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बिहार चुनाव 2025 :सीमा सिंह और गणेश भारती के नामांकन रद्द — क्या अब वापसी मुमकिन है?

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 बिहार चुनाव 2025: नामांकन ड्रामे में उलझे दांव

मढ़ौरा और कुशेश्वरस्थान की सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, पर क्या आयोग देगा 'दूसरा मौका'?

पटना | विशेष रिपोर्ट —
बिहार चुनाव 2025 में जहां नेता जनसमर्थन के लिए पसीना बहा रहे हैं, वहीं दो उम्मीदवारों की राजनीति तकनीकी गलती के जाल में फंस गई है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सीमा सिंह (मढ़ौरा) और वीआईपी पार्टी के गणेश भारती (कुशेश्वरस्थान) का नामांकन रद्द हो गया है — एक फॉर्म-B की गड़बड़ी में तो दूसरा सिंबल सिग्नेचर की कमी में।

अब सवाल यह है कि —
? क्या ये दोनों उम्मीदवार अब भी मैदान में उतर सकते हैं?
? या फिर यह चुनाव ‘तकनीकी गलती बनाम राजनीतिक किस्मत’ की कहानी बन जाएगा?

? मढ़ौरा में सीमा सिंह का नामांकन रद्द — फॉर्म-B बना मुश्किल का सबब

एलजेपी (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि उनके फॉर्म B — यानी पार्टी की आधिकारिक अनुमति पत्र — में त्रुटि पाई गई।
निर्वाचन अधिकारी ने सुधार का मौका दिया, लेकिन वे निर्धारित समय में संशोधित दस्तावेज़ नहीं जमा कर सकीं।

चिराग पासवान ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा —

“यह एक मामूली तकनीकी गलती है, हमने चुनाव आयोग से पुनर्विचार का आग्रह किया है।”

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, सीमा सिंह के पर्चा रद्द होने से मढ़ौरा सीट पर एनडीए की स्थिति कमजोर हुई है और आरजेडी गठबंधन को अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है।

? कुशेश्वरस्थान में VIP उम्मीदवार गणेश भारती का नामांकन भी अमान्य

दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट से गणेश भारती का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि पार्टी सिंबल पत्र पर वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे।
हालांकि गणेश भारती ने दो सेट नामांकन किए थे — एक पार्टी प्रत्याशी के रूप में और दूसरा निर्दलीय रूप में।
पहला नामांकन रद्द होने के बावजूद अब वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में रहेंगे।

यह फैसला महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि वीआईपी पार्टी आरजेडी गठबंधन की सहयोगी है।

⚖️ क्या रद्द नामांकन बहाल हो सकता है? — जानिए कानूनी स्थिति

चुनाव आयोग के नियम साफ़ कहते हैं —

“नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवारी सीधे तौर पर बहाल नहीं की जा सकती।”

हालाँकि दो रास्ते हैं—

  1. पुनर्विचार याचिका:
    उम्मीदवार यह साबित कर सकता है कि नामांकन रद्द करने में प्रक्रिया संबंधी गलती हुई।
    आयोग चाहे तो समीक्षा कर सकता है, लेकिन आम तौर पर यह दुर्लभ होता है।

  2. हाई कोर्ट में रिट याचिका:
    उम्मीदवार न्यायिक हस्तक्षेप मांग सकता है, पर यह लंबी प्रक्रिया होती है और चुनावी शेड्यूल में बाधा नहीं डालती।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है —

“अगर त्रुटि तकनीकी है और सुधार का अवसर दिया गया था, तो नामांकन दोबारा बहाल होने की संभावना बेहद कम होती है।”

? राजनीतिक असर: दो सीटें, दो झटके

  • मढ़ौरा (सरन) — एनडीए के लिए बड़ा नुकसान

  • कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) — महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ीं

दोनों सीटें रणनीतिक रूप से अहम हैं —
मढ़ौरा पटना-बिहारशरीफ बेल्ट के समीकरण तय करती है,
तो कुशेश्वरस्थान मिथिलांचल का वोट पैटर्न प्रभावित करती है।


?️‍♂️ विश्लेषण: “तकनीकी गलती” या “राजनीतिक नियति”?

इन दोनों मामलों ने बिहार चुनाव 2025 में एक नया शब्द जोड़ा है —

‘टेक्निकल टर्निंग पॉइंट’
जहाँ एक हस्ताक्षर या एक फॉर्म की ग़लती पूरे राजनीतिक समीकरण बदल सकती है।


निष्कर्ष:
सीमा सिंह और गणेश भारती की उम्मीदवारी अब आयोग या अदालत के निर्णय पर टिकी है।
पर मौजूदा संकेत यही कहते हैं — अब मैदान में वापसी आसान नहीं होगी।
तकनीकी गलती अब बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित ‘फैक्टर’ बन चुकी है।

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