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राजेन्द्र साहू की गलतफहमी कही बदल ना दे चुनावी परिणाम .... Featured

शौर्यपथ राजनीति । लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने राजेन्द्र साहू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। देश में 7 चरणों में हो रहे चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में मतदान होना है ऐसे में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के पास काफी समय है प्रचार के लिए । एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय बघेल जिनकी चुनावी प्रचार की शैली निरंतर तेजी से बढ़ रही है और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में दिख रही भीड़ भी यह बता रही है कि भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी विजय बघेल अपने पिछले सर्वाधिक मतों से जीत के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू भी चुनावी प्रचार प्रसार में लग चुके हैं परंतु राजन साहू के साथ बड़ी परेशानी है कि पिछले 5 सालों में कांग्रेस सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने के बावजूद भी राजेंद्र साहू ने कोई ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं की जिसे जनता के सामने बताया जा सके हालांकि राजेंद्र साहू किसी संवैधानिक पद में नहीं रहे कांग्रेस सरकार के आखिरी सालों में जरूर जिला सहकारी केंद्रीय ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष रहे परंतु साल भर के कार्यकाल में किसी बड़ी उपलब्धि की चर्चा नहीं हुई वहीं कुछ तथाकथित कांग्रेसी जो पत्रकारिता का चादर ओढ़े चाटुकारिता का प्रदर्शन करते हुऐ यह जरूर दिखाने की कोशिश किया जा रहा है कि 10 साल पहले राजेंद्र साहू ने बड़े जोश खरोश उसके साथ चुनाव लड़ा और जीत के करीब पहुंचे थे परंतु 10 साल पहले की स्थिति और आज की स्थिति में काफी अंतर है वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी की संगठात्मक क्षमता काफी मजबूत हुई है वहीं कांग्रेस पार्टी में अभी भी आपसी मतभेद अपनी चरम सीमा पर है हाल ही में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में जिस तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का भाजपा में प्रवेश हुआ जिसमें युवा वर्गों का एक बड़ा जत्था कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुआ वहीं दूसरी ओर राजेंद्र साहू के पास युवक की वैसे टीम नहीं है जो पूरे तन मन से चुनावी प्रचार में राजेंद्र साहू के साथ रहे कांग्रेस कार्यकाल के समय जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा चखना सेंटर का संचालन ,ठेकेदारी में संलिप्त मदन जैन भी ऋषभ जैन जैसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का खुलेआम विषय विधानसभा में कांग्रेस के विरोध में कार्य करने का आप राजेंद्र साहू और वोरा गुट में पोस्टर वार को लेकर आपसी मतभेद और कांग्रेसी का कार्यालय में भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यकर्ताओं का कांग्रेस के पक्ष में समर्थन मांगना यह सब राजेन्द्र साहू के लिए चुनावी परिणाम को विपरीत दिशा में ले जा रहा है । 

  दुर्ग विधानसभा क्षेत्र की ही बात करें तो दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के एम आई सी मेंबर अभी तक खुलकर चुनावी प्रचार में सामने नहीं आ पाए हैं वही दुर्ग कांग्रेस के बड़े नेता अरुण वोरा , आर एन वर्मा , शंकर ताम्रकार, धीरज बाकलीवाल जैसे भी उस तरह से चुनावी प्रचार में नहीं दिख रहे हैं जिसकी कांग्रेस को जरूरत है वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी पार्षदों का एवं कांग्रेस के समर्थन में पिछले विधानसभा चुनाव में कार्य करने वाले जनप्रतिनिधियो का भाजपा में जाना भी यह इशारा कर रहा है कि वर्तमान में भी वही स्थिति की निर्मित हो रही है जिस तरह से विधानसभा चुनाव में निर्मित हुई थी आपसी गुटबाजी दुर्ग कांग्रेस की एक बड़ी कमजोरी रही है इससे 5 सालों में राजेंद्र साहू ने पाटन क्षेत्र में ही अपना ध्यान आकर्षित किया दुर्ग की राजनीति से वह दूर रहे संगठन में रहते हुए भी पिछले 5 सालों में राजेंद्र साहू द्वारा अपने जमीन के व्यापार को बढ़ाने और पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने की चर्चा भी शहर में जोरों पर है । साथी है अभी चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग जिला मुख्यालय में ऐसा कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ जिसे उपलब्धि के रूप में आम जनता याद कर सके कांग्रेस के युवाओं की टीम की स्थिति भी सभी को नजर आ रही है वर्तमान स्थिति में भी कांग्रेसी युवा टीम भारतीय जनता पार्टी युवा टीम क्या आगे काफी कमजोर प्रतीत हो रही है कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र साहू के पास अभी भी काफी समय है सिर्फ साहू समाज की बहुलता के और साहू समाज के प्रत्याशी होने के लाभ को अगर देखते हुए राजेंद्र साहू चुनावी मैदान में उतरते हैं तो कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए दुर्ग लोकसभा का यह चुनाव भी एक ऋनात्मक परिणाम के रूप में सामने आएगा ।

लेख का आधार, क्षेत्र में हो रही राजनैतिक चर्चा 

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