शौर्यपथ लेख / वर्तमान हालत में देश की राजनीति दो भागो में बंट गयी है देशभक्त और देश द्रोही . दो भागो में देश के कद्दावर नेता नहीं अपितु सोशल मिडिया के धुरंधर इस बात को प्रमाणित कर रहे है . सोशल मिडिया में अगर नजर डाले तो देश में जो भाजपा को मानता है वो देश भक्त की श्रेणी में आता है और जो भाजपा व मोदी सरकार का विरोध करता है वो देश द्रोही की श्रेणी में आता है . ७० साल हो गए देश को आजाद हुए किन्तु वर्तमान में देश की जो हालत है अगर अच्छा कार्य होता है तो मोदी सरकार की देन है ऐसा उनके समर्थक ( जो अब भक्त की श्रेणी में गिने जाते है सोशल मिडिया में ) कहते हुए मैदान में उतर जाते है अगर कुछ गलत हुआ तो कांग्रेस राज के कारणों को गिनाते हुए मैदान में जम जाते है . सोशल मिडिया में कांग्रेस का पडला हल्का ही है सोशल मिडिया में ऐसे कई पोस्ट ये दर्शाते है कि कांग्रेस को चमचो की नजर से उपाधि से अलंकृत किया जाता है और मोदी समर्थक भक्त की श्रेणी में आते है .
कुछ वर्ष पूर्व देश के तात्कालिक प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने संसद में अपने वक्तव्य में कहा था कि लोकतंत्र में आज़ादी के लगभग ५० साल में देश जिस तरह आगे बढा उसमे कांग्रेस सरकार का अहम् योगदान है . स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी माना था कि देश तरक्की के रास्ते पर है और इसमें कांग्रेस का अहम् योगदान है . लोकतंत्र में पक्ष विपक्ष का खेल तो चलता ही रहेगा किन्तु पूर्व की सरकार को और उनके कार्यो को नकारा नहीं जा सकता . कुछ ऐसे ही उद्बोधन दिए थे भाजपा के जन्मदाता और कद्दावर , निर्विवाद नेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने . यही कारण है कि कांग्रेस हो या भाजपा या अन्य दल कोई भी स्व, अटल बिहारी वाजपेयी के सोंच का कभी विरोधी नहीं रहा सत्ता रही या ना रही स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान सभी राजनितिक दलों ने किया किन्तु क्या ऐसी स्थिति वर्तमान में है .
वर्तमान स्थिति में अगर एक आम नागरिक जिसे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी की निति गलत है ऐसी आशंका भी व्यक्त कर देता है तो सोशल मिडिया के योद्धा जब तक उसे देश द्रोही घोषित ना कर दे तब तक चैन से नहीं बैठते चाहे इसके लिए किसी भी स्तर तक जाना पड़े . गाली गलौच आम बात हो गयी . प्रधानमंत्री दैविक पुरुष हो सकते है कई लोगो की नजर में किन्तु ये भी सत्य है कि जिसके जीवन की सुबह होती है उसके जीवन की रात भी होती है . हम सब इस दुनिया में एक निश्चित समय के लिए ही आये है परमेश्वर ने सबके लिए नियति निश्चित की है किसी की कम तो किसी की जायद . दुनिया में ऐसे कई राजनेता हुए है जो जब तक सत्ता प्रमुख रहे भगवान् की तरह पूजे गए किन्तु सत्ता के हाँथ से जाते ही स्थिति बाद से बदत्तर हो गयी .
भारत में एक समय महात्मा गाँधी को पूजने वालो की कोई कमी न थी किन्तु वर्तमान में उनके पुतले को गोली मारने की भी आजादी है . इंदिरा गांधी की ताकत और नेत्रित्व का लोहा विदेशो में भी माना जाता था किन्तु हत्या हुई उनके अंगरक्षक द्वारा ही कोई ना कोई ऐसी निति तो रही होगी जिसे आम जनता पसंद ना करती हो सत्ता का सूरज ना तो सिकंदर का हमेशा चमकता रहा ना ही सम्राट अशोक का , मुगलों की सत्ता भी अजर अमर ना रही और ना ही आधी से ज्यादा दुनिया में राज करने वाले ब्रिटेन का शासन ही सलामत रहा . सत्ता का खेल है आज जो ज्यादा रोशन करता है वही ज्यादा अंधकार का भी अहसास कराता है .
