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सोने में 300 टन की बढ़ोतरी, पर कर्ज तीन गुना: 10 साल में भारत की अर्थव्यवस्था पर ‘चमक’ और ‘बोझ’ दोनों

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? देश का स्वर्ण भंडार रिकॉर्ड स्तर पर — लेकिन सरकारी कर्ज भी GDP के 60% तक पहुंचा

रिपोर्ट: शौर्यपथ डिजिटल /संपादक: शरद पंसारी

?? 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था बढ़ी, पर कर्ज भी तीन गुना हुआ

भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, लेकिन इस विकास की रफ्तार के साथ-साथ कर्ज का पहाड़ भी खड़ा हो गया है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं —

मार्च 2014: केंद्र सरकार का बकाया कर्ज ₹55.87 लाख करोड़

मार्च 2024: यह बढ़कर ₹171.78 लाख करोड़ हो गया

मार्च 2025 (अनुमान): केंद्र और राज्यों का संयुक्त कर्ज ₹181.68 लाख करोड़

राज्यों का कर्ज भी तेजी से बढ़ा है — 2013-14 से 2022-23 के बीच यह 3.39 गुना बढ़कर ₹59.60 लाख करोड़ तक पहुंच गया।

? क्यों बढ़ा इतना कर्ज?

अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस वृद्धि के तीन प्रमुख कारण हैं —

1️⃣ विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण:
सरकार ने अवसंरचना, रक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर उधारी की।

2️⃣ राजकोषीय घाटे की भरपाई:
खर्च और आय के अंतर को पाटने के लिए लगातार कर्ज लिया गया।

3️⃣ कोविड-19 का असर:
महामारी से निपटने के लिए राहत पैकेज, स्वास्थ्य ढांचे और टीकाकरण में भारी उधारी की आवश्यकता हुई।

? भारत का स्वर्ण भंडार: दुनिया में आठवां स्थान

भारत न केवल सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, बल्कि उसका सरकारी और निजी स्वर्ण भंडार अब अभूतपूर्व स्तर पर है।

श्रेणी    सोने का भंडार (टन में)    अनुमानित मूल्य (₹ में)
भारतीय रिजर्व बैंक (मई 2025)    880 टन    ₹4.32 लाख करोड़
भारतीय परिवार (मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट)    34,600 टन    ₹317 लाख करोड़
कुल मिलाकर (RBI + निजी)    लगभग 35,480 टन    ₹321 लाख करोड़ से अधिक

? “भारत के पास अब दुनिया का आठवां सबसे बड़ा आधिकारिक स्वर्ण भंडार है — और पिछले 10 वर्षों में इसमें लगभग 300 टन की बढ़ोतरी हुई है।”

? विश्व स्वर्ण भंडार में भारत की स्थिति
रैंक    देश    सोने का भंडार (टन)
1️⃣    अमेरिका    8133.46
2️⃣    जर्मनी    3351.53
3️⃣    इटली    2451.84
4️⃣    फ्रांस    2436.97
5️⃣    रूस    2335.85
6️⃣    चीन    2264.32
7️⃣    जापान    845.97
**8️⃣    भारत    876.18**

? GDP और कर्ज का अनुपात: सतर्क संकेत

भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2024-25 में लगभग ₹300 लाख करोड़ आंका गया है।
वर्तमान में केंद्र और राज्यों का संयुक्त कर्ज GDP के लगभग 60% तक पहुंच चुका है।

?️ “यह अनुपात अभी नियंत्रण में है, लेकिन अगर विकास दर 7% से नीचे गई तो कर्ज की सेवा लागत सरकार के राजकोष पर भारी दबाव डाल सकती है।” — आर्थिक विश्लेषक

⚖️ “सोना बढ़ा, पर कर्ज भी बढ़ा — दो विपरीत सच”

सोशल मीडिया पर भारत के स्वर्ण भंडार में हुई बढ़ोतरी को राष्ट्र की ‘आर्थिक ताकत’ बताया जा रहा है,
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज का समानांतर बढ़ना चिंता का संकेत है।

? “सोने की चमक तभी स्थायी है, जब वित्तीय अनुशासन समान गति से बढ़े।”

? निष्कर्ष

भारत आज विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है।
सोने की बढ़ती चमक और कर्ज का बढ़ता साया — दोनों भारत की आर्थिक यात्रा की सच्ची तस्वीर हैं।
एक ओर यह आत्मनिर्भरता और पूंजी संचय का प्रतीक है,
तो दूसरी ओर यह याद दिलाता है कि विकास को टिकाऊ बनाने के लिए वित्तीय संतुलन आवश्यक है।

✒️ “निष्पक्ष पत्रकारिता के दीप से जनविश्वास का आलोक”

— शरद पंसारी
(संपादक, शौर्यपथ दैनिक समाचार एवं www.shouryapathnews.in

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