शौर्यपथ लेख । फेसबुक वॉल में एक विचार दिखा जिसे एक महिला द्वारा पोस्ट किया गया था । पोस्ट में लिखी बाते सोंचने पर मजबूर कर देती है कहने को तो भारत मे अभिव्यक्ति की आजादी है महिलाओं का सम्मान भी है किंतु ऐसे कई क्षेत्र है जहां महिलाओं का सिर्फ उपयोग ही किया जाता है उन्ही क्षेत्री में एक क्षेत्र है विज्ञपन कि दुनिया का । विज्ञपन की दुनिया मे शायद ही कोई विज्ञपन का निर्माण हुआ हो जिसमें महिलाओं की भागीदारी ना हो किन्तु इसमे से कई विज्ञपन ऐसे है जो महिलाओं की उपयोग की वस्तु ना होने के बाद भी उनमें भागीदारी दिखती है । मेंस शेविंग क्रीम , मेंस वियर , मेंस ऑटो , मेंस ड्रिंक्स जैसे कई प्रोडूक्त है जिनका महिलाओं से कोई परोक्ष सम्बन्ध नही होता किन्तु बावजूद इसके ऐसे विज्ञापनों में इनकी भागीदारी एक विशेष ड्रेसिंग सेंस के साथ दिखाई जाती है ऐसे ही कुछ विज्ञापनों के बारे में एक महिला ने अपने विचार प्रकट किए है जो सोंचने पर मजबूर कर देते है कि क्या ये सही है ... पोस्ट के अंश आप सम्मानित पाठकों को समर्पित यह एक ऐड है जिसमें स्कूटर दिख रहा है.. स्कूटर बिक रहा हैसच कहूँ तो पहली नजर में स्कूटर दिखा ही नहीं..क्योंकि सबकी नजर स्कूटर पर गयी ही नही होगी ...? क्यों सच छिपाऊं,, मैं सोच रही हूँ ,, आखिर ये हो क्या रहा है..?? नारी क्यों देख औेर समझ नहीं पा रही कि बाजार ने उसे एक वस्तु बना दिया है,, वो क्यों विरोध नही करती..?? अगरबत्ती के ऐड में महिला,, शेविंग क्रीम के ऐड में महिला,, डिओ के ऐड में महिला की अमुक डिओ लगाओगे तो,, खिंची चली आंती है ,, पुरुषों के इनर वियर में महिला.. 18-20 साल के लड़के ओर लड़कियों पर इसका क्या असर हो रहा है? उसका समाज पर क्या असर होगा..?? एक परफ्यूम का विज्ञापन है जिसमें लड़की अपने पुरूष मित्र का परिचय माता पिता से कराती है। जब लड़का लड़की की माँ को आण्टी कहकर संबोधित करता है तो प्रौढ़ महिला उसे उसका नाम लेकर पुकारने को कहती है। उधर उसके पति के हाथ में पकड़े हुये पॉपकार्न के पैकेट भिंच जाते हैं, यह विज्ञापन क्या संदेश दे रहा है, समाज को..?? क्या परफ्यूम इतना प्रभाव कारी है कि एक अधेड़ महिला उससे प्रभावित होकर पति और बेटी के सामने इतनी निर्लज्ज हो जाती है..?? कुछ लड़कियां कहती है कि हम क्या पहनेंगे ये हम तय करेंगे, पुरुष नहीं..मैं आपकी बात से सहमत हो सकती हूँ लेकिन वुमन empowerment के नाम जो समाज के सामने जो अश्लीलता परोसी जा रही है उसके कारण देश के युवाओं और समाज पर जो इफेक्ट आ रहा है उसका जिम्मेदार कौन है..?? वह जो जिसे दिखाया जा रहा है या वह जो यह दिखा कर फायदा अपना फायदा उठा रहा। किसी भी प्रोडक्ट को बेचने के लिए किसी औरत या लड़की को अश्लील तरीके से दिखाना कहाँ तक वुमन इंपावरमेंट के अंदर आता है..?? समय बदल रहा है ...कहकर अंग प्रदर्शन करना कहा तक उचित है .. हा मानती हूँ समय अनुसार चलना चाहिए ..पर किस किताब मे लिखा है की ..अंग प्रदर्शन करो .. आज लड़के और लड़कियों मे कोई भेद नही बल्कि मे तो कहूँगी लड़कियां हर फिल्ड मे आगे है आज समाज मे .. आधुनिकता को इतना मत ओढ़ लो की अपनी सभ्यता ही भूल जाओ .. मे भी एक पढ़ी लिखी डॉक्टर हूँ .. पर पैसा कमाने के लिए देह प्रदर्शन का विरोध करती हूँ . सत्य ये है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।ऊंचा उठने के लिए अंग प्रदर्शन नही ...बल्कि अपने अंग को ढककर ऊंचा बनकर दिखाओ आपकी पहचान आपके कम कपड़ों के फोटो से नही ..बल्कि नाम से होनी चाहिए .असल मे वहीं आपकी सच्ची सफलता है