July 27, 2024
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शौर्य की बाते ( सम्पादकीय )

शौर्य की बाते ( सम्पादकीय ) (156)

(आलेख : संजय पराते)
शौर्यपथ आलेख /नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की निष्पक्ष तरीके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित कर पाने की असफलता ने न केवल इसमें घुसे भ्रष्टाचार को उजागर किया है, बल्कि हमारी समूची शिक्षा प्रणाली के ढहने की ओर भी इशारा किया है ; जिसे नई शिक्षा नीति से सबको संस्कारित करने और कानून के जरिए पेपर लीक जैसे मामलों पर लगाम लगाने के ढपोरशंखी दावे की आड़ में दबाने की कोशिश की जा रही है। पूरे मामले को 'नैतिकता' के आवरण में ढंका जा रहा है और इन मामलों में राजनीति न करने की अपील विपक्ष और देश की जनता से की जा रही है, जबकि शिक्षा प्रणाली का मुद्दा राजनीति से जुड़ा सीधा मसला है। असली मुद्दा यह है कि देश की शिक्षा प्रणाली को सार्वभौम और सार्वजनिक बनाया जाएगा या फिर अन्य क्षेत्रों की तरह ही उसका संपूर्ण निजीकरण किया जाएगा और उसे 'माल' बनाकर कुछ व्यक्तियों और समूहों की इजारेदारी कायम की जाएगी। इस मूल सवाल से भाजपा और उसके संगी-साथी बचकर निकल जाना चाहते हैं।
पहले नीट (एनआईआईटी) के बारे में। जिस परीक्षा के नतीजे 14 जून को आने वाले थे, उसके नतीजे 4 जून को घोषित करना और उस समय, जब पूरा देश लोकसभा चुनाव नतीजों के हो-हल्ले में फंसा हो, आश्चर्य की बात थी। इससे आसानी से नतीजा निकाला जा सकता है कि परीक्षा के नतीजों को किसी शोरगुल में दबाने की साफ साजिश थी। परीक्षा के नतीजों में जो गड़बड़ियां सामने आई, वह इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं।
किन गड़बड़ियों से इस परीक्षा के नतीजों पर प्रश्न चिन्ह लगे हैं? (री-नीट के बाद) कम-से-कम 61 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें 720 में से 720 अंक मिले हैं, जबकि पिछले वर्ष आयोजित परीक्षा में ऐसे केवल 2 लोग ही थे। कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें 718 और 719 अंक मिले थे। गणितीय दृष्टि से, इस प्रकार के अंक मिलना असंभव है, क्योंकि बहु वैकल्पिक प्रश्नों वाली परीक्षा में प्रत्येक सही उत्तर के लिए 4 अंक निर्धारित थे और प्रत्येक गलत उत्तर देने पर कुल सही प्राप्तांकों में से एक अंक कटना था। इस प्रकार, एक गलत उत्तर के साथ पूरा सही पेपर बनाने वाले उम्मीदवार को 715 अंक ही मिल सकते थे। एनटीए का स्पष्टीकरण है कि ऐसा 1563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स मिलने के कारण हुआ है, जिन्हें परीक्षा के लिए निर्धारित समय से कम समय मिला था, या उन्हें गलत उत्तर देने के लिए इसलिए ग्रेस अंक मिले हैं, क्योंकि कक्षा बारहवीं की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में अशुद्धियां थी और गलत जानकारी दी गई थी। लेकिन परीक्षा की मूल योजना में ग्रेस मार्क्स की कोई अवधारणा नहीं थी और इससे काफी पीछे के उम्मीदवार सामने आ गए थे। बाद में एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ग्रेस मार्क्स वापस लेकर ऐसे उम्मीदवारों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित की है। यह भी अब विवाद के दायरे में है कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए परीक्षा आयोजित करना उचित था, क्योंकि उम्मीदवारों को कम समय मिलने की बात संबंधित परीक्षा केंद्रों के प्रभारियों ने नकार दी है। इससे यह सवाल सहज ही उठ खड़ा होता है कि क्या कुछ परीक्षा केंद्रों को कुछ विशेष उम्मीदवारों के लिए बनाया गया था, जहां उन्हें अनुचित लाभ दिलाया जा सके? यह आशंका इसलिए भी सही है कि कुछ परीक्षा केंद्रों के कुछ उम्मीदवारों को लाइन से ऐसे उच्च अंक मिले हैं। इसके साथ ही, सरकार के निर्देशन में एनसीईआरटी द्वारा तैयार हमारे पाठ्य पुस्तकों की सटीकता पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। इस घपले-घोटाले के उजागर होने के बाद ताबड़तोड़ तरीके से एक के बाद एक दूसरी प्रतियोगी परीक्षाएं भी बिना किसी उजागर कारण के स्थगित की गई है, जिससे यह स्पष्ट अनुमान लगाया जा सकता है कि इन परीक्षाओं के पर्चे भी लीक हो चुके थे और कुछ उम्मीदवारों को नाजायज फायदा दिलाने की सेटिंग हो चुकी थी।
एनटीए जिन प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता है, उनमें हर साल लगभग 1.25 करोड़ परीक्षार्थी शामिल होते हैं और नीट के घपले के साथ अन्य स्थगित परीक्षाओं से कम से कम 50 लाख विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं और इसलिए देश का छात्र समुदाय नीट को पुनः आयोजित करने तथा एनटीए को खत्म किए जाने की मांग कर रहा है, तो इसमें गलत कुछ नहीं है। पूरे देश के स्तर पर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, अपारदर्शिता और प्रक्रियागत विफलता से केंद्र सरकार भी बरी नहीं हो सकती, इसलिए सभी प्रभावित छात्रों को केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा दिए जाने और शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। इस मामले में इंडिया समूह से जुड़े राजनैतिक दलों के छात्र संगठन भी एकजुट हो रहे हैं, जिन्होंने 3 जुलाई को जंतर मंतर में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने के बाद 4 जुलाई को अखिल भारतीय छात्र हड़ताल का आह्वान किया है।


