नई दिल्ली / एजेंसी /
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रथम चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर करीब 3 करोड़ 75 लाख मतदाता अपनी भागीदारी से लोकतंत्र की मजबूत पड़ताल करेंगे। यह चुनाव बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित होने जा रहा है, जहां हर वर्ग की उम्मीदें जुड़ी हैं और राजनीतिक दलों के माथे चिन्हित मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जटिलता बनी हुई है।
एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने से परहेज किया है, और मुख्यमंत्री पद को चुनाव के बाद गठबंधन के बीच विचार-विमर्श के बाद तय करने का सस्पेंस बरकरार रखा है। इसके पीछे भाजपा और जदयू सहित सहयोगी दलों के मतभेद और गठबंधन की रणनीतिक विवेकशीलता संकेतित होती है। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ नेता प्रचार में सक्रिय हैं, यह संदेश फैलाने के लिए कि विकास और स्थिरता एनडीए का मूल मंत्र है। भाजपा और जदयू की सीटों का बंटवारा पहले ही तय हो चुका है, और 121 सीटों के लिए एनडीए अपना पूर्ण जोर लगा रही है।
वहीं, इंडिया गठबंधन ने मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव को स्पष्ट रूप से घोषित किया है। राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने अपने दमदार प्रचार अभियान से बिहार के युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच गहरी पकड़ बनाई है। कांग्रेस, सीपीआई तथा अन्य सहयोगी दलों के समर्थन से महागठबंधन ने अपना चेहरा साफ करते हुए चुनावी मैदान पर पैर जमा लिए हैं। तेजस्वी यादव की छवि युवा, सशक्त और बदलाव के लिए तैयार नेतृत्व की है, जो महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं।
तीसरे मोर्चे के रूप में उभर रही जनसुराज पार्टी ने भी इस चुनाव में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। खास तौर पर युवाओं और नए मतदाताओं के बीच यह पार्टी तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो परंपरागत राजनीति में बदलाव की उम्मीद रखती है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि जनसुराज पार्टी का उदय दोनों बड़े गठबंधनों को उनकी पुराने वोट बैंक में सेंध लगाने की चुनौती दे रहा है।
यह चुनाव एक ऐसे दौर में हो रहा है जहां मतदाता अधिक जागरूक और समझदार बन चुके हैं, और मतदाताओं की भागीदारी इस बात की मिसाल होगी कि किस प्रकार लोकतंत्र की आस्था समूचे समाज को जोड़े रखती है।
संक्षिप्त तथ्य:
प्रथम चरण के 3.75 करोड़ मतदाता न केवल बिहार के भविष्य का फैसला करेंगे, बल्कि देश के लोकतंत्र की ताकत और उसकी बहुलतावादी संस्कृति को भी एक जीता-जागता संदेश देंगे। चुनाव आयोग ने भी स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है।
चुनाव आयोग ने कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण मतदान लोकतंत्र की जीवंतता और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का सशक्त उदाहरण होगा, जहां मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले हर मतदाता की भूमिका निर्णायक होगी। मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सस्पेंस तथा दो गठबंधनों का पूर्ण तैयारी में होना इस चुनाव को और भी नाटकीय और महत्वाकांक्षी बनाता है, जिससे बिहार एवं पूरी देश की निगाहें इस महायुद्ध पर टिकी हैं।
यह चुनाव बिहार के जन-जीवन, सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक विकास के लिए न केवल एक चुनाव है, बल्कि एक नई उम्मीद और नए भारत का संदेश भी है।
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को 125 सीटें मिली थीं, जिसमें भाजपा ने 74 और जदयू ने 43 सीटें जीतीं। महागठबंधन को 110 सीटों का साथ मिला था, जिसमें राजद के हिस्सेदारी 75 सीटों की थी। इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे विकास, रोजगार, महंगाई, जातीय समीकरण और धर्म के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक स्थिरता हैं। मतदाता इन विषयों पर गहराई से विचार कर अपने मत का प्रयोग करेंगे।