी का ध्यान आकर्षित किया है।
? तकनीकी टीम:
फिल्म के दृश्य को कैमरे में कैद करने का कार्य अनुभवी कैमरामैन इमरान शगुन ने किया है। पार्थ मिश्रा एसोसिएट डायरेक्टर हैं, वहीं सहायक निर्देशक के रूप में अमृतराज, सूरज वर्मा और पियुष उपाध्याय का योगदान है। प्रोडक्शन की कमान श्री रौशन व सोनू के पास है, जबकि नाज़िर भाई इस प्रोजेक्ट के आर्ट डायरेक्टर हैं।
? निर्माता संदीप सिंह की सोच:
निर्माता संदीप सिंह ने कहा, “जब मैंने यह कहानी सुनी तो मुझे लगा कि आज के दौर में ऐसी फिल्म की सख्त ज़रूरत है जो नई पीढ़ी को बताए कि हमारे पूर्वजों ने किन हालात में जीवन जिया और कैसे सादगी में भी खुशहाल जीवन जीया। यही सोच लेकर मैंने फिल्म निर्माण का निर्णय लिया।”
? निष्कर्ष:
“परिणय-सूत्र” न केवल एक फिल्म है, बल्कि यह समय की यात्रा है, जिसमें दर्शक 1970 के दशक के भारतीय परिवेश, संस्कृति और मूल्यों को अनुभव करेंगे। यह फिल्म निश्चित ही भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी।
✍️ रिपोर्ट: शरद पंसारी
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