अब एनटीए के बारे में। वर्ष 2018 तक नीट और नेट जैसी परीक्षाएं सीबीएसई द्वारा आयोजित की जाती थी, जो केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित होती है और जिसकी सीधी जवाबदेही जनता के प्रति बनती है। 2018 के बाद इन परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी एनटीए को सौंप दी गई, जो सोसायटी एक्ट के तहत मात्र एक पंजीकृत संस्था है। हालांकि इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है, लेकिन यह यह संस्था सरकार के किसी अधिनियम से शासित नहीं है और इसलिए आम जनता के प्रति इसकी कोई जवाबदेही भी नहीं बनती। अगस्त 2023 में प्रदीप जोशी नाम के व्यक्ति को इस संस्था के चेयरमैन पद पर मोदी सरकार ने बैठा दिया, जिनके पास विशिष्ट योग्यता यह थी कि वे आरएसएस के "खांटी स्वयंसेवक और पूर्व एबीवीपी नेता" थे, (नीट कांड के बाद अब इस महानुभाव को हटा दिया गया है)। इस संस्था के पास 'अपना' कहने वाले कर्मचारियों की संख्या केवल 25 हैं और अन्य निजी संस्थाओं (आऊट सोर्सिंग) के जरिए ही यह पूरे देश में परीक्षाओं का आयोजन करती है। ये संस्थाएं किस स्तर पर किस प्रकार की गड़बड़ियों, हेर-फेर और भ्रष्टाचार में शामिल है, इसका पता तब ही चलता है, जब लाखों परीक्षार्थियों का भविष्य बर्बाद हो चुका होता है और इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई सामने नहीं आता, सरकार भी नहीं। साफ है कि मोदी राज में एक सार्वजनिक और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली का आऊट सोर्सिंग के जरिए पूरी तरह निजीकरण कर दिया गया है, जिसमें पारदर्शिता और उत्तरदायिता का तत्व पूरी तरह से गायब है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच सालों में 15 राज्यों में कम-से-कम 48 पेपर लीक के मामले सामने आए हैं और इसने लगभग 1.2 लाख पदों के लिए कम-से-कम 1.4 करोड़ आवेदकों के जीवन को प्रभावित किया है। इन सभी में राज्य स्तरीय परीक्षाओं का संचालन आऊट सोर्सिंग के जरिए किया गया था। साफ है कि निजीकरण की राह पर चलने वाली राज्य सरकारों ने भी स्वच्छ, निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षाओं के आयोजन की अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है। हर क्षेत्र का निजीकरण मोदी सरकार का मूल मंत्र है और एनटीए के जरिए परीक्षाओं का आयोजन इसी नीति का हिस्सा है। वैसे भी मोदी सरकार उच्च पदों पर भर्ती का अधिकार सीधे अपने हाथ में लेना चाहती है, तो प्रतियोगी परीक्षाओं की भी कोई प्रासंगिकता नहीं रहने वाली है।


अब एक श्रद्धांजलि ढहती शिक्षा प्रणाली के लिए। हालांकि शिक्षा एक विषय के रूप में संविधान की समवर्ती सूची में है, लेकिन मोदी सरकार द्वारा इस क्षेत्र में भी संघवाद का उल्लंघन करके राज्यों का अधिकार हड़पा जा रहा है। मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य शिक्षा का निजीकरण करना और पाठ्यक्रम में आरएसएस के सांप्रदायिक नजरिए को घुसाना, और इस प्रकार सार्वभौमिक और वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक धर्मनिरपेक्ष वस्तुपरकता का त्याग करना है। नतीजन, पूरे देश में सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और निजी स्कूलों की संख्या बढ़ रही है। मोदी सरकार के आंकड़ों के अनुसार ही, देश में वर्ष 2018-19 में स्कूलों की संख्या 15,50,476 थी, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 14,89,115 रह गई थी। दो वर्षों में ही 61,361 स्कूलों के कम होने का अर्थ है, 5-6 करोड़ बच्चों का शिक्षा क्षेत्र से बाहर होना। निश्चित ही, ये बच्चे कमजोर सामाजिक-आर्थिक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से होंगे। साफ है कि हमारे बच्चों को "संस्कारित" करने का दावा करने वाली यह शिक्षा नीति गरीब और पिछड़े समुदायों के बच्चों को अज्ञानता के अंधकार में ही ढकेलने वाली साबित होने जा रही है। यह नीति उच्च शिक्षा के स्तर से आम जनता को वंचित करने की सोची-समझी नीति है।
जिस प्रकार पौराणिक कथाओं और मिथकों को इतिहास के रूप में स्थापित करने की मुहिम चलाई जा रही है, वह देश के जन मानस को आधुनिक और वैज्ञानिक विश्व दृष्टि से दूर करने का ही काम करेगी। इसी संदर्भ में, एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में त्रुटियों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। एक स्वस्थ और वैज्ञानिक शिक्षा हमारे देश की 'विविधता में एकता' को बढ़ावा देगी, लेकिन एक पोंगापंथी और सांप्रदायिक शिक्षा 'विविधता में एकता को छिन्न-भिन्न' करेगी, सौहार्द्र और सद्भाव की जगह नफरत का प्रचार करेगी। मोदी-शाह के नेतृत्व में संघी गिरोह शिक्षा नीति का एक ऐसे हथियार के रूप उपयोग करना चाहता है, जिसके जरिए धर्मनिरपेक्ष भारत को एक "संकीर्णतावादी और फासीवादी हिंदू राष्ट्र" में तब्दील किया जा सके।

शिक्षा नीति को एक सांप्रदायिक हथियार में ढालकर पूरी शिक्षा प्रणाली को बर्बाद करने और परीक्षा प्रणाली का निजीकरण करके चंद धनाढ्यों के लिए 'अवसर' सुनिश्चित करने की मोदी सरकार की साजिशों के खिलाफ आम जनता और इस देश के छात्र समुदाय को लड़ना होगा। 4 जुलाई को आहूत अखिल भारतीय छात्र हड़ताल इसकी अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। यह संघर्ष मोदी सरकार के कुकर्मों को अनकिया करने तक जारी रहने की घोषणा है।
(लेखक : संजय पराते स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, मध्यप्रदेश के पूर्व अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष)*

  राजनीती / शौर्यपथ / प्रदेश में एक पद मंत्रालय का खाली है एवं दूसरा पद (मंत्री बृजमोहन अग्रवाल) सांसद चुनाव जितने के बाद खाली होने की राह देख रहा है जिस पर संशय के बादल नजर आ रहे है वैसे अभी 18 जून तक समय है किन्तु राजनीती में चंद मिनटों में ही फैसले का असर दशा और दिशा सब बदल जाती है .
  वर्तमान समय में माना जाए तो एक पद खाली है जिस पर सभी की नजर है ऐसे में दुर्ग शहर विधायक के जन्मदिन का कार्यक्रम पृथ्वी पैलेसपर होना शहर में चर्चा का विषय है . पृथ्वी पैलेस में जन्मदिन मनाने पर अलग अलग चर्चाओं का बाजार गर्म है . दुर्ग जिले में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी विधायक के द्वारा जन्मदिन का उत्सव घर में ना मना कर होटल में वो भी शहर से दूर और महंगे होटल में शुमार पृथ्वी पैलेस जिसके एक दिन का किराया ही लाखो रूपये का है जहाँ हजार पांच सौ लोगो का खाना ही लाखो में पहुँच जाता है ऐसे में चर्चा के अनुसार चार से पांच हजार लोगो का न्योता और कई व्ही आई पी लोगो के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे राजनितिक हलको में यह चर्चा है कि साय सरकार के मंत्री मंडल विस्तार में गजेन्द्र यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है और यह पार्टी उसी कड़ी का एक हिस्सा के रूप में देखा जा रहा है . वही दूसरी तरफ ऐसी भी चर्चा है कि सक्रियता के मामले में क्षेत्र की जनता विधायक यादव से नाखुश है चंद लोगो से घिरे होने और संगठन तथा निगम के जनप्रतिनिधियों से दुरी मंत्री पद की राह में एक बड़ा स्पीड ब्रेकर नजर आ रहा है संघ से पिता का गहरा सम्बन्ध कुछ सकारात्मक पहल के रूप में भी अब नजर नहीं आ रहा . पिछले कुछ समय से संघ और भाजपा संगठन में कोल्ड वार खुलकर सामने आ गए है . राष्ट्रिय अध्यक्ष जे पी नड्डा का ब्यान अब हमें संघ की जरुरत नहीं वही संघ प्रमुख का भाजपा संगठन के चुनाव लड़ने की प्रणाली पर दिया गया बयान से यह भी उम्मीद नहीं की जा सकती की संघ से मंत्री पद के लिए दबाव बनाया जाएगा . ऐसे में पहली बार विधायक निर्वाचित होने के बाद शहर विधायक का शहर से दूर जन्मदिन मनाये जाने पर सबकी नजर है . शहर भर में जिस तरह से पूर्व विधायक , सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के पोस्टर जन्मदिन के अवसर पर लगे होते थे ऐसा वर्तमान में देखने को नहीं मिला , मीडिया से दुरी गिनती के अखबारों में जन्मदिन कि बधाई सन्देश जिसमे से प्रकाश सांखला और इन्द्रजीत सिंग (छोटू भैया ) हैवी ट्रांसपोर्ट के आलावा किसी स्थानीय या मझोले अखबार , इलेक्ट्रोनिक मिडिया जैसे प्लेट फ़ार्म में सालो बाद दुर्ग में एक नए चेहरे के जन्मदिन की कही झलक नजर नहीं आ रही फिर भी सभी की नजर शाम को होने वाले उत्सव और उसके बाद के नतीजो पर है .....


