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बैंकिंग कानून में संशोधन से साहूकारी व्यवस्था लेगी जन्म : सैय्यद अफजल

० कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ ने संसद में प्रस्तावित कानून का किया विरोध

० 27 बैंकों का राष्ट्रीकरण कर कांग्रेस ने देश को बनाया था मजबूत, वर्तमान केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा मानसून सत्र में पेश किए जाने वाला बैंकिंग कानून संशोधन बिल के जरिए युवाओं के रोजगार समाप्त करने आर्थिक असमानता बढ़ाने मध्यम व गरीब वर्ग के लिए नुकसानदायक होगा

राजनांदगांव /शौर्यपथ / कांग्रेस कमेटी व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सैय्यद अफजल अली ने संसद में प्रस्तावित बैंकिंग संशोधन कानून को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने प्रस्तावित सुधारों को देश के लिए घातक व युवाओं के लिए निराशाजनक बताया। वर्तमान केन्द्र सरकार की बैंकिंग प्रणाली के प्रस्ताविक विधेयक का विरोध करते हुए इसे देश के लिए नुकसानदायक बताया। सैय्यद अफजल ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से इन बैंकों का पैसा उद्योगपतियों का हो जाएगा। बैंकों को बड़े उद्योगपति खरीद कर सरकार से अपना कर्जा माफ करवा लेंगे और सरकार को ही मनमाने ब्याज पर कर्ज देकर मोटी कमाई करेंगे। कांग्रेस पार्टी ऐसे निर्णय का विरोध करती है, क्योंकि इससे सार्वजनिक उपक्रमों में कमी आएगी। मध्यम वर्ग व गरीब वर्ग को जीवन संघर्ष करना पड़ेगा। बेरोजगारी, मंहगाई बढ़ेगी, आरक्षण व्यवस्था को चोट पहुंचेगी, स्टार्टअप सेवाओ पर भी फर्क पड़ेगा। सैय्यद अफजल ने आयरन लेडी के नाम से प्रख्यात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने के निर्णय को एक दूरगामी सोच व साहसिक निर्णय बताते हुए सरकार द्वारा बैंकों का निजीकरण करने को देश में बेरोजगारी बढ़ाने वाला बताया। मोदी सरकार सरकारी बैंकों को अपने उद्योगपति मित्रों को दान में देने के लिए बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने जा रही है। जिसके पास हो जाने के बाद इन बैंकों में सरकार का शेयर 51 प्रतिशत से घट कर 26 प्रतिशत हो जाएगा। जिससे इन बैंकों में जमा आम आदमी का पैसा एक तरह से निजी उद्योगपतियों का हो जाएगा। इन सरकारी बैंकों को मोदी जी के वे मित्र खरीदेंगे, जो खुद सरकारी बैंकों के कर्जदार हैं और अपना बकाया कर्ज मोदी सरकार से माफ करा लेते हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1969 में 19 जुलाई को बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर निजी बैंकों के लाभ को राष्ट्र के विकास में लगाने और उनको जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए उनमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत रखी थी। जिससे बैंक जनता के नियंत्रण में रहें, लेकिन अब मोदी जी इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत करने और अगले कुछ सालों में पूरी तरह खत्म कर देने के लिए क़ानून ला रहे हैं। जिससे इन बैंकों का अब जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के प्रति कोई जाबदेही नहीं रह जाएगी। उल्टे वे अब मनमाने ब्याजदर पर सरकार को ही कर्ज देने लगेंगे। बैंकों के निजी हाथों में जाते ही बैंक की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। जिससे पिछड़े, दलित, आदिवासी और गरीब सवर्णों के बच्चे बैंकों में नौकरी नहीं कर पाएंगे। सैय्यद अफजल ने कहा कि 19 जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर बैंकों को राष्ट्र के विकास की धुरी बनाया था। उन्होंने बताया कि सरकार अब बैंकों में सरकार को हिस्सेदारी को 51 फीसद से हटाकर 26 प्रतिशत कर रही है, जबकि राष्ट्रीकृत बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 रह गई है। उन्होंने कहा कि बैंकों का निजीकरण होने से जमा पूंजी सुरक्षित नहीं रहेगी, क्योंकि सरकार द्वारा दी गई गारंटी समाप्त हो जाएगी। बैंकों के निजीकरण से आरक्षण समाप्त हो जाएगा। निजी बैंकों की शाखाएं सिर्फ शहरों तक सीमित रह जाएगी। इसके कारण कमजोर एवं गरीब परिवार के लिए जारी सरकारी स्कीम का लाभ बंद हो जाएगा। --------------------

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Mrinendra choubey

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