दुर्ग / शौर्यपथ / निगम चुनाव और विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में काफी अंतर होता है निगम चुनाव के प्रत्याशी ऐसे होने चाहिए जिनकी वार्ड में दखलअंदाजी हो और गली मोहल्ले की समस्याओं से रूबरू होकर वार्ड की जनता की समस्याओं का निराकरण करें . वार्ड के प्रत्याशी चयन में जमीनी स्तर पर प्रत्याशियों की सक्रियता देखना निशांत आवश्यक होता है परंतु एक बार फिर दुर्ग नगर निगम चुनाव में प्रदेश के बड़े नेताओं की दखलंदाजी साफ नजर आ रही है जो कि कही ना कही कांग्रेस को ही नुक्सान पहुंचाएगी .
बात करें तो वार्ड नंबर 6 से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में निगम के पूर्व सभापति राजेश यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है जबकि पूर्व में इस बार से प्रबल दावेदार के रूप में मनीष यादव के नाम की चर्चा शहर संगठन में हो रही थी परंतु शहर संगठन और अरुण वोरा की अहमियत प्रदेश स्तर के नेताओं के लिए लगभग 0 से प्रतीत हो रही है . पूर्व में राजेश यादव एक समय में संगठन के मजबूत नीव थे परंतु 15 सालों के राजनीतिक वनवास के बाद पिछले 5 साल में दुर्ग संगठन के लिए उनका कोई अहम योगदान नजर नहीं आया .वहीं पूर्व सभापति के कक्ष से गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा के विरोध के जो स्वर जन्मे जिसे प्रदेश स्तर के नेता भी नहीं रो सके नतीजा यह रहा की शहर के लाडले विधायक कहे जाने वाले अरुण वोरा को शहर की जनता ने ठुकरा दिया .परिणाम के बाद शहर की जनता के लाडले विधायक के रूप में अरुण वोरा का नाम मिट गया .
आपसी गुट बाजी और पार्टी विरोधी कार्यो में संलिप्त के कई मामले सामने आए वहीं दुर्ग संगठन की निष्क्रियता का परिणाम रहा की पार्टी विरोधी गतिविधियों वाले कांग्रेसियों पर कार्यवाही तो दूर नोटिस भी जारी नहीं कर सकी .अब एक बार फिर दुर्ग कांग्रेस संगठन प्रदेश के नेताओं के सामने असहाय हो गई प्रदेश स्तर के नेताओं से राजेश यादव को लगभग हरी झंडी मिल चुकी है ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी करने वाले मनीष यादव अब निर्दलीय चुनावी जंग में उतरेंगे .चर्चा यह भी है कि मनीष यादव चुनाव के पहले राजेश यादव के साथ आपसी सहमति बना लेंगे परंतु इस बारे में जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने मनीष यादव से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह अगर पार्टी से टिकट नहीं मिलेगी तो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे उन्होंने नामांकन फार्म भी निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त कर लिया है मनीष यादव का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को इस बार से उन्होंने ही जीत दिलाई है एवं पूर्व में वह निर्दलीय पार्षद के रूप में भी इस वार्ड की सेवा कर चुके हैं पिछले चुनाव में आपसी सहमति जरूर थी परंतु वह सिर्फ एक कार्यकाल के लिए थी इस चुनाव में वह हर हाल में चुनावी मैदान में उतरेंगे ऐसे में देखना होगा कि प्रदेश के वह बड़े नेता जिन्होंने दुर्ग कांग्रेस में हस्तक्षेप किया क्या मनीष यादव को कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से रोक पाएंगे या फिर पूर्व की आपसी सहमति का हवाला देते हुए मनीष यादव निर्दलीय चुनावी जग में उतरेंगे .बरहाल नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तारीख में अब 5 दिन शेष हैं ऐसे में आने वाले 5 दिन काफी गहमागहमी भरे रहेंगे .