शौर्यपथ समाचार परिवार की तरफ से दुर्ग शहर विधायक गजेन्द्र यादव को जन्मदिन कि हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाये

 शौर्यपथ । वर्तमान में देश में दो तरह के पत्रकार माने जा रहे हैं एक पत्रकार समुह वह है जो गोदी मिडिया से अलंकृत है वही दूसरा पत्रकार समुह गोदी मिडिया विरोधी और इस तरह दो समूहों के बीच एक समाचार के दो पहलू पेश किए जा रहे है।
 अभी हाल में ही एक ऐसा मामला सामने आया जिसके कारण एक बार फ़िर राजनितिक भूचाल आ गया। जेडीएस के सांसद प्रजव्वल रेवन्ना के ऊपर यौन उत्पीडन का मामला सामने आने के बाद इंडिया गठबंधन फिर से एनडीए के खिलाफ आक्रामक हो गया ।
 बता दे कि जेडीएस और भाजपा का गठबंधन है ऐसे में जेडीएस नेता पर यौन उत्पीडन का मामला सामने आने से कर्नाटक सहित देश में विपक्षियों द्वारा एनडीए सरकार पर जबरदस्त आक्रमण किया जा रहा इसी बीच गोदी मिडिया की चाटुकारिता के लिए जानी जाने वाली रुबिका लियाकत अली के सोशल मीडिया x पर किए पोस्ट में कर्नाटक पुलिस पर आरोप लगाने के बाद फिर ट्रोल हो रही । रुबिका लियाकत अली को इस पोस्ट में जो जवाब मिल रहे उससे यही प्रतीत हो रहा है कि देश की मशहूर पत्रकार का स्तर कितना निम्न हो गया । पोस्ट में देश से बाहर जाने का आरोप प्रदेश पुलिस पर लगा रही जबकि एक साधारण व्यक्ति को भी यह ज्ञात है कि देश से बाहर जाने के लिए प्रदेश सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती यह अनुमति केंद्रीय एजेंसी द्वारा प्रदत्त होती है ।
 ना ही केन्द्र सरकार और न ही प्रदेश सरकार या कोई भी राजनैतिक दल बलात्कार, यौन उत्पीडन जैसे आरोपियों के पक्ष में खड़ा होता है किंतु रुबिका लियाकत अली का एक प्रदेश सरकार पर आरोप लगाना चाटुकारिता ही प्रतीत हो रहा । आज ऐसे चाटुकार पत्रकार की बदौलत ही दुनिया में भारत की पत्रकारिता का गिरता स्तर देश को बदनाम कर रहा किंतु चाटुकारिता की सीमा को पार करते ऐसे पत्रकार सिर्फ अपने लाभ की दिशा में सोच इस पेशे को बदनाम कर रहे । जिस तरह रुबिका लियाकत अली ने X पर पोस्ट के साथ प्रजवन्न की साधारण सी फोटो अपलोड की उसके बाद उसके इस पोस्ट के जवाब में कई लोगो द्वारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रज्जवन की फोटो लोड कर रहे तो कोई कुछ दिनों पहले लोकसभा चुनाव में प्रजवन् के लिए पीएम मोदी की वोट की अपील के वीडियो लोड कर रहे ।
  रुबिका लियाकत अली के द्वारा किसी एक पर आरोप लगाने के बाद इसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सोशल मीडिया में शामिल कर लिया गया । इस तरह कही ना कही पीएम मोदी को भी इस मामले में शामिल करने का श्रेय रुबिका लियाकत अली जैसे प्रकार को ही जाता है ।
 जबकि इस मामले में भाजपा नेता ने कहा कि
बीजेपी नेता देवराजे गौड़ा ने किए ये दावे
बीजेपी नेता देवराजे गौड़ा 2023 के विधानसभा चुनाव में होलेनरसिपुरा से उम्मीदवार थे. उन्होंने भी दावा किया है कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को चिट्ठी लिखकर प्रज्वल रेवन्ना समे एचडी देवेगौड़ा परिवार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे.
देवराजे गौड़ा ने दावा किया कि उन्हें एक पेन ड्राइव मिली थी. इसमें महिलाओं के 2976 वीडियो थे. इन वीडियो क्लिप के जरिए महिलाओं को ब्लैकमेल किया जा रहा था, ताकि उन्हें सेक्सुअल एक्टिविटी के लिए मजबूर किया जा सके. देवराजे गौड़ा कहते हैं, "अगर हम जेडीएस के साथ गठबंधन करते हैं. अगर हम लोकसभा चुनाव के लिए हासन में जेडीएस उम्मीदवार को नामांकित करते हैं, तो इन वीडियो को हमारे खिलाफ ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह हम पर दाग लग जाएगा कि हमने ऐसे परिवार के साथ गठबंधन किया, जिसके सदस्यों पर बलात्कार के आरोप हैं. यह राष्ट्रीय स्तर पर हमारी पार्टी की छवि के लिए एक बड़ा झटका होगा.''
प्रज्वल रेवन्ना ने इस मामले में क्या कहा?
33 साल के प्रज्वल रेवन्ना ने इन वीडियो को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि उन्हें बदनाम करने के मकसद से वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है. वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शनिवार सुबह वह जर्मनी के लिए रवाना हो गए. प्रज्वल रेवन्ना के पिता एचडी रेवन्ना पर भी उनकी घरेलू सहायिका ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. एचडी रेवन्ना होलेनरासीपुर निर्वाचन क्षेत्र से JDS विधायक हैं.