आज जिस तरह से ७० साल के भ्रष्टाचार की बात चल रही है और एक दैविक पुरुष के अवतरित की बात चल रही है क्या ये अति से अंत की और अग्रसर का नजारा तो नहीं .
भारत एक ऐसा लोकतंत्र है जिसकी जनता अति होने तक अंत का इंतजार करती है जिस तरह पश्चिम बंगाल में २५ सालो तक कम्युनिस्ट का शासन था और जब शासन गया तब अस्तित्व की लड़ाई चल रही है , दिल्ली में सालो तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ने राज किया किन्तु आम आदमी पार्टी की आंधी में दोनों ही दल देश की राजधानी में भी अपनी पहचान बनाने की कवायद में लगे हुए ही , छत्तीसगढ़ में १५ साल रमन सरकार का ऐसा जलवा था कि कांग्रेस के पास कार्यकर्त्ता भी नहीं दिख रहे थे किन्तु भूपेश की अंधी में भाजपा ऐसी बही , जोगी कांग्रेस ऐसे उडी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी किन्तु लोकतंत्र में सूरज उगता भी तेजी से है और डूबने पर अन्धकार भी गहरा होता है .
वर्तमान में भाजपा के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री मोदी का जादू जोरो पर है किन्तु प्रदेश स्तर पर देखे तो भाजपा अधिकतर प्रदेश में कमजोर है चाहे वो महाराष्ट्र की बात कर ले , राजस्थान की बात कर ले , पंजाब की बात कर ले , हरियाणा की बात कर ले , बंगाल की बात कर ले , उड़ीसा की बात कर ले , कर्णाटक की बात कर ले , छत्तीसगढ़ की बात कर ले , उत्तर प्रदेश की बात कर ले या अन्य राज्यों की . इन सब प्रदेशो में बिहार , मध्यप्रदेश , गोवा , कर्णाटक आदि राज्यों में भाजपा की सरकार किन परिस्थितियों में बनी ये भी बहस का मुद्दा रहा किन्तु सरकार की जो छवि है वो विरोधाभास से परिपूर्ण है किन्तु सत्ता है तो सब है कि कहावत पर सब चल रहा है .
आज अगर देश की जो हालत है उसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जाता है तो साथ यह भी कहना चाहिए कि स्व. अटल बिहारी जी ने गलत ब्यान दिया था संसद में किन्तु चित भी मेरी पट भी मेरी आखिर कब तक चलेगी क्या आम जनता अपने विचार स्वतंत्रता पूर्वक भी नहीं रख सकेगी लोकतंत्र में या भारत लोकतंत्र से राजतन्त्र की ओर अग्रसर हो रहा है ?
मै निजी तौर पर स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यो का भी कायल हूँ साथ ही देश की जटिल समस्या को ( राम मंदिर , कश्मीर समस्या एवं वर्तमान में कोरोना संकट से उपजे स्थिति को नियंत्रण करने के और आर्थिक मजबूती के प्रयासों से प्रधानमंत्री मोदी के कार्यो को भी स्वीकार करता हूँ . कोई भी राजनेता देश में वैमनस्य फैलाना नहीं चाहता किन्तु अति विश्वासी चंद लोगो के कारण समाज में माहौल खराब होने का पुरजोर विरोध करता हूँ . इस लेख में ऐसी कोई मंशा नहीं कि किसी को तकलीफ हो किन्तु मेरा मानना है कि वर्तमान परिवेश में सभी को मिलकर ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे परिवार , समाज , शहर , प्रदेश और देश मजबूत हो नाकि आपसी मनमुटाव से समाज में अशांति का वातावरण बने .