दुर्ग। शौर्यपथ। वार्ड नंबर 45 में कांग्रेस के टिकट बंटवारे को लेकर जिस तरह से छिछालेदरी हुई वह दुर्ग की जनता ने देख ही लिया आश्चर्य की बात यह है कि वार्ड नंबर 45 के जिस टिकट के लिए प्रत्याशियों में आपसी विवाद हुआ उस वार्ड में दोनों ही प्रत्याशी निवास नहीं करते पिछले निकाय चुनाव में प्रतिकूल स्थिति देखकर राजेश शर्मा सुरक्षित सीट वार्ड नंबर 46 से चुनावी मैदान में उतरे वही आयुष शर्मा वार्ड नंबर 43 के निवासी हैं दोनों ही दावेदार वार्ड नंबर 45 में निवास नहीं करते परंतु टिकट के लिए जिस तरह से पूर्व महापौर गुट और पूर्व विधायक गुट की जंग चली वह सभी के सामने है और कांग्रेस की नियति भी साफ नजर आने लगी है दुर्ग कांग्रेस को अपनी जागीर समझने वाले नेताओं ने वार्ड नंबर 45 के उसे दावेदार को दरकिनार कर दिया जो शिक्षा सामाजिक स्तर और राजनीतिक स्तर में तो एक अलग पहचान बनाए हुए हैं वहीं कम उम्र में हाई कोर्ट के अधिवक्ता होने का भी सम्मान प्राप्त कर चुका है साथ ही राजनीतिक पृष्ठभूमि भी ऐसी है जो बेदाग है.
बात करें तो वार्ड नंबर 45 में निवास रत सौरभ ताम्रकार की सौरभ ताम्रकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के पोते हैं 2008 से वह कांग्रेस में सक्रियता से कार्य कर रहे हैं कांग्रेस परिपाटी का पूरी तरह पालन करते हुए सदैव कांग्रेस हित की बात करते हैं कम उम्र में जिस तरह से उन्होंने उपलब्धि हासिल की वार्ड नंबर 45 से वह एक बेहतरीन प्रत्याशी हो सकते थे परंतु कांग्रेस को इस्तेमाल करने वाले नेता कांग्रेस टिकट को बांटने या दान देने का खेल ऐसा खेले की कई वार्डों में प्रत्याशियों की निष्क्री छवि के बाद भी वह चुनावी मैदान में है वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधायक बांग्ला जो दुर्ग में कांग्रेस का सर्वे सर्वा है कहीं से यह नहीं चाहता कि पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के परिवार से किसी को आगे बढ़ने दिया जाए.
ऐसे में काबिल कांग्रेसी अपनी अवहेलना से लगातार कांग्रेस का दामन छोड़ रहे हैं आने वाले समय में देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस संगठन दुर्ग कांग्रेस की बदहाल स्थिति पर गंभीरता से विचार करता है या फिर प्रदेश संगठन दुर्ग कांग्रेस को लीज पद्धति के माफिक अरुण वोरा की झोली में समर्पित करता रहेगा.