   

बस्तर लोकसभा चुनाव विशेष 2014

 संजय पराते की कलम से ...

   शौर्यपथ विशेष / वे डरे हुए हैं, बदहवास है। बावजूद इसके कि आंकड़े उनके पक्ष में है, इस बार जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। इस हकीकत को वे भी पहचान रहे हैं। इसलिए वे और भी डरे हुए हैं, बदहवास हैं। मोदी के जुमलों पर न्याय का हथौड़ा भारी पड़ रहा है।
  बस्तर लोकसभा में विधानसभा की 8 सीटें हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में तीन सीटें -- बस्तर, बीजापुर और कोंटा -- कांग्रेस ने जीती हैं, तो चार सीटों -- कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर और चित्रकोट -- पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इन 8 सीटों पर कांग्रेस को सम्मिलित रूप से 4,01,538 वोट तथा भाजपा को 4,81,151 वोट मिले थे। इस प्रकार भाजपा 79,613 वोट और 7.91% वोटों के अंतर से आगे थी।
  वर्ष 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम से विधानसभा चुनाव के ये परिणाम भाजपा के लिए आश्वस्तिदायक हैं। तब भाजपा को लोकसभा चुनाव में 3,63,545 वोट ही मिले थे और कांग्रेस को 4,02,527 वोट। इस प्रकार कांग्रेस के दीपक बैज ने भाजपा के बैदूराम कश्यप को 38,982 वोट और 4.27% के अंतर से हराया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पिछली बार जिन दो सीटों पर विजय पाई थी, उनमें से एक बस्तर थी।
   इस प्रकार बस्तर लोकसभा में पांच साल पहले कांग्रेस से 4.27% वोटों से पीछे रहने वाली भाजपा आज 7.91% वोट से आगे हैं। निश्चित ही ये आंकड़ें प्रभावशाली हैं और भाजपा के पक्ष में हैं। इसके बावजूद भाजपा के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं और वह पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। क्यों? इसका एक कारण तो मतदाताओं का वह असामान्य व्यवहार ही है, जिसने दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भारी भरकम जीत दिलाने के चार माह बाद ही अप्रैल 2019 में हुए लोकसभा के चुनावों में उसे पटकनी देने में कोई संकोच नहीं किया था।  इस बार भी मतदाता कहीं ऐसा ही 'खेला' नहीं कर दें! दूसरा कारण, लगातार दस सालों से केंद्र में सत्ता में बने रहने  और 2013-18 के दौरान केंद्र और राज्य दोनों ही स्तर पर सत्ता में बने रहने से पैदा सत्ता-प्रतिकूलता का कारक है, जिसने पिछली बार राज्य की सत्ता से उसे 10% वोटों के अंतर से बाहर कर दिया था। तीसरा कारण, स्वयं भाजपा की वे नीतियां हैं, जिससे राज्य की जनता और खासकर बस्तर की आदिवासी और गरीब जनता भुगत रही है।
  इसी बदहवासी ने भाजपा को मोदी की कथित गारंटी के बावजूद अपना उम्मीदवार बदलने को मजबूर किया है। इस बार उसने एक भूतपूर्व सरपंच महेश कश्यप को टिकट दिया है, जिसकी राजनैतिक पृष्ठभूमि यही है कि वह संघ के आनुषंगिक संगठनों बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से जुड़ा रहा है और धर्मांतरण विरोधी आंदोलनों की अगुआई करते हुए ईसाई आदिवासियों पर हमले करता रहा है। इस चेहरे को सामने रखकर संघ-भाजपा ने हिन्दुत्व का कार्ड खेलने की कोशिश की है। कांग्रेस ने भी अपना प्रत्याशी बदला है और उसने लगातार 6 बार विधायक निर्वाचित हुए और भूपेश मंत्रिमंडल के आबकारी मंत्री कवासी लखमा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी का व्यक्तित्व निश्चित ही भाजपा पर भारी पड़ रहा है।
   बस्तर में मोदी की 8 अप्रैल को सभा हो चुकी है। राम मंदिर, धर्मांतरण और असफल हो चुकी केंद्रीय योजनाओं की जुगाली करने के सिवा उनके पास कोई मुद्दा नहीं था। मोदी गारंटी का जुमला भी था, लेकिन बेरोजगारों के लिए रोजगार, किसानों के लिए एमएसपी और कर्जमुक्ति, आदिवासियों के लिए राज्य प्रायोजित उत्पीड़न से मुक्ति और वनाधिकार, पेसा और मनरेगा कानूनों के क्रियान्वयन की गारंटी सिरे से गायब थी। पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर तो वे गरज-तरज रहे थे, लेकिन अपने किए दुनिया के सबसे बड़े चुनावी बांड घोटाले पर चुप थे। उनके भाषण इस बात के संकेत थे कि एक व्यक्ति और एक दल के शासन को लादने की पूरी गारंटी है। वहीं 13 अप्रैल को हुई अपनी सभा में राहुल गांधी का पूरा भाषण मुद्दों पर केंद्रित था। आदिवासियों, बेरोजगार नौजवानों, गरीबी की समस्या उनके भाषण के केंद्र में थी और भाजपा की सांप्रदायिक नीतियों पर उन्होंने अपना निशाना साधा।
  रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी कहते हैं कि बस्तर के आदिवासियों को धारा 370 के हटने या राम मंदिर के निर्माण से कोई मतलब नहीं है। इन मुद्दों को सामने रखकर भाजपा को अपनी जीत का सपना नहीं देखना चाहिए। लेकिन पत्रकार पूर्णचंद्र रथ का कहना है कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र के शहरी हिस्से (जो अपेक्षाकृत बहुत छोटा है) में भाजपा का प्रभाव कांग्रेस से ज्यादा है।
  जगदलपुर के एक नौजवान कांग्रेसी कार्यकर्ता भुजित दोशी कहते है कि मोदी की सभा के मुकाबले राहुल की सभा का बड़ी होना बताता है कि बस्तर में हवा किस ओर बह रही है। महिलाओं के उत्थान के लिए हर वर्ष उन्हें 1 लाख रुपए देने के वादे के साथ ही आज राहुल गांधी ने किसानों की कर्जमुक्ति, उन्हें एमएसपी की कानूनी गारंटी देने और नौजवानों से खाली पदों को भरने का जो वादा किया है, वह मोदी की किसी भी गारंटी पर भारी पड़ेगी।
  दरभा के आदिवासी नौजवान संतोष यादव ने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद नक्सलियों के दमन के नाम पर आदिवासियों का उत्पीड़न बढ़ गया है और भाजपा सरकार फिर से नए रूप में सलवा जुडूम को लाना चाहती है। लोहंडीगुड़ा के आदिवासी टाटा के लिए बंदूक की नोंक पर उनकी जमीन छीनने की रमन सरकार की करगुजारी को अभी तक नहीं भूले हैं। नगरनार के स्टील प्लांट को मोदी सरकार आज भी निजीकरण की सूची में रखे हुए हैं। इसलिए बस्तर का नौजवान मोदी की किसी भी गारंटी पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है। हंसते हुए वे कहते हैं -- "हाथी के दांत दिखाने के और होते हैं, खाने के और। मोदी गारंटी का यही हाल है।" उल्लेखनीय है कि रमन राज में संतोष नक्सलियों के साथ संबंध रखने के झूठे आरोप में कई माह जेल काट चुके हैं।
  लेकिन फिर वही सवाल : जीतेगा कौन? क्या कांग्रेस 80,000 वोटों की खाई को पाटने में सफल हो पाएगी?पत्रकार रितेश पांडे एक मशहूर मजाक की याद दिलाते हैं : जनता तो चाहती है कि कांग्रेस जीते, लेकिन यदि कांग्रेसी ही भाजपा को जीताना चाहे तो...? वे कहते हैं कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार का यह एक बड़ा कारण था। लेकिन अब कांग्रेसी इस हार से सबक लेकर एकजुट होंगे और मोदी के जुमलों पर न्याय का हथौड़ा भारी पड़ेगा।

साभार - संजय पराते मोबाइल न.  94242-31650

शौर्यपथ राजनीति । लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने राजेन्द्र साहू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। देश में 7 चरणों में हो रहे चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में मतदान होना है ऐसे में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के पास काफी समय है प्रचार के लिए । एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय बघेल जिनकी चुनावी प्रचार की शैली निरंतर तेजी से बढ़ रही है और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में दिख रही भीड़ भी यह बता रही है कि भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी विजय बघेल अपने पिछले सर्वाधिक मतों से जीत के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू भी चुनावी प्रचार प्रसार में लग चुके हैं परंतु राजन साहू के साथ बड़ी परेशानी है कि पिछले 5 सालों में कांग्रेस सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने के बावजूद भी राजेंद्र साहू ने कोई ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं की जिसे जनता के सामने बताया जा सके हालांकि राजेंद्र साहू किसी संवैधानिक पद में नहीं रहे कांग्रेस सरकार के आखिरी सालों में जरूर जिला सहकारी केंद्रीय ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष रहे परंतु साल भर के कार्यकाल में किसी बड़ी उपलब्धि की चर्चा नहीं हुई वहीं कुछ तथाकथित कांग्रेसी जो पत्रकारिता का चादर ओढ़े चाटुकारिता का प्रदर्शन करते हुऐ यह जरूर दिखाने की कोशिश किया जा रहा है कि 10 साल पहले राजेंद्र साहू ने बड़े जोश खरोश उसके साथ चुनाव लड़ा और जीत के करीब पहुंचे थे परंतु 10 साल पहले की स्थिति और आज की स्थिति में काफी अंतर है वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी की संगठात्मक क्षमता काफी मजबूत हुई है वहीं कांग्रेस पार्टी में अभी भी आपसी मतभेद अपनी चरम सीमा पर है हाल ही में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में जिस तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का भाजपा में प्रवेश हुआ जिसमें युवा वर्गों का एक बड़ा जत्था कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुआ वहीं दूसरी ओर राजेंद्र साहू के पास युवक की वैसे टीम नहीं है जो पूरे तन मन से चुनावी प्रचार में राजेंद्र साहू के साथ रहे कांग्रेस कार्यकाल के समय जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा चखना सेंटर का संचालन ,ठेकेदारी में संलिप्त मदन जैन भी ऋषभ जैन जैसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का खुलेआम विषय विधानसभा में कांग्रेस के विरोध में कार्य करने का आप राजेंद्र साहू और वोरा गुट में पोस्टर वार को लेकर आपसी मतभेद और कांग्रेसी का कार्यालय में भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यकर्ताओं का कांग्रेस के पक्ष में समर्थन मांगना यह सब राजेन्द्र साहू के लिए चुनावी परिणाम को विपरीत दिशा में ले जा रहा है । 

  दुर्ग विधानसभा क्षेत्र की ही बात करें तो दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के एम आई सी मेंबर अभी तक खुलकर चुनावी प्रचार में सामने नहीं आ पाए हैं वही दुर्ग कांग्रेस के बड़े नेता अरुण वोरा , आर एन वर्मा , शंकर ताम्रकार, धीरज बाकलीवाल जैसे भी उस तरह से चुनावी प्रचार में नहीं दिख रहे हैं जिसकी कांग्रेस को जरूरत है वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी पार्षदों का एवं कांग्रेस के समर्थन में पिछले विधानसभा चुनाव में कार्य करने वाले जनप्रतिनिधियो का भाजपा में जाना भी यह इशारा कर रहा है कि वर्तमान में भी वही स्थिति की निर्मित हो रही है जिस तरह से विधानसभा चुनाव में निर्मित हुई थी आपसी गुटबाजी दुर्ग कांग्रेस की एक बड़ी कमजोरी रही है इससे 5 सालों में राजेंद्र साहू ने पाटन क्षेत्र में ही अपना ध्यान आकर्षित किया दुर्ग की राजनीति से वह दूर रहे संगठन में रहते हुए भी पिछले 5 सालों में राजेंद्र साहू द्वारा अपने जमीन के व्यापार को बढ़ाने और पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहने की चर्चा भी शहर में जोरों पर है । साथी है अभी चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग जिला मुख्यालय में ऐसा कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ जिसे उपलब्धि के रूप में आम जनता याद कर सके कांग्रेस के युवाओं की टीम की स्थिति भी सभी को नजर आ रही है वर्तमान स्थिति में भी कांग्रेसी युवा टीम भारतीय जनता पार्टी युवा टीम क्या आगे काफी कमजोर प्रतीत हो रही है कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र साहू के पास अभी भी काफी समय है सिर्फ साहू समाज की बहुलता के और साहू समाज के प्रत्याशी होने के लाभ को अगर देखते हुए राजेंद्र साहू चुनावी मैदान में उतरते हैं तो कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए दुर्ग लोकसभा का यह चुनाव भी एक ऋनात्मक परिणाम के रूप में सामने आएगा ।

लेख का आधार, क्षेत्र में हो रही राजनैतिक चर्चा 

शौर्यपथ । आज 8 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत वर्ष में महिलाओ को आदिशक्ति के रुप में देखा गया है। महिला दिवस पर श्रुति पाठकों के लिए एक लेख समर्पित 

   अक्सर हम जाने अंजाने बहुत सारे बंधनों में बांधकर स्वयं को संचालित करते रहते हैं और इन बंधनों को सामाजिक बन्धन का नाम दे देते हैं। इन अवांछित को ढोते ढोते स्वयं को मानसिक शारीरिक थकाते रहते हैं , टूटते रहते हैं। वास्तव में हमें अपनी सीमाओं से स्वयं को संचालित तो करना होता है पर वह सीमा असीमित हैं ।हम एक संपूर्ण व्यक्तित्व तभी हो सकते हैं जब हम अपने आप को असीमित बना लें । एक स्त्री होना बहुत मुश्किल है और स्त्री का स्त्री बने रहना और भी मुश्किल। स्त्री में स्त्रीत्व का परिपालन करते-करते स्त्री स्त्री बनी रह भी जाती है पर सामाजिक, घरेलू परिप्रेक्ष में स्त्री का इंसान बने रहना ही मुश्किल हो जाता है । पुरुषों से अपेक्षाकृत अधिक जटिल और बल में अपेक्षा थोड़ा कम बनाया है । यूं तो स्त्री स्वयं प्रकृति है और असीमित शक्ति की मालकिन है पर उसे खुद को संरक्षण देना और खुद को स्थापित करना होता है। वह स्वयं तेज पुंज होकर निस्तेज रहते हुए सीमित मैं भी खुद को असीमित कर लेती है।

 

**एक समंदर आंचल में छुपा रक्खा है।

तूफ़ा खामोश हो गए। 

लहरों को भी दवा रखा है। 

पानी को भी जमीं चाहिए ठहरने के लिए ।

मैंने हवाओं में आशियाना बना रखा है ।

क्या बिगड़ेंगे आंधियां मेरा ।

मैंने बवंडर को आंखों में उठा रखा है**

 

यहां मैंने समुद्र की गहराई को स्त्री के मन और उसमें से निकलने वाले अमूल्य रत्नों को उसके गुण की और बवंडर की उपमा उसकी सहनशक्ति से की है।

साभार : अनुराधा *अनु*  

दुर्ग छत्तीसगढ़

साभार : श्रीमती नूतन सिदार, सहायक संचालक

    रायपुर / शौर्यपथ  / महिला सशक्तिकरण की दिशा में आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने के लिए महतारी वंदन योजना एक कारगर कदम है। प्रदेश की महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा इस योजना की शुरूआत की गई है। गांव से लेकर शहर तक महिलाओ में जबरदस्त उत्साह देखा गया। महिलाओं को इस योजना से प्रतिमाह 1000 रूपए की राशि दी जाएगी। साल में कुल 12 हजार की राशि भी मिलेगी। महिलाएं घर चलाने के साथ-साथ ही घर की बजट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्हें घर की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना बखूबी आता है। महतारी वंदन योजना से महिलाओं को आर्थिक बल मिलेगा और उनके हाथों में एक राशि रहेगी। जिसका उपयोग वे कर सकेंगी।

  जगदलपुर शहर के लालबाग निवासी श्रीमती आसमती कश्यप ने स्थानीय हल्बी बोली में बताया कि हम सभी महिलाएं बहुत खुश है कि उनके खाते में प्रतिमाह 1000 रूपए की राशि आएगी। इसका उपयोग साग-सब्जी तथा अन्य जरूरत के लिए कर सकेंगी। बस्तर की महिलाओं ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में छत्तीसगढ़ शासन की यह अनोखी पहल है।

  आड़ावाल निवासी स्वाति राव ने कहा कि राशि का उपयोग अपनी जरूरी घरेलू सामान की पूर्ति करने के लिए करेंगी। आड़ावाल की श्रीमती कृष्णादेवी ने खुशी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को धन्यवाद दिया।

  बलौदाबाजार नगर निवासी श्रीमती सुनीता यादव ने कहा सरकार ने प्रतिमाह 1 हजार रूपये देने का वादा किया था वह अब पूरा होने वाला है। आज मैंने महतारी वंदन योजना के लिए आवेदन कर दी हूं। अब जो पैसा मिलेगा उसका उपयोग बच्चों की पढ़ाई एवं अन्य खर्चों के लिए करूंगी। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश के मुखिया श्री विष्णुदेव साय को महतारी वंदन योजना प्रारंभ करने के लिए धन्यवाद देते हुए आभार जताया। इसी तरह कसडोल विकासखण्ड के ग्राम बल्दाकछार के विशेष पिछड़ी जनजाति निवासी श्रीमती तीजबाई कमार ने भी नजदीकी आंगनबाड़ी पहुंचकर महतारी वंदन योजना के लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि मैं दैनिक मजदूरी एवं किसानी कार्य कर पैसा कमाती हूं अब इसके साथ ही मुझे प्रतिमाह 1 हजार रूपये मिलेेगा। जो मेरे अतिरिक्त आय का साधन होगा। मै इस पैसे का उपयोग अन्य दैनिक खर्चों में करूंगी। श्रीमती तीजबाई कमार ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया। इसी तरह बलौदाबाजार विकासखण्ड के ग्राम परसाभदेर निवासी श्रीमती स्नेहा पैकरा ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए प्रारंभ की गई योजना महतारी वंदन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सभी महिलाओं से आवेदन करने की अपील की है।

  गौरतलब है की प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना का लाभ प्रदेश के मूल निवासी विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यकक्ता महिलाओं को मिलेगा। इस योजना में शामिल होने के लिए परिवार की आर्थिक आय ढाई लाख रुपए से कम वार्षिक रखी गई है। इस योजना का लाभ विवाहित 21 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की महिलाओं को मिलेगा। एक हजार रुपए सरकार की ओर से मिलना भी उनके आर्थिक विकास के लिए फायदेमंद साबित होगा। महिलाओं को मिलने वाली इस योजना का लाभ से उनके आर्थिक दशा में सुधार आएगी तथा यदि महिलाये कुछ पैसा बचा सके तो आगामी भविष्य के लिए उसका उपयोग कर सकती है।

साभार :आनंद प्रकाश सोलंकी, सहायक संचालक( जनसंपर्क विभाग रायपुर )

     रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की नयी सरकार ने सुशासन का संकल्प लिया है। सुशासन यानि लोगों की बेहतरी के लिए प्रशासन में पारदर्शिता, कार्यों का समय सीमा में गुणवत्ता के साथ पूरा होना, अच्छा प्रबंधन, जनभागीदारी, जवाबदेही, कुशलता और कानून का पालन जैसी बातें शामिल हैं। यह किसी भी जनकल्याणकारी राज्य की प्रथम आवश्यकता होती है। नयी सरकार सुशासन की स्थापना के लिए आई.टी. को प्रमुख टूल के रूप में अपनाएगी। इसकी बानगी वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में देखी जा सकती है।  
   मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा है कि छत्तीसगढ़ ई-गवर्नेंस की दृष्टि से माडल राज्य बने। उनकी मंशा के अनूरूप योजनाओं की ई-मानीटरिंग के साथ-साथ पारदर्शी प्रशासन और आईटी आधारित कर प्रणाली विकसित की जाएगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ सेंटर फॉर स्मार्ट गवर्नेन्स की स्थापना का उल्लेख बजट में किया गया है। बजट में सभी विभागों में आई.टी. के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक उपकरण एवं आधुनिक सॉफ्टवेयर इत्यादि की व्यवस्था के लिए 266 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
   प्रदेश के 168 नगरीय निकायों में ई.गवर्नेन्स के तहत बजट एण्ड अकाउंटिंग मॉड्यूल स्थापित किया जायेगा। 47 नगरीय निकायों में प्रॉपर्टी सर्वे किये जाने हेतु GIS आधारित सॉफ्टवेयर निर्माण किया जायेगा। इससे प्रॉपर्टी टैक्स की प्राप्तियों में पारदर्शिता आयेगी। इन कार्यों के लिए 30 करोड़ का प्रावधान किया गया है। विभागवार महत्वपूर्ण अभिलेखों को डिजिटल रूप में तैयार करके छत्तीसगढ़ वेब अभिलेखागार में जन.सामान्य को सुविधा के लिए उपलब्ध कराया जायेगा, इसके लिए बजट में 03 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
   राज्य शासन द्वारा संचालित सभी प्रमुख जनकल्याणकारी योजनाओं की एकजाई मॉनिटरिंग अटल डैशबोर्ड के माध्यम से की जायेगी। इसके लिए 05 करोड़ का प्रावधान किया गया है। शासकीय धन के आय.व्यय की दैनिक निगरानी के लिए एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS- 2.0) प्रारंभ की जायेगी। एकीकृत ई.प्रोक्योरमेंट परियोजना के नवीन संस्करण हेतु 15 करोड़ का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति.2020 को तत्परता से लागू किया जायेगा। डिजिटल एवं ए.आई. आधारित इको सिस्टम के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की जायेगी।
भारत नेट परियोजना के तहत राज्य की 9,804 ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाईबर केबल से जोड़ा जा चुका है। इसके रख.रखाव एवं संचालन के लिए 66 करोड़ की पूल निधि के गठन का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में वाई.फाई के माध्यम से हॉट-स्पॉट स्थापित कर प्रदेश भर में इंटरनेट की पहुंच बढ़ायी जायेगी। इस हेतु प्रथम चरण में 1,000 ग्राम पंचायतों में वाई.फाई की सुविधा के लिए पी.एम.वाणी परियोजना अंतर्गत 37 करोड़ का प्रावधान किया गया है। शासन के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोग किये जा रहे ई.परिसंपत्ति, मोबाईल एप, एवं वेबसाईट की सायबर सुरक्षा हेतु आवश्यक जांच एवं सर्टिफिकेशन की व्यवस्था की जायेगी।
  कर प्रशासन में मजबूती एवं पारदर्शिता लाने के लिए सभी विभागों में आई.टी. टूल्स की सहायता ली जायेगी। कर प्राप्तियों में सुधार हेतु निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया जायेगा। वस्तु एवं सेवाकर के संकलन में सुधार एवं पारदर्शिता के लिए राज्य मुख्यालय में बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट की स्थापना की जायेगी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए डाटा ड्रिवन फ्रॉड एनालिसिस सहित राजस्व संवर्धन के अन्य उपाय सुनिश्चित किये जायेंगे। इस हेतु 09 करोड़ 50 लाख का प्रावधान किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर संबंधी अपीलीय मामलों के त्वरित निराकरण हेतु अधिकरण की स्थापना के लिए 05 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
   भूमि एवं भवनों का हस्तांतरण तथा अन्य विविध पंजीकृत संव्यवहार हेतु राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) सॉफ्टवेयर का उपयोग सभी जिलों में लागू किया जायेगा, इससे धोखाधड़ी एवं बेनामी लेन.देन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। विचाराधीन संपत्तियों का ऑटोवेल्यूवेशन मॉड्यूल के तहत बाजार मूल्य की ऑनलाईन गणना का विकल्प होने से राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि होगी, इसके लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
  छत्तीसगढ़ सरकार के वर्ष 2024-25 के बजट में रायपुर-भिलाई सहित आसपास के क्षेत्रों को स्टेट कैपिटल रीजन के रूप में विकसित कर यहां विश्वस्तरीय आई.टी. सेक्टर विकसित किया जायेगा। नवा रायपुर, अटल नगर में “लाईवलीहुड सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस” एवं दुर्ग जिले में “सेंटर ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप” स्थापित किया जायेगा। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए इन्यूबेशन सेंटर की स्थापना तथा बी.पी.ओ. एवं के.पी.ओ. को आकर्षित करने के लिए आई.टी. पार्क की स्थापना की जायेगी। नवा रायपुर में आई.टी. आधारित रोजगार सृजन हेतु ‘प्लग एण्ड प्ले’ मॉडल का विकास किया जायेगा, इससे आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन के नये अवसर विकसित होंगे।
  जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन हेतु डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित की जायेगी। इसके लिए राज्य जल सूचना केन्द्र की स्थापना हेतु 01 करोड़ 56 लाख का प्रावधान किया गया है। जल जीवन मिशन की मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड एवं राज्य पोर्टल के साथ-साथ शिकायत निवारण एवं नये कनेक्शन हेतु ऑनलाईन आवेदन की व्यवस्था शुरू की जायेगी। जल की गुणवत्ता की ऑनलाईन मॉनिटरिंग की जायेगी।
  भू.नक्शों का जियो.रिफ्रेन्सिंग कराया जायेगा तथा प्रत्येक भू.खंड में यू.एल.पिन नंबर देते हुए भू.आधार कार्ड जारी किया जायेगा। नगरीय क्षेत्रों में 1: 500 के स्केल पर भूमि का नवीन सर्वेक्षण प्रारंभ किया जायेगा। इससे शहरी क्षेत्रों में छोटे भू.खण्डों को भू.नक्शे पर दर्ज किया जाना संभव हो सकेगा। भू.अभिलेखों को सिविल न्यायालयों से लिंक किया जायेगा। इससे सिविल न्यायालय द्वारा भूमि संबंधी प्रकरणों में पारित आदेशों के परिपालन में भू.अभिलेख का सुधार कार्य ऑनलाईन प्रक्रिया से संभव हो सकेगा। भूमि व्यपवर्तन की प्रक्रिया को ऑनलाईन एवं सरल किया जायेगा।
   सायबर क्राईम के प्रकरणों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए कबीरधाम़, कोरबा, राजनांदगांव एवं रायगढ़ जिले में 04 नवीन सायबर पुलिस थानों की स्थापना के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। ई.कोर्ट मिशन प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन हेतु हार्डवेयर इंजीनियर एवं डाटा एण्ट्री ऑपरेटर के 596 पदों के सृजन का प्रावधान किया गया है।

  विशेष लेख / शौर्यपथ / 01 नवम्बर 2000 को भारतीय गणराज्य के 26वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 13 दिसम्बर 2023 को प्रदेश की बागडोर संभाली। उनके बागडोर संभालते ही प्रदेश में सुशासन का सूर्याेदय होने लगा है। प्रदेश सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ध्येय वाक्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 02 माह की अल्पावधि में कई जनहितकारी फैसलों से समाज के हर वर्ग की तरक्की और खुशहाली के लिए अनेक कदम उठाए गए। सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण स्वच्छ प्रशासन और सरकारी काम-काज में पारदर्शिता लाना है। प्रदेश का हर नागरिक चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण प्रदेश सरकार की कल्याणकारी सोच से वाकिफ है। लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। अल्प अवधि में राज्य सरकार ने जनता से किए गए वादे पूर्ण करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं, जिसके कारण प्रदेश में न्याय, राहत और विकास का नया दौर शुरू हुआ है। सेवा, सुशासन, सुरक्षा एवं विकास के संकल्प को लेकर प्रदेश सरकार जनता की सेवा में दिन-रात लगी हुई है।  
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार ने शपथ ग्रहण करते ही पहली कैबिनेट में 18 लाख हितग्राहियों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पक्के आवास बनाने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में कृषक उन्नति योजना के तहत सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी का वादा भी निभाएगा और धान खरीदी की पारदर्शी और सुगम व्यवस्था भी की गई। इस वर्ष छत्तीसगढ़ में अब तक का सर्वाधिक धान खरीदी का कीर्तिमान स्थापित हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा धान उपार्जन के समय-सीमा 31 जनवरी से बढ़ाकर 04 फरवरी तक करने का एक बड़ा निर्णय लिया। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों किसानों को इसका फायदा मिला। समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी हुई है। राज्य सरकार ने युवाओं के हित में बड़ा फैसला लेते हुए पीएससी भर्ती परीक्षा वर्ष 2022 प्रकरण की सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों को शासकीय सेवाओं में भर्ती हेतु अधिकतम आयु सीमा की छूट अवधि पांच वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है। सरकार के इस फैसले से अनेक युवाओं को इसका लाभ मिलेगा और वे नए सिरे से हर क्षेत्र में प्रतियोगिताओं के लिए तैयार होंगे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस सुशासन दिवस 25 दिसम्बर को 12 लाख से अधिक किसानों के बैंक खाते में 2 साल के धान के बकाया बोनस 3 हजार 716 करोड़ रूपए की अंतर राशि अंतरित कर दी गई है।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) के द्वारा पीवीटीजी  अर्थात् विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति समूहों (बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर एवं अबुझमाड़िया) को मूलभूत सुविधाओं जैसे पक्के आवास गृह, संपर्क सड़के, छात्रावास का निर्माण, शुद्ध पेयजल, विद्युतीकरण, बहुद्देशीय केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा वनधन केन्द्रों का निर्माण, मोबाइल टॉवर की स्थापना, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल से परिपूर्ण करने की दिशा में प्रदेश सरकार कृत संकल्पित है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 5500 रूपए प्रति मानक बोरा  प्रदाय किए जाने राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। तेन्दूपत्ता, महुआ, इमली सहित सभी लघुवनोपजों से आजीविका के साधनों को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार सर्वाेच्च प्राथमिकता देगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश के 50 लाख ग्रामीण परिवारों को निःशुल्क शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए नल कनेक्शन हेतु 4,500 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूरों को 10 हजार रूपए वार्षिक सहायता राशि प्रदान करने का बजट में प्रावधान किया गया है।
मातृ शक्ति का सम्मान करते हुए माताओं और बहनों के सम्मान, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। उनकी सेहत शिक्षा और पोषण के लिए राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महतारी वंदन योजना लागू की है। इसके अंतर्गत 12 हजार रूपए वार्षिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का वादा निभाने की दिशा में पहल प्रारंभ कर दिया गया है। अयोध्या धाम में प्रभु राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के प्रति लोगों की जिज्ञासा और अगाध श्रद्धा भाव का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार ने रामलला दर्शन योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया है, इसके तहत प्रतिवर्ष हजारों लोगों को अयोध्या धाम तथा काशी विश्वनाथ धाम, प्रयाग राज की तीर्थयात्रा कराई जाएगी। सामान्य परिवारों के लिए प्रतिमाह 400 यूनिट तक आधे दाम पर बिजली प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।  
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के अंतर्गत दिसम्बर 2028 तक निःशुल्क चावल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में इस योजना से 67 लाख 94 हजार अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित एवं निःशक्तजन राशन कार्डधारियों को मासिक पात्रता का चावल दिया जाएगा। महिलाओं का जीवन आसान बनाने में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की बड़ी भूमिका रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश में अब तक 36 लाख से अधिक नवीन गैस कनेक्शन जारी किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के प्रमुख 5 शक्तिपीठों कुदरगढ़, चन्द्रपुर, रतनपुर, दंतेवाड़ा तथा डोंगरगढ़ को चारधाम की तर्ज पर विकसित करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। तीन नदियों की संगम राजिम मेले की राष्ट्रीय स्तर पर पुनः पहचान दिलाने के लिए राजिम कुंभ (कल्प) का आयोजन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के समन्वित विकास के लिए कटघोरा से डोगढ़गढ़ तक रेललाईन निर्माण के लिए 300 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।
छत्तीसगढ़ के तीन करोड़ लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए 01 लाख 47 हजार 446 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। यह बजट सभी वर्गों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने वाले और विकसित छत्तीसगढ़ के सपने को साकार करने वाला बजट है। अमृत काल का छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

साभार : 

  • छगनलाल लोन्हारे, 

          उप संचालक ( जनसंपर्क - रायपुर )

  दुर्ग / शौर्यपथ / कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं, जिसके कारण कुपोषण की स्थिति मध्यम श्रेणी में आ गया है। सी सेम कार्यक्रम के तहत सेम तथा मेम बच्चों की मेडिकल जांच कर सभी को मेडिकल किट प्रदाय के साथ-साथ जिन बच्चों में अति गंभीर कुपोषण पाया जाता है उनको एनआरसी में भर्ती कर समुचित उपचार दिया जाता है।
   जिले के दुर्ग विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम उतई के एक साल का मोक्ष अति गंभीर कुपोषित श्रेणी का था। उम्र, वजन, ऊंचाई व लंबाई के अनुसार मोक्ष बहुत ही कमजोर एवं दुबला था। मोक्ष को सी सेम कार्यक्रम के अंतर्गत जुलाई 2023 में लिया गया। इस कार्यक्रम के तहत उम्र के अनुसार वजन या ऊंचाई व लंबाई के अनुसार वजन के आधार पर मध्यम या गंभीर रूप से कुपोषित एवं चिकित्सीय जटिलतारहित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों के स्तर पर उपचार के लिए नामांकित किया जाता है, जबकि चिकित्सीय जटिलताओं वाले बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया जाता है।
    मोक्ष का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया, जिसमें कोई भी जटिलता नही पाया गया। भूख परीक्षण में भी बच्चा पास रहा। मोक्ष की माता विद्या यादव मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत मोक्ष को नियमित आंगनबाड़ी में खाना खिलाने लाती थी। बाल संदर्भ शिविर में भी बच्चे को लेकर जाती थी। जो भी डॉक्टर के द्वारा परामर्श दिया जाता था उसे ध्यान से सुनती थी और अमल करती थी। रेडी टू ईट को नियमित रूप से आहार में बच्चे को खिलाती थी। पहले मोक्ष का वजन 8 किलो था जो अब बढ़कर 8.800 किलोग्राम हो गया है। तीन माह में 800 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उनके परिवार के सहयोग से अब मोक्ष सैम से मैम की श्रेणी में आ गया है। अब मोक्ष अच्छे से खाना खाता और खेलता है, वजन बढ़ने से परिवार के लोग भी बहुत खुश हैं